खतरे में नायब सरकार का मंत्रिमंडल? हरियाणा में कैबिनेट गठन के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
हरियाणा में 15वीं विधानसभा में कुल विधायकों के 15% से ज्यादा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट 28 जनवरी को सुनवाई करेगा। संविधान संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। याचिका में आरोप है कि हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं जो कि संविधान के संशोधन का उल्लंघन है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा (Haryana News) की 90 सदस्यीय 15वीं विधानसभा में कुल विधायकों के 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट 28 जनवरी को सुनवाई करेगा।
इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व केंद्र से जवाब तलब किया हुआ है। कोर्ट ने सभी पक्षों को अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रखने का भी आदेश दिया है। आइए जानते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है।
मंत्रिमंडल के गठन में संविधान संशोधन के उल्लंघन का आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया कि मंत्रिमंडल में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं, मगर हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान संशोधन का उल्लंघन है।
इस मामले को लेकर एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने याचिका दायर कर बताया कि संविधान के 91वें संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है।
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याचिकाकर्ता ने इन दिग्गजों को बनाया प्रतिवादी
हरियाणा विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 90 है। ऐसे में संविधान के संशोधन के अनुसार कैबिनेट में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं। लेकिन हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान के संशोधन का उल्लंघन है।
याचिका में भट्टी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अनिल विज, कृष्णलाल पंवार, राव नरबीर, महिपाल ढांडा, विपुल गोयल, डा. अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, रणबीर गंगवा, कृष्ण कुमार बेदी, श्रुति चौधरी, आरती राव, राजेश नागर और गौरव गौतम के अलावा केंद्र सरकार व हरियाणा विधानसभा को प्रतिवादी बनाया है।
अतिरिक्त मंत्रियों को हटाने की मांग
याचिकाकर्ता ने अपने याचिका में आरोप है कि हरियाणा सरकार द्वारा जो मंत्री पद और कैबिनेट रैंक बांटी गई है, उसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। विधायकों को खुश करने के लिए मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनको भुगतान जनता की गाढ़ी कमाई से किया जाता है।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा कि तय संख्या से अधिक मंत्री होने के चलते अतिरिक्त मंत्रियों को हटाया जाए। इसके साथ ही याचिका लंबित रहते उनको मिलने वाले लाभ पर रोक पर रोक लगाए जाने की भी हाईकोर्ट से मांग की गई हैं। एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी की इस याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 28 जनवरी सुनवाई होने वाली है।
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