Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    'विवाहित पोते के लिए जगह जरूरी, किरायेदार को खाली करना ही होगी मकान...', पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का अहम फैसला

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 09:34 PM (IST)

    पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किरायेदार की याचिका खारिज कर मकान मालिक के अधिकारों को मजबूत किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि मकान मालिक को विवाहित पोते के ...और पढ़ें

    Hero Image

    विवाहित पोते के लिए जगह जरूरी, किरायेदार को खाली करना ही होगी इमारत।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किराये के कानून के तहत मकान मालिक के अधिकारों की एक महत्वपूर्ण पुष्टि करते हुए किरायेदार द्वारा दायर रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया। कंट्रोलर और अपीलीय अथॉरिटी द्वारा पारित बेदखली के एक साथ दिए गए फैसलों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि विवाहित पोते के लिए यदि दादा को इमारत की जरूरत है तो किराएदार को इसे खाली करना होगा और वह मकान मालिक को शर्तें नहीं बता सकता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोर्ट ने कहा कि एक बार जब किरायेदारी मान ली जाती है और किराया चुका दिया जाता है, तो मकान मालिक-किरायेदार का रिश्ता स्थापित हो जाता है और आश्रित परिवार के सदस्यों के लिए सही ज़रूरत बेदखली का एक पर्याप्त आधार है। जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने अंबाला में एक रिहायशी प्रॉपर्टी से किरायेदारों की बेदखली को बरकरार रखा और उनके मालिकाना हक के दावे और प्रक्रियागत अनुचितता के आरोपों को खारिज कर दिया।

    हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मकान मालिक के शादीशुदा पोते के रहने के लिए जगह की ज़रूरत एक सही जरूरत थी। कोर्ट ने पाया कि मकान मालिक ने एक रजिस्टर्ड सेल डीड के जरिए अपना मालिकाना हक साबित कर दिया था और किरायेदारों ने किरायेदारी मान ली थी और ई-चालान के जरिए कोर्ट के माध्यम से किराया भी चुकाया था। मकान मालिक ने अपने शादीशुदा पोते के इस्तेमाल के लिए बेदखली की मांग की थी, यह दावा करते हुए कि कोई उपयुक्त वैकल्पिक आवास उपलब्ध नहीं था।

    कोर्ट ने कहा कि यह किराएदार का काम नहीं है कि वह मकान मालिक को बताए कि किराए की जगह का कब्जा किए बिना वह खुद को और कैसे एडजस्ट कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि किरायेदारों को पहले हाईकोर्ट ने मकान मालिक के गवाह से जिरह करने की इजाज़त दी थी, लेकिन वे न तो पेश हुए और न ही लागत का भुगतान किया, जिसके कारण एकतरफा कार्यवाही हुई।