पंजाब में कैप्टन की जीत का हरियाणा की राजनीति पर भी होगा बड़ा असर
पड़ोसी राज्य पंजाब के चुनाव नतीजों से हरियाणा कांग्रेस की राजनीति प्रभावित होने के आसार बन गए हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। पड़ोसी राज्य पंजाब के चुनाव नतीजों से हरियाणा कांग्रेस की राजनीति प्रभावित होगी। पंजाब में कांग्रेस की भारी जीत से वहां चुनाव प्रचार नहीं करने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मजबूत होने की संभावना है। प्रचार कर चुके कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर गुट को अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में मशक्कत करनी पड़ सकती है।
हरियाणा कांग्रेस आजकल अंदरूनी कलह से जूझ रही है। हुड्डा गुट ने तंवर और किरण चौधरी को पदों से हटाने के लिए कमर कसी हुई है। जबकि तंवर और किरण खेमे ने कैप्टन अजय यादव और कुमारी सैलजा को साथ जोड़कर हुड्डा खेमे के विरुद्ध मोर्चा खोला हुआ है। कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सुरेजवाला दोनों खेमों के बीच संतुलन साधने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते।
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उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे हालांकि कांग्रेस के हक में नहीं आए, लेकिन पंजाब में कांग्रेस की सरकार बन गई। पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर को फुलफ्लैश सौंपने का पार्टी हाईकमान का फॉर्मूला काम आया है। हरियाणा में भी चुनाव लोकसभा के साथ संभव हैं। यानी दो साल के भीतर चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में अभी से तैयारी आरंभ की जा सकती है। इसमें कोई शक नहीं कि हाईकमान हरियाणा में भी पंजाब की तर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्री को मोर्चा संभालने के लिए कह सकती है।
उधर, तंवर व किरण खेमे के पास हुड्डा खेमे के विरुद्ध हाईकमान को साधने के बहुत से कारण हैं। वैसे भी कांग्रेसियों की गुटबाजी हाईकमान को रास आती है। हरियाणा में संगठनात्मक बदलाव होने हैं। इसके लिए जोड़-तोड़ लंबे समय से चल रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों के चलते कई दिनों तक समीक्षा के दौर चलेंगे। लेकिन समीक्षा में ऐसे राज्यों की अनदेखी नहीं की जा सकती, जहां देर सबेर चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान हुड्डा और तंवर-किरण खेमों में एकजुटता लाने की पूरी कोशिश करेगा। बात नहीं बनी तो अगले फैसले लिए जा सकते हैं।
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