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Haryana News: क्या संकट में है नायब सरकार? तीन MLA के समर्थन वापसी से बिगड़ा विधानसभा का पूरा गणित

हरियाणा में नायब सैनी सरकार (Nayab Saini Government) के सामने फिर से सियासी संकट सामने आया है। इस बार तीन निर्दलीय विधायक जो नायब सैनी सरकार को अपना समर्थन दिए हुए थे। उसे वापस लेते हुए भूपेंद्र हुड्डा को समर्थन दिया है। विधायकों ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का साथ देंगे। जानिए आखिर हरियाणा विधानसभा का अब क्या है नंबर गेम।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha Published: Tue, 07 May 2024 06:21 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2024 07:08 PM (IST)
Haryana Political Crisis: हरियाणा में गहराया सियासी संकट।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। (Haryana Politics Hindi News) हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बीच एक नया राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) की सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी। सुबह के समय इन विधायकों की संख्या चार थी और शाम को तीन रह गई।

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निर्दलीय विधायकों ने कहा कांग्रेस को देंगे समर्थन

पूंडरी के निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन (Randhir Golan), चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान (Somveer Sangwan) और नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने मंगलवार शाम को रोहतक पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) से मुलाकात की और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (Haryana Congress) को समर्थन देने की घोषणा कर दी। बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के भी इन विधायकों के साथ आने का दावा किया गया था, लेकिन शाम को दौलताबाद नहीं आए।

औपचारिक तौर विधानसभा स्पीकर को नहीं दिया कोई लिखित पत्र

इन तीनों निर्दलीय विधायकों ने न सिर्फ कांग्रेस का समर्थन करने की घोषणा की, बल्कि हुड्डा की मौजूदगी में यह भी कह दिया कि उन्होंने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि अभी तक इन तीनों विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने का अपना लिखित पत्र नहीं दिया है। फिर भी घोषणा से सरकार पर दबाव जरूर बढ़ गया है।

विधायकों के संख्या बल के हिसाब से अल्पमत में सरकार

ऐसे में प्रदेश की भाजपा सरकार (Haryana BJP News) विधायकों के संख्या बल के हिसाब से अल्पमत में आ गई, लेकिन संवैधानिक तौर पर सरकार को अगले चार माह तक किसी तरह का खतरा नहीं है। पूर्व मुख्मयंत्री मनोहर लाल के स्थान पर नायब सिंह सैनी जब मुख्यमंत्री बने थे, तब 22 फरवरी 2024 को भाजपा सरकार के विरुद्ध कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। उस समय निर्दलीय विधायकों के सहयोग और समर्थन के चलते भाजपा बहुमत साबित करने में कामयाब हो गई थी।

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जेजेपी (JJP News) के कुछ विधायकों ने भी भाजपा सरकार को अपना समर्थन दिया था, जिस कारण भाजपा व जेजेपी का गठबंधन टूटने के बावजूद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार को कोई खतरा नहीं पहुंचा था। संवैधानिक दृष्टि से 22 फरवरी के बाद से अगले छह माह तक नायब सिंह सैनी की सरकार के विरुद्ध कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।

लागू हो राष्ट्रपति शासन-भूपेंद्र सिंह हुड्डा

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने कहा कि नेता सत्ता के साथ जाना चाहते हैं लेकिन निर्दलीय विधायक कांग्रेस के साथ आ रहे हैं। इससे साबित होता कि कांग्रेस की देश और प्रदेश में सरकार बनने जा रही है। भाजपा जनता में अपना विश्वास खो चुकी है। विधायकों ने सही समय पर सही फैसला लिया है। जनभावना के साथ उनका फैसला लिया गया है। भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अल्पमत की सरकार है राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए।

22 अगस्त तक सैनी सरकार को कोई खतरा नहीं 

इस हिसाब से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार को 22 अगस्त तक किसी तरह का खतरा नहीं है। हरियाणा में चूंकि सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं तो ऐसे में सरकार अगस्त में भी विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की घोषणा कर सकती है।

भाजपा के रणनीतिकारों ने यदि विधानसभा भंग नहीं की और कांग्रेस सरकार के विरुद्ध किसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती है तो जेजेपी के 10 असंतुष्ट विधायकों में से पांच भाजपा के साथ हैं और दो का प्रेम कांग्रेस के प्रति पनप रहा है। ऐसे में 88 सदस्यीय विधानसभा में 45 विधायकों के समर्थन का आंकड़ा भाजपा विधानसभा में आसानी से पेश कर सकती है।

तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद फिलहाल भाजपा के 40 विधायकों के साथ दो निर्दलीय नयनपाल रावत और राकेश दौलताबाद तथा एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा (Gopal Kanda) का समर्थन रह गया है, जो कि बहुमत के आंकड़े से दो विधायक कम है। महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू (Balraj Kundu) पहले दिन से सरकार के विरुद्ध चल रहे हैं। अपनी पार्टी बना चुके कुंडू को पिछले दिनों इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला (Abhay Singh Chautala) के मंच पर देखा गया था।

विधानसभा स्पीकर को देना होगा समर्थन वापसी का पत्र

हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में रानियां के निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला (Ranjit Chautala) और करनाल के भाजपा विधायक मनोहर लाल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे दे चुके हैं। मनोहर लाल करनाल लोकसभा सीट से और रणजीत चौटाला हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस तरह 88 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए अब 45 विधायकों की जरूरत है, जबकि भाजपा के पास फिलहाल यह आंकड़ा पूरा नहीं हो रहा है।

जिन तीन निर्दलीय विधायकों (Haryana Independent MLA Hindi News) ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की है, उन्होंने अभी विधानसभा स्पीकर को लिखकर नहीं दिया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में वह लिखित में भाजपा से अपना समर्थन वापस लेने संबंधी पत्र स्पीकर को सौंप सकते हैं।

जेजेपी के छह असंतुष्ट विधायकों में तीन भाजपा के साथ

हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha News) में जेजेपी के 10 विधायकों में से छह असंतुष्ट और बागी हैं। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala), पूर्व राज्य मंत्री अनूप धानक, बाढ़डा की विधायक नैना चौटाला और जुलाना के विधायक अमरजीत ढांडा को छोड़कर बाकी छह विधायक मन से जेजेपी के साथ नहीं हैं।

असंतुष्ट और बागी विधायकों में पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने अभी फैसला नहीं लिया कि वे भाजपा के साथ जाएंगे या कांग्रेस में जाएंगे। इसी तरह की स्थिति नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम की है, लेकिन बबली और गौतम का झुकाव भाजपा की तरफ है।

गुहला चीका के विधायक ईश्वर सिंह और शाहबाद के विधायक रामकरण काला का कांग्रेस के प्रति प्रेम जाहिर हो चुका है। नरवाना के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और बरवाला के विधायक जोगी राम सिहाग का भाजपा के प्रति खुला अनुराग है।

हरियाणा विधानसभा का मौजूदा गणित

विधायकों की संख्या 88
बहुमत के लिए चाहिए 45
भाजपा  40
कांग्रेस 30
जेजेपी 10
इनेलो 01
हलोपा 01
निर्दलीय 06

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