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    उद्योगों के लाइसेंस नवीनीकरण के लिए व्यक्तिगत निरीक्षण हुआ अनिवार्य, पर्यावरण मंत्री राव नरबीर की सख्त हिदायतें

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 11:22 AM (IST)

    हरियाणा के पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बैठक में सख्त निर्देश दिए। उन्होंने प्लास्टिक-पॉलीथीन के उपयोग पर जागरूकता अभिय ...और पढ़ें

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    दलालों के माध्यम से उद्योगों के लाइसेंस नवीनीकरण की खानापूर्ति न करें अधिकारी (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में प्लास्टिक पालीथिन का निर्माण तथा उपयोग वर्ष 2013 से प्रतिबंधित है, इसके बावजूद पालीथिन बन रही है और इसका उपयोग भी हो रहा है। पालीथिन का इस्तेमाल राज्य में प्रदूषण की बड़ी समस्या का कारण बनकर सामने आया है।

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    हरियाणा के पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिए कि पालीथिन के नुकसान के बारे में आमजन को जागरूक करने हेतु विशेष अभियान चलाया जाए। इसमें जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, सिंचाई एवं जलसंसाधन विभाग, उद्योग एवं वाणिज्य और शहरी स्थानीय निकाय विभाग की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

    पर्यावरण मंत्री ने स्पष्ट कहा कि रेड, आरेंज और ग्रीन कैटेगरी के उद्योगों के लाइसेंस नवीनीकरण से पहले क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा साइट पर जाकर व्यक्तिगत निरीक्षण किया जाना चाहिए। केवल कार्यालय में बैठकर दलालों के माध्यम से खानापूर्ति किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं होगी।

    उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पालीथिन का इस्तेमाल रोकने के लिए चलाए जाने वाले अभियान की शुरुआत शहरों से की जाए और इसके लिए एक विस्तृत कार्ययोजना एक महीने के भीतर तैयार कर प्रस्तुत की जाए।

    राव नरबीर चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। बैठक में बोर्ड के चेयरमैन विनीत गर्ग सहित संबंधित विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं नामित नोडल अधिकारी उपस्थित रहे।

    पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उद्योगों का व्यक्तिगत निरीक्षण अवश्य करें। उन्होंने निर्देश दिए कि उद्योग लगाने या एनओसी के लिए आनलाइन पोर्टल पर आवेदन आने पर क्षेत्रीय अधिकारी सभी आपत्तियां एक ही बार में दर्ज करें।

    बैठक में मंत्री को अवगत कराया कि हरियाणा में यमुना नदी में कुल 11 मुख्य ड्रेन मिलती हैं, जिनके माध्यम से उद्योगों का दूषित पानी पहुंचता है। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने निर्देश दिए कि सीइटीपी और एसटीपी से जुड़े कार्यों में तेजी लाई जाए।

    रेवाड़ी, बावल और धारूहेड़ा के एसटीपी पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं। राव नरबीर ने कहा कि मसानी बैराज के निकट 25-26 गांवों में जलभराव की स्थिति बनी रहती है। सिंचाई विभाग पाइपलाइन के माध्यम से इस पानी की निकासी कर इसे राजस्थान की ओर बहने वाली नदी तक पहुंचाने की योजना तैयार करे और इस पानी को उपचारित कर कृषि में पुन: उपयोग किया जाए।

    बैठक के दौरान हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव योगेश कुमार ने मंत्री को आश्वस्त किया कि आगामी सप्ताह में पानीपत, सोनीपत, झज्जर और गुरुग्राम स्थित एसटीपी का स्वयं निरीक्षण करेंगे और संबंधित क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी करेंगे।