पंचकूला में वार्डबंदी पर सियासी भूचाल, कांग्रेस के हाईकोर्ट जाने के संकेत, आपत्तियों पर मंथन तेज
पंचकूला नगर निगम की प्रस्तावित वार्डबंदी पर राजनीतिक घमासान मचा है। कांग्रेस सहित कई दलों ने वार्डों के स्वरूप पर आपत्ति जताई है, और हाईकोर्ट जाने की ...और पढ़ें

नगर निगम की प्रस्तावित वार्डबंदी की ड्राॅफ्ट नोटिफिकेशन ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी।
राजेश मलकानियां, पंचकूला। नगर निगम पंचकूला की प्रस्तावित वार्डबंदी की ड्राॅफ्ट नोटिफिकेशन ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस सहित 10 विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने वार्डों के स्वरूप पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराते हुए प्रशासन के समक्ष सवालों की लंबी सूची प्रस्तुत की है। इन आपत्तियों के समर्थन में सैकड़ों लोगों के हस्ताक्षर हैं, जिससे यह मुद्दा अब केवल कागजी नहीं बल्कि जनभावनाओं से जुड़ा मामला बन गया है।
कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि यदि उनकी आपत्तियों को गंभीरता से नहीं लिया गया और वार्डबंदी में आवश्यक सुधार नहीं किए गए, तो पार्टी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पीछे नहीं हटेगी। कांग्रेस का आरोप है कि वार्डों की सीमाएं राजनीतिक लाभ-हानि को ध्यान में रखकर तय की गई हैं, जिससे निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
जननायक जनता पार्टी (जजपा) भी इस घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए है। जजपा ने कई वार्डों की भौगोलिक और जनसंख्या संरचना को लेकर आपत्तियां जताई हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि वर्तमान ड्राफ्ट में कई वार्ड असंतुलित हैं, जिससे भविष्य में प्रशासनिक और चुनावी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं।
21 दिसंबर को उपायुक्त और नगर निगम आयुक्त कार्यालय में आपत्ति व सुझाव देने की अंतिम तिथि थी। अब शुक्रवार को उपायुक्त सतपाल शर्मा इन सभी आपत्तियों की समीक्षा कर अर्बन लोकल बाडीज डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को रिपोर्ट भेज सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रशासनिक स्तर पर इस पूरे मामले को लेकर गंभीर मंथन चल रहा है।
विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि प्रशासन सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को निजी सुनवाई के लिए बुलाने की तैयारी में है। इस दौरान वार्डबंदी को अंतिम रूप देने वाले अधिकारियों से भी आमने-सामने चर्चा हो सकती है। यदि आवश्यक हुआ, तो वार्डों में आंशिक संशोधन कर एक सप्ताह के भीतर फाइनल नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है।
फाइनल नोटिफिकेशन के बाद सरकार निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर नगर निगम चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर सकती है, हालांकि चुनाव करवाने में 45 से 60 दिन का समय लग सकता है।
प्रशासन यह भी चाहता है कि किसी भी कानूनी फजीहत से पहले पूरा होमवर्क कर लिया जाए, ताकि हाईकोर्ट में मजबूत पक्ष रखा जा सके। पूर्व नगर परिषद प्रधान रविंद्र रावल ने स्पष्ट कहा कि हमने अपनी आपत्तियां दर्ज करा दी हैं। अब फैसला सरकार को करना है। अगर निर्णय न्यायसंगत नहीं हुआ, तो हाईकोर्ट जाना तय है।
आपत्तियों में शामिल वार्डों की जानकारी इस प्रकार है
वार्ड नं-2, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, और 17 में भौगोलिक असंगतियों और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के आधार पर आपत्तियां दर्ज की गई हैं। इन वार्डों में विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में भौगोलिक संपर्क की कमी और प्रशासनिक समानता का ध्यान नहीं रखा गया है, जिससे चुनावी प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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