क्या बदलेगी पंचकूला की वार्डबंदी? आपत्ति दर्ज करवाने वालों से मंथन, आरोप-बाहरी दबाव में पूरी हुई प्रक्रिया
पंचकूला नगर निगम की वार्डबंदी प्रक्रिया पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने गंभीर आपत्तियां उठाई हैं। आबादी के आंकड़ों में गड़बड़ी और बाहरी दबाव में प्रक्रिया ...और पढ़ें

नगर निगम की वार्डबंदी प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, पंचकूला। नगर निगम की वार्डबंदी प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। मतदाता संख्या में गड़बड़ी और किसी बाहरी दवाब में प्रक्रिया पूरी होने जैसे आरोप हैं। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी के नेताओं ने आपत्तियां और सुझाव दर्ज कराएं हैं, जिन पर जिला उपायुक्त कार्यालय में हुई बैठक में मंथन किया गया।
कांग्रेस पार्टी की ओर से रविंद्र रावल, जिला प्रधान संजय चौहान और पार्षद अक्षयदीप चौधरी ने वार्डबंदी को लेकर पार्टी द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट और जनहित से जुड़े सुझाव रखे। उन्होंने मांग की कि इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए वार्डबंदी में आवश्यक सुधार किए जाएं, ताकि आम नागरिकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उपायुक्त सतपाल शर्मा ने सभी बिंदुओं को ध्यानपूर्वक सुनते हुए जल्द उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
9 दिसंबर को हुई थी वार्डबंदी
नगर निगम के आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए उपायुक्त पंचकूला की अध्यक्षता में गठित एडहाक कमेटी ने 9 दिसंबर 2025 को पंचकूला नगर निगम के सभी 20 वार्डों के परिसीमन का कार्य पूरा कर अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेज दी थी। आरोप लगाया है कि वार्डबंदी के गठन में नियमों और कानूनों की अनदेखी की गई है।
ओपी सिहाग ने बताया कि दिसंबर 2020 में हुए पिछले नगर निगम चुनावों के समय निगम क्षेत्र की आबादी लगभग 3 लाख 17 हजार थी, जबकि अब एफआइडीआर के आंकड़ों के अनुसार आबादी 2 लाख 66 हजार 151 दर्शाई जा रही है।
वोटर लिस्ट पर उठ रहे सवाल
चुनाव आयोग द्वारा जारी ताजा वोटर लिस्ट के अनुसार निगम क्षेत्र में कुल 2 लाख 8 हजार 212 मतदाता हैं। जननायक जनता पार्टी का कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार वोटों के आधार पर आबादी लगभग 2 लाख 91 हजार 497 बनती है।
यह स्पष्ट होता है कि कागजों में नगर निगम क्षेत्र की आबादी घटती दिखाई जा रही है, जो सभी के लिए हैरानी की बात है। हरियाणा नगर निगम अधिनियम के अनुसार जिस क्षेत्र की आबादी 3 लाख से अधिक हो, वहीं नगर निगम का गठन किया जा सकता है।
नगर निगम के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न
ऐसे में वर्तमान आंकड़ों के अनुसार पंचकूला नगर निगम के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा होता है। 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है, फिर नगर निगम क्षेत्र की सही आबादी और बीसी-एससी वर्गों के आरक्षण से संबंधित जातीय आंकड़े बिना सर्वे के कैसे तय किए गए, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए ताकि जनता में किसी प्रकार का भ्रम न रहे।
क्या कहते हैं नेता
जननायक जनता पार्टी के जिला प्रधान ओपी सिहाग ने वार्डों के क्षेत्र निर्धारण पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि कई वार्डों में निर्धारित मापदंडों की अनदेखी की गई है। वार्ड नंबर-2 में एमडीसी सेक्टर-5 के साथ सेक्टर-2 और माजरी गांव को शामिल किया गया है।
वार्ड नंबर 14 में महेशपुर, आधा सेक्टर-21, आधा फतेहपुर और सेक्टर-20 की आधी सोसायटियों को जोड़ दिया गया है। यह प्रक्रिया वार्डबंदी के सिद्धांतों के विरुद्ध है और संभवतः किसी बाहरी दबाव में की गई है।
आम आदमी पार्टी के जिला प्रधान राजीव मनोचा ने भी वार्डबंदी को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह प्रक्रिया चालाकी से की गई है और जहां भाजपा को अपनी स्थिति मजबूत दिखी, वहां वार्डों को अपने अनुसार तोड़ा-मरोड़ा गया है, जबकि आम जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया।
पूर्व नगर परिषद प्रधान रविंद्र रावल ने कहा कि पार्टी जिले की जनसमस्याओं के समाधान के लिए लगातार प्रयासरत है और वार्डबंदी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर जनता की आवाज को मजबूती से उठाया जाएगा।

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