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    पंचकूला में लिंगानुपात में उल्लेखनीय सुधार, 2025 में 951 पहुंचा; अवैध गर्भपात में आई 82% कमी

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 04:10 PM (IST)

    पंचकूला जिले में लिंगानुपात में सुधार हुआ है। साल 2024 में यह 914 था जो 2025 में बढ़कर 951 हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अल्ट्रासाउंड और एमटीपी केंद्रों पर सख्ती की है जिससे अवैध गर्भपात के मामलों में 82% की कमी आई है। मुखबिरों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है और उनकी गोपनीयता बनाए रखी जाती है।

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    पंचकूला में लिंगानुपात में हुआ उल्लेखनीय सुधार (फोटो: जागरण)

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। जनवरी–सितंबर 2024 के दौरान जिले का जन्म के समय लिंगानुपात 914 था, जो जनवरी–सितंबर 2025 के दौरान 37 अंकों की वृद्धि के साथ 951 हो गया है। यह जानकारी सीएमओ डा. मुक्ता कुमार ने शुक्रवार को पत्रकारवार्ता में दी।

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    उन्होंने बताया कि जिले में अल्ट्रासाउंड एवं एमटीपी केंद्रों को विनियमित करने और अवैध प्रथाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। यह सुधार उन्हीं का नतीजा है। सिविल सर्जन ने बताया कि उल्लंघनों की सूचना देने हेतु सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

    पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के अंतर्गत मुखबिर को 1,00,000 रुपये और डिकाय को 25,000 रुपये दिए जाते हैं। एमटीपी अधिनियम के अंतर्गत मुखबिर को 10,000 रुपये और डिकाय को 25,000 रुपये दिए जाते हैं। मुखबिरों और डिकाय की गोपनीयता एवं सुरक्षा का सख्ती से पालन किया जाता है।

    इसका नतीजा यह रहा कि 12 सप्ताह से अधिक के गर्भपात मामलों की संख्या 82 प्रतिशत से अधिक कमी के साथ 2024 में 355 से घटकर सितंबर 2025 तक केवल 63 रह गई है। सीएमओ डा. मुक्ता कुमार ने बताया कि जिले के चापलाना, मांधना, समलेहड़ी, पिंजौर-II, रतपुर, कोट, खतौली, ककराली, टिक्कर और चंडी टांडा गांव ने लिंगानुपात के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है जबकि भोरियां, भोज कोटी, खेतपुराली, मौली, मोरनी, प्यारेवाला, पलासारा, पुराना पंचकूला, धारला और चिकन का प्रदर्शन खराब रहा है।

    स्वास्थ्य विभाग की ओर से एएनसी के सभी मामलों के लिए अल्ट्रासाउंड से पहले आरसीएच आईडी का प्रवर्तन को अनिवार्य किया गया है। उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध छापेमारी एवं एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की गई। 12 सप्ताह से अधिक गर्भपात मामलों की रिवर्स ट्रैकिंग की गई।

    सितंबर 2025 तक 60 मामलों की ट्रैकिंग हो चुकी है और दो एफआइआर दर्ज की गई हैं। इसके अलावा मानकों का उल्लंघन करने वाले एमटीपी केंद्रों का पंजीकरण रद्द किया गया। निरीक्षण एवं मानिटरिंग तंत्र को मजबूत किया गया।

    सिविल सर्जन ने यह भी बताया कि निजी अस्पतालों में सामान्य प्रसव कराने को प्राथमिकता दी जाती है। आंकड़ों के अनुसार निजी अस्पतालों में आपरेशन दर 70 प्रतिशत से अधिक है, जबकि सरकारी संस्थानों में यह 30 प्रतिशत से कम है। उन्होंने जनता से अपील की कि सुरक्षित, वैज्ञानिक एवं किफायती मातृ स्वास्थ्य सेवाओं हेतु प्रसव को सरकारी संस्थानों में प्राथमिकता दें।

    जिले में संसाधनों की संख्या

    पंजीकृत अल्ट्रासाउंड केंद्र: 57

    पंजीकृत एमटीपी केंद्र: 33

    निरीक्षण किए गए पीएनडीटी केंद्र: 137

    निरीक्षण किए गए एमटीपी केंद्र: 46

    बीएएमएस डाक्टर: 15

    कारण बताओ नोटिस जारी: 11 (7 पीसी-पीएनडीटी के अंतर्गत, 4 एमटीपी अधिनियम के अंतर्गत)

    एमटीपी केंद्र रद्द: 20

    सफल छापे: 7 (पीसी-पीएनडीटी/एमटीपी अधिनियम के अंतर्गत)