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    हरियाणा में नया कानून लागू, खून के रिश्ते में होगा साझी जमीन का बंटवारा; 15 लाख किसानों को मिली राहत

    हरियाणा (Haryana News) में अब पति-पत्नी को छोड़कर साझे खाते की जमीन का बंटवारा खून के रिश्तों में भी होगा। विधानसभा में वीरवार को हरियाणा भू-राजस्व (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया गया। इस नए कानून से प्रदेश के 14 से 15 लाख किसानों को राहत मिलेगी। बता दें कि प्रदेश में साझा भूमि के विवाद को लेकर एक लाख से अधिक केस चल रहे हैं।

    By Sudhir Tanwar Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 21 Mar 2025 03:43 PM (IST)
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    हरियाणा में खून के रिश्ते में होगा साझी जमीन का बंटवारा। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा (Haryana News) में अब पति-पत्नी को छोड़कर साझे खाते की जमीन का बंटवारा खून के रिश्तों में भी होगा। विधानसभा में वीरवार को हरियाणा भू-राजस्व (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया गया।

    15 लाख किसानों को मिलेगी राहत

    सदन पटल पर विधेयक को रखते हुए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने दावा किया कि नए कानून से प्रदेश के 14 से 15 लाख किसानों को राहत मिलेगी। साझा भूमि के विवाद को लेकर सहायक कलेक्टर एवं तहसीलदार की अदालतों में एक लाख से अधिक केस चल रहे हैं।

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    पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में संयुक्त मालिकों में साझी जमीन का बंटवारा करने के लिए कानून में धारा 111-क जोड़ी गई थी, परंतु रक्त संबंधियों और पति-पत्नी को इससे अलग रखा गया। इससे रक्त संबंधी सह-स्वामित्वकर्ताओं के बीच भी संयुक्त हिस्सेदारी के मामलों में मुकदमेबाजी हो रही है।

    पति-पत्नी को छोड़कर सभी पर लागू होगी यह धारा

    ऐसे में उन सभी मामलों में, जहां कोई रक्त संबंधी सह-स्वामित्वकर्ता संयुक्त भूमि पर हिस्सेदारी की मांग करता है, को राहत के लिए नियमों में नई धारा जोड़ी गई है। पति-पत्नी को छोड़कर यह धारा सभी पर लागू होगी, चाहे साझी भूमि के मालिक खून के रिश्ते में ही क्यों न हों।

    अधिनियम की धारा 114 के अनुसार राजस्व अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि कोई अन्य सह-स्वामी अपनी हिस्सेदारी की जमीन का बंटवारा करना चाहते हैं या नहीं। यदि हां तो उन्हें भी बंटवारे के लिए आवेदनकर्ताओं के रूप में जोड़ा जाएगा।

    आपसी सहमति से बंटवारा नहीं वाले जमीनों का ऐसे होगा बंटवारा

    नए कानून के अनुसार पति-पत्नी को छोड़कर सभी संयुक्त भू-मालिक, चाहे वे खून के रिश्ते में ही क्यों न हों, उन्हें संबंधित सहायक कलेक्टर एवं तहसीलदार के नोटिस जारी करने की तिथि से छह माह के भीतर बंटवारे का राजीनामा पेश करना होगा।

    अगर निर्धारित अवधि में सभी संयुक्त भू-मालिकों द्वारा आपसी सहमति से भूमि विभाजन का करार पेश नहीं किया जाता तो राजस्व अधिकारी छह महीने का समय और दे सकते हैं। यदि सभी संयुक्त भू-मालिकों द्वारा आपसी सहमति से भूमि विभाजन का करार पेश किया जाता है, तो संशोधित अधिनियम की धारा 111-क (3) के अंतर्गत भूमि के विभाजन का इंतकाल धारा 123 के प्रविधान के अंतर्गत कर दिया जाएगा।

    यदि सभी संयुक्त भू-मालिकों का आपसी सहमति से बंटवारा नहीं हो पाता है, तो सहायक कलेक्टर एवं तहसीलदार की कोर्ट छह महीने के अंदर ऐसी जमीन का बंटवारा सुनिश्चित करेंगी।

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