मंत्रिमंडल के गठन को लेकर फंसी नायब सरकार, संविधान के उल्लंघन का लगा आरोप; हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
हरियाणा में 15वीं विधानसभा में कुल विधायकों के 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र से जवाब तलब किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मंत्रिमंडल में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं मगर हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं जो कि संविधान संशोधन का उल्लंघन है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की 90 सदस्यीय 15वीं विधानसभा में कुल विधायकों के 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व केंद्र से जवाब तलब किया है।
मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि इस विषय पर पहले भी एक याचिका दायर की गई थी और सरकार ने उसमें जवाब दायर कर रखा है। सरकार के इस जवाब पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागु एवं जस्टिस अनिल खेत्रपाल की खंडपीठ ने इस याचिका को पहले से विचाराधीन याचिका के साथ 19 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
याचिका में मंत्रिमंडल के गठन को ठहराया गलत
कोर्ट ने सभी पक्षों को अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रखने का भी आदेश दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि मंत्रिमंडल में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं, मगर हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान संशोधन का उल्लंघन है।
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इस मामले को लेकर एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने याचिका दायर कर बताया कि संविधान के 91वें संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। हरियाणा विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 90 है। ऐसे में संविधान के संशोधन के अनुसार कैबिनेट में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं। लेकिन हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान के संशोधन का उल्लंघन है।
'विधायकों को खुश करने के लिए बनाया गया मंत्री'
याचिका में भट्टी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अनिल विज, कृष्णलाल पंवार, राव नरबीर, महिपाल ढांडा, विपुल गोयल, डॉ. अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, रणबीर गंगवा, कृष्ण कुमार बेदी, श्रुति चौधरी, आरती राव, राजेश नागर और गौरव गौतम के अलावा केंद्र सरकार व हरियाणा विधानसभा को प्रतिवादी बनाया है।
याचिकाकर्ता में आरोप लगाया गया कि हरियाणा सरकार द्वारा जो मंत्री पद और कैबिनेट रैंक बांटी गई है, उसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। विधायकों को खुश करने के लिए मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनको भुगतान जनता की गाढ़ी कमाई से किया जाता है।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा कि तय संख्या से अधिक मंत्री होने के चलते अतिरिक्त मंत्रियों को हटाया जाए। इसके साथ ही याचिका लंबित रहते उनको मिलने वाले लाभ पर रोक पर रोक लगाए जाने की भी हाईकोर्ट से मांग की गई हैं।
मनोहर लाल सरकार के खिलाफ भी दायर किया था याचिका
इससे पहले भी एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने 13वीं व 14वीं विधानसभा के दौरान 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
प्रदेश में जब मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और उसके बाद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था और सैनी ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था, उसको लेकर भी भट्टी ने याचिका दायर की थी जो अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। अब इन सभी याचिका पर हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा।
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