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    Chandigarh News: नूंह हिंसा में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने जारी की रिपोर्ट, स्थानीय लोगों के शामिल न होने का किया दावा

    By Sudhir TanwarEdited By: Deepak Saxena
    Updated: Sat, 14 Oct 2023 10:49 PM (IST)

    हरियाणा में नूंह हिंसा (Nuh violence) को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने रिपोर्ट जारी की है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ये हिंसा कोई संगठित अपराध नहीं है। इसके साथ ही हिंसा फैलाने में इंटरनेट मीडिया का दुरुपयोग बताते हुए कहा कि इस हिंसा में बाहर से लोग आए हुए थे लेकिन इसमें स्थानीय लोग नहीं शामिल हुए थे।

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    नूंह हिंसा में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने जारी की रिपोर्ट।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में नूंह हिंसा को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने जांच पूरी कर ली है। रिपोर्ट में हिंसा को संगठित अपराध नहीं बताया गया है। साथ ही स्थानीय प्रशासन की भी कोई विफलता नहीं बताई गई है। हालांकि कुछ कमियों की ओर जरूर इशारा किया गया है। रिपोर्ट में हिंसा फैलाने में स्थानीय लोगों के शामिल नहीं होने का दावा करते हुए बाहर से आए उपद्रवियों को जिम्मेदार बताया गया है।

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    31 जुलाई को नूंह में विहिप की शोभायात्रा पर पथराव के बाद हिंसा की शुरुआत हुई थी। आगजनी में दो होमगार्ड और एक मौलवी सहित छह लोगों की मौत हो गई थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि कुछ युवा इंटरनेट मीडिया के माध्यम से फैलाए गए झूठे प्रचार के कारण उत्तेजना का शिकार हो गए।

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    हिंसा के दौरान इंटरनेट मीडिया का हुआ दुरुपयोग

    आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में दोनों समुदायों के लोगों के साथ-साथ प्रशासन के अधिकारियों से भी बातचीत का उल्लेख किया है। लोगों का कहना है कि हिंसा करने वाले लोग बाहरी थे, जबकि स्थानीय मुसलमानों ने मंदिरों की रक्षा की और हिंदुओं ने मस्जिदों की रक्षा की है। हिंसा के दौरान ऐसा सौहार्द भी हरियाणा के हिंसा प्रभावित क्षेत्र में देखने को मिला है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में हिंसा को निराशाजनक घटना बताया है। हिंसा के दौरान इंटरनेट मीडिया का जमकर दुरुपयोग किया गया, जिससे पूरा माहौल ही बिगड़ गया था।

    सभी पहलुओं पर की जांच

    नूंह और गुरुग्राम का दौरा करने से लेकर पीड़ितों से मिलने और विस्तृत रिपोर्ट मांगने तक आयोग ने सभी पहलुओं पर जांच की है। आयोग की ओर से इस संबंध में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए अपील भी की गई है। आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह मालपुरा ने कहा कि हिंसा संगठित अपराध नहीं थी। इंटरनेट मीडिया से फैली गलत सूचना ने हालात को खराब कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं इसे प्रशासन की विफलता नहीं कहूंगा, लेकिन कमियां जरूर थीं।

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