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    हरियाणा में MBBS एडमिशन प्रक्रिया फिर विवादों में, हाईकोर्ट ने प्रवेश कमेटी से मांगा जवाब

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 11:06 AM (IST)

    हरियाणा में एमबीबीएस प्रवेश प्रक्रिया फिर से विवादों में है। देव धारीवाल और अन्य ने नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित सीटों को स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को आवंटित किया गया जो सरकारी नियमों के खिलाफ है। उन्होंने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर सीटें आवंटित करने का आरोप भी लगाया है।

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    पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रवेश कमिटी से मांगा जवाब

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में एमबीबीएस की प्रवेश प्रक्रिया एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। देव धारीवाल व अन्य अभ्यर्थियों ने नियमों के खिलाफ प्रवेश देने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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    कोर्ट को बताया गया कि इस वर्ष भी प्रवेश प्रक्रिया में धांधली कर पात्र उम्मीदवारों को बाहर किया गया और सीटों का आवंटन नियमों के विपरीत किया गया है। याची पक्ष के वकील प्रदीप सौलथ ने बेंच को बताया कि याचिकाकर्ता दिव्यांग पूर्व सैनिकों के आश्रित हैं और उन्होंने पूर्व सैनिक कोटे के तहत एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आवेदन किया था। लेकिन प्रवेश कमेटी ने अवैध रूप से पूर्व सैनिकों की निर्धारित सीटों को स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के नाम कर दिया।

    याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह पूरी तरह से सरकार की अधिसूचनाओं के विरुद्ध है। कोर्ट को बताया गया कि हरियाणा सरकार ने 27 अक्टूबर 2021 और 20 अप्रैल 2022 की अधिसूचनाओं में साफ कर दिया था कि केवल वे सीटें, जो पूर्व सैनिक कोटे से रिक्त रह जाएं, उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को दिया जा सकता है।

    इसके अतिरिक्त, स्वतंत्रता सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र केवल हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा जारी किया जाना चाहिए। इसके बावजूद प्रवेश कमेटी ने कई संदिग्ध और कथित रूप से झूठे प्रमाण पत्रों को स्वीकार कर लिया।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि आजादी के 78 वर्ष बाद किसी स्वतंत्रता सेनानी का पोता या पोती 18 वर्ष की आयु का होना संभव नहीं है। ऐसे में प्रस्तुत किए गए अधिकतर आश्रित प्रमाण पत्र अविश्वसनीय प्रतीत होते हैं। उन्होंने कमेटी पर आरोप लगाया कि वास्तविक पात्र उम्मीदवारों को वंचित कर ऐसे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सीटें बांटी गईं।

    याचिका में यह भी कहा गया कि प्रवेश कमेटी ने ईडब्ल्यूएस-दिव्यांग श्रेणी की रिक्त सीटों को भी संबंधित पात्र उम्मीदवारों को देने की बजाय सामान्य ईडब्ल्यूएस आवेदकों को आवंटित कर दिया। इससे कई दिव्यांग अभ्यर्थी प्रवेश के अधिकार से वंचित रह गए। हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार और पीजीआइ रोहतक की प्रवेश कमेटी से विस्तृत जवाब तलब किया है।