खुलते ही वाड्रा-हुड्डा की मुश्किलें बढ़ाएगी जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट
हरियाणा में भूमि घोटाले की जांच करने वाले जस्टिस ढ़ींगरा आयोग की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से राबर्ट वाड्रा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ सकती हैंं।
जेएनएन, चंडीगढ़। पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में अधिग्रहीत जमीन घोटालों की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट में कई राज छिपे हैैं। गुरुग्राम के मानेसर में तीन गांवों की 688 एकड़ जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामले में जस्टिस ढींगरा आयोग की रिपोर्ट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राॅबर्ट वाड्रा और रियल इस्टेट की नामचीन कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैैं। हाई कोर्ट ने अभी जस्टिस ढींगरा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर रोक लगा रखी है। लेकिन, बताया जाता है कि जब यह सार्वजनिक होगी तो बड़ा हंगामा हो सकता है।
जस्टिस ढींगरा आयोग की रिपोर्ट में छिपी जमीनों की सीएलयू की सच्चाई
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर रोक लगा रखी है। इसके विपरीत सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक सीनियर वकील ने कहा कि खुद हरियाणा सरकार ने अदालत में अंडर टेकिंग दे रखी है कि वह फैसला आ जाने से पहले रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करेगी।
यह भी पढ़ें: अब भाजपा विधायक विक्रम ठेकेदार ने भी खोला सीएम के खिलाफ मोर्चा
हाई कोर्ट में जस्टिस ढींगरा आयोग के गठन और उनकी रिपोर्ट को चुनौती देने के कारण इसे विधानसभा के पटल पर नहीं रखा जा सका है। आयोग ने गुरुग्राम के सेक्टर 83 समेत शिकोहपुर, सिकदंरपुर, खेड़की दौला और सिही गांवों में जमीनों को वाणिज्यिक लाइसेंस दिए जाने में बरती गई अनियमितताओं की जांच की है। सुप्रीम कोर्ट ने मानेसर के जिन तीन गांवों मानेसर, नखडौला तथा नौरंगपुर में जमीन अधिग्रहण में बरती गई अनियमितता पर यह रिपोर्ट तलब की है, वहां की जमीनें भी जांच के दायरे में शामिल हैं।
जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट में पहले ही कहा जा चुका कि पिछली हुड्डा सरकार ने कानून को ताक पर रखकर वाड्रा की कंपनियों को फायदा पहुंचाया। रिपोर्ट में छह अलग-अलग मामलों में एफआइआर दर्ज करने की सिफारिश की गई है। जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कई अधिकारियों को भी नियमों के उल्लंघन का आरोपी मानते हुए कार्रवाई का हकदार बताया है।
यह भी पढ़ें: फेसबुक पर आपत्तिजनक फोटो डालने पर भड़के डेराप्रेमी
जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अनेक प्रभावशाली कंपनियों को चेंज आफ लैंड यूज (सीएलयू) सर्टिफिकेट नियमों के विपरीत जाकर जारी किए गए, जिससे चलते जमीनों की कीमतें बढ़ गई। जिन कंपनियों को सीएलयू सर्टिफिकेट दिए गए, उनकी कीमतों में 500 से 800 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ।
जस्टिस ढींगरा ने उदाहरण दिया कि मसलन एक कंपनी ने सात करोड़ रुपये की जमीन खरीदी, लेकिन सीएलयू के बाद यही जमीन 55 करोड़ रुपये से ज्यादा में बेची गई। जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट तैयार करते हुए 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। इनमें दो दर्जन सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।