हरियाणा: 'जिला अध्यक्षों का पावरफुल बनना जरूरी', केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को दी सलाह
हरियाणा कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। पार्टी नेतृत्व ने संभावित नामों पर विचार-विमर्श के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ बैठकें की हैं। पर्यवेक्षकों ने गुटबाजी खत्म करने और संगठन को मजबूत बनाने के लिए जिलाध्यक्षों को शक्तिशाली बनाने का सुझाव दिया है। राहुल गांधी अंतिम नामों पर मुहर लगाएंगे और जल्द ही घोषणा होने की संभावना है।

राज्य ब्यूरो, पंचकूला। हरियाणा में कांग्रेस ‘संगठन सृजन कार्यक्रम’ के तहत पार्टी नेतृत्व ने जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया तेज कर दी है। जिलाध्यक्षों संभावित नामों का पैनल बनाने वाले केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय में बुधवार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ वन-टू-वन बैठक की। बैठक का दौर आगे भी जारी रहेगा।
बताते हैं कि अधिकतर पर्यवेक्षकों ने शीर्ष नेतृत्व को सलाह दी है कि हरियाणा कांग्रेस में नेताओं की आपसी गुटबाजी खत्म करने तथा संगठन को भाजपा के मुकाबले अधिक मजबूत करने के लिए जिलाध्यक्षों का पावरफुल बनाना जरूरी है।
केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने पार्टी के शीर्ष नेताओं से कहा कि जिलाध्यक्षों को प्रदेश के किसी नेता के प्रति उत्तरदायी नहीं बनाकर सीधे केंद्रीय संगठन से जोड़ा जाए, उनसे बातचीत कर फीड बैक लेने के बाद दिशा निर्देश भी दिए जाएं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि उनकी पार्टी के प्रति जिम्मेदारी है, किसी नेता के प्रति अनावश्यक रूप से नहीं है।
अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह कुछ नेताओं की कठपुतली बन सकते हैं। संगठन बनाने के लिए शीर्ष नेतृत्व की ओर से नियुक्त किए गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने प्रदेश के सभी 22 जिलों में ग्राउंड से फीडबैक जुटाने के बाद छह दावेदारों के पैनल बना पार्टी हाईकमान को दे दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी फाइनल पैनल में शामिल नामों पर ही चर्चा करेंगे। इसके बाद पार्टी द्वारा जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा की जाएगी। राहुल गांधी के पास फाइनल रिपोर्ट जाने से पहले केसी वेणुगोपाल और बीके हरिप्रसाद हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से भी बातचीत करेंगे।
प्रदेश में पिछले करीब 11 वर्षों से पार्टी संगठन का गठन नहीं हो पाया है। पार्टी की गुटबाजी व कलेश की वजह से ही संगठन नहीं बन सका। इसी वजह से इस बार राहुल गांधी ने खुद संगठन गठन का मोर्चा संभाला।
राहुल ने चंडीगढ़ आकर केंद्रीय व प्रदेश पर्यवेक्षकों के साथ बैठक भी की थी। जिसके बाद ही संगठन निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हुई थी। छह में से तीन नाम का पैनल बनाने के लिए पार्टी के उच्च पदाधिकारी लगे हुए हैं। तीन में से एक नाम पर मुहर राहुल गांधी की ओर से लगाई जानी है।
पंद्रह जुलाई के बाद किसी भी दिन नामों की घोषणा हो सकती है। प्रदेश कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के चयन को लेकर पार्टी नेतृत्व ने गुजरात का फार्मूला अपनाया है। हरियाणा में नियुक्त किए गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों में से कई ऐसे नेता हैं, जो पहले गुजरात में संगठन सृजन कार्यक्रम का हिस्सा रह चुके हैं।
माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी को देखते हुए सभी नेताओं के समर्थकों की एडजस्टमेंट के लिए जिलाध्यक्ष के साथ कार्यकारी जिलाध्यक्ष भी नियुक्त किए जा सकते हैं। प्रदेश के स्तर पर भी तीन कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष बनाए हुए हैं।
जिलाध्यक्षों की चयन प्रक्रिया के साथ-साथ प्रदेशाध्यक्ष का फैसला भी लंबित है। पिछले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से लेकर अभी तक कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन भी नहीं हो पाया है। बताते हैं कि जिलाध्यक्षों के नाम फाइनल होने के साथ ही सीएलपी लीडर और प्रदेशाध्यक्ष पर भी निर्णय हो सकता है।
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