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पति लंदन तो पत्नी अमेरिका में, गुरुग्राम के दंपती को चाहिए मैरिज सर्टिफिकेट, हाई कोर्ट से मिली अनुमति

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक दंपती ने डिजिटल दस्तावेज से विवाह पंजीकरण की अनुमति मांगी है जिसे हाई कोर्ट ने स्वीकार कर दिया है। दरअसल पति लंदन व पत्नी अमेरिका में रहती है। कोविड के कारण वह खुद उपस्थित नहीं हो सकते।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 04:34 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 08:58 PM (IST)
विदेश में रहने वाले पति-पत्नी ने मींगी डिजिटल मैरिज सर्टिफिकेट देने की इजाजत। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दंपती को विवाह पंजीकरण (marriage registration) करने की अनुमति दी है। हाई कोर्ट ने यह आदेश गुरुग्राम निवासी दंपती अमी रंजन और उनकी पत्नी मिशा वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। बेंच को बताया गया कि अमी रंजन एक आईटी प्रोफेशनल हैं और वे लंदन में रहते हैं। उनकी पत्नी मिशा वर्मा डॉक्टर हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यरत हैं।

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दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज के तहत गुरुग्राम में 7 दिसंबर 2019 को विवाह किया था। शादी के कुछ सप्ताह के बाद वह लंदन और पत्नी अमेरिका चली गई। जब उसने अपनी पत्नी के पास लंदन से अमेरिका जाने के लिए वीजा मांगा तो उसे मैरिज सर्टिफिकेट (Marriage certificate) की आवश्यकता पड़ी। इसके लिए दोनों ने पत्र से गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज अफसर (Deputy commissioner-cum-marriage officer) से उनका विवाह पंजीकरण करने का आग्रह किया।

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दोनों ने कहा कि लाकडाउन के कारण वह विदेश से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज अफसर के सामने पेश हो सकते हैं, परंतु डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज अफसर ने विवाह पंजीकरण करने से इन्कार करते हुए कहा कि दोनों को उनके सामने पेश होना होगा। विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act, 1954) के तहत विवाह का पंजीकरण दोनों के पेश होने के बगैर नहीं हो सकता।

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डीसी के इसी आदेश को अमी रंजन ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट की एकल बेंच ने भी डीसी के आदेश को सही ठहराया था। एकल बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि विवाह प्रमाणपत्र बुक पर हस्ताक्षर करने के लिए मैरिज अफसर के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट नहीं दी जा सकती है। इसके बाद दंपती ने डिविजन बेंच में चुनौती दी थी। जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अर्चना पुरी की खंडपीठ ने अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में दंपती ने मैरिज अफसर के सामने पेश होने से छूट नहीं मांगी है, बल्कि केवल वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का आग्रह किया है।

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बेंच ने कहा कि आज तकनीक तौर पर सभी दस्तावेज डिजिटल रूप में मौजूद हैं। ऐसे में याची के हस्ताक्षर डिजिटल रूप से लिए जा सकते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम इन सभी को कानूनन तौर पर मान्यता भी देता है। खंडपीठ ने पहले कई निर्णयों का उल्लेख करते कहा कि ऐसा कई मामलों में हुआ है कि देश में दूर बैठा या विदेश में रहने वाला व्यक्ति वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम कई कानूनी मामलों में पेश हुए हैं।

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मामले में विवाह पंजीकरण के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश होना विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के खिलाफ नहीं है। हाई कोर्ट ने गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज अफसर के आदेश को रद करते हुए आदेश दिया कि वह याची पति-पत्नी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को स्वीकार करे। कोर्ट ने पति-पत्नी के रिश्तेदारों को गवाह के तौर पर फिजिकल तौर पर गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर-कम-मैरिज अफसर के सामने पेश होने का आदेश देते हुए विवाह का पंजीकरण करने का निर्देश दिया।

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