होडल चुनाव में भाजपा की जीत को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट पहुंचे चौधरी उदयभान, EVM जांच और ट्रायल वोटिंग की उठाई मांग
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने होडल चुनाव में भाजपा की जीत को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने चुनाव याचिका का निपटारा छह महीने में करने और ईवीएम पर ट्रायल वोटिंग की मांग की है। हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। उदयभान ने अदालत से ईवीएम की जांच कराने की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं होडल विधानसभा सीट से उम्मीदवार रहे चौधरी उदयभान ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी चुनाव याचिका का निपटारा छह माह के भीतर करने की मांग की है। चौधरी उदयभान ने कोर्ट रूम में ही ईवीएम पर ट्रायल वोटिंग कराने की भी मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष की इस याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दिया है।
उदयभान ने अपनी याचिका में मांग की है कि उनकी चुनाव याचिका का निपटारा करने में देरी हो रही है। उन्होंने होडल में भाजपा विधायक हरिंदर सिंह की जीत को पहले ही चुनौती दे रखी है। उदयभान की ओर से अदालत में पक्ष रखते हुए हरियाणा के पूर्व एडवोकेट जनरल और भारत सरकार के पूर्व अतिरिक्त सालिसिटर जनरल मोहन जैन ने दलील दी कि जनप्रतिनिधित्व कानून, हाई कोर्ट नियम और सुप्रीम कोर्ट के फैसले यह स्पष्ट करते हैं कि चुनाव याचिकाओं का निपटारा छह माह में करना अनिवार्य है।
मोहन जैन ने अदालत से मांग की कि ईवीएम (बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) की मेमोरी और जले हुए माइक्रो कंट्रोलर की जांच कोर्ट की निगरानी में की जाए। उन्होंने बताया कि इसके लिए निर्धारित 2.36 लाख रुपये की फीस भी जमा कराई जा चुकी है। अर्जी में यह आशंका जताई गई कि सत्ताधारी दल से जुड़े होने के कारण जिला चुनाव अधिकारी पर दबाव पड़ सकता है, इसलिए जांच अदालत के रजिस्ट्रार की देखरेख में कराई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के एक फैसले का हवाला देते हुए मोहन जैन ने कहा कि हरियाणा के पानीपत जिले में हुए एक सरपंच के चुनाव को अदालत में चुनौती दी गई थी, जिसके बाद अदालत की निगरानी में वोटों की गिनती कराई गई थी और नतीजे बदल गए थे। इसी आधार पर उन्होंने मांग रखी कि अदालत कक्ष में कुछ ईवीएम पर कांग्रेस के पक्ष में ट्रायल वोट डलवाए जाएं और यह देखा जाए कि वह वोट वास्तव में किस पक्ष में दर्ज होता है।
पूर्व एडवोकेट जनरल ने याचिका के माध्यम से कोर्ट में कहा कि इस मामले की सुनवाई अक्सर महीनों तक टल जाती है, जबकि कानून के अनुसार चुनाव याचिकाओं का निपटारा छह माह में होना चाहिए और सुनवाई प्रतिदिन होनी चाहिए। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि होडल विधानसभा के चुनाव नतीजों को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाए।
कोर्ट को बताया गया कि चुनाव आयोग ने 17 जून 2025 को नई प्रशासनिक और तकनीकी एसओपी जारी की है। इसमें साफ किया गया है कि उम्मीदवार की मांग पर ईवीएम की जली मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर की जांच की जाएगी। यह जांच इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड के इंजीनियर करेंगे।
जांच के बाद वे प्रमाण पत्र देंगे कि मशीनों की प्रोग्रामिंग सुरक्षित है और किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं हुई है। नई प्रक्रिया में यह भी प्रविधान है कि उम्मीदवार माक पोल की मांग कर सकते हैं। उस स्थिति में चुनाव आयोग की मौजूदगी में मशीन का डेटा दिखाया जाएगा और रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस रिपोर्ट पर केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकारी, इंजीनियर और उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि हस्ताक्षर करेंगे। इसके बाद मशीन पर माक पोल कराया जाएगा।
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