Haryana: 15 मिनट में वापस लें आदेश वरना..., PWD विभाग के नियुक्ति आदेश पर High Court ने दिखाया सख्त रुख
हरियाणा लोक निर्माण विभाग को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट ने साफतौर पर प्रमोशन कर उनको नियुक्ति न देकर प्रमोशन आदेश सील बंद रखने का आदेश दिया था तो नियुक्ति आदेश कैसे जारी किए गए। पीडब्ल्यूडी ने गिरफ्तारी वारंट जारी होने के डर से 15 मिनट में आदेश वापस ले लिए।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा लोक निर्माण विभाग (भवन एवं सड़कें) विभाग को आदेश दिया कि जेई सिविल के पद पर कर्मचारियों के प्रमोशन कर उनको नियुक्ति न देकर प्रमोशन आदेश सील बंद रखे जाएं। लेकिन विभाग ने कोर्ट के आदेश को अनदेखा कर 24 मई 2023 को कर्मचारियों को प्रमोशन देकर उनके नियुक्ति आदेश जारी कर दिए।
अवमानना याचिका पर 25 जनवरी को हाई कोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख
हाई कोर्ट के जस्टिस राजबीर सेहरावत ने कहा कि जब हाई कोर्ट ने साफतौर पर प्रमोशन कर उनको नियुक्ति न देकर प्रमोशन आदेश सील बंद रखने का आदेश दिया था तो नियुक्ति आदेश कैसे जारी किए गए। जस्टिस राजबीर सेहरावत ने सरकार को आदेश दिया कि वह 15 मिनट के भीतर प्रमोशन व पोस्टिंग आदेश वापस ले, अन्यथा कोर्ट विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, इंजीनियर इन चीफ महेश कुमार मदान के खिलाफ वारंट जारी करेगा।
आदेश वापसी के लिए विभाग को दिया 15 मिनट का समय
हरियाणा सरकार ने कोर्ट से आग्रह किया कि उसे इसके लिए सोमवार तक का समय दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने केवल 15 मिनट का समय देते हुए हुए आदेश वापस लेने को कहा। कोर्ट के कड़े रुख को भांपते हुए सरकार ने आनन फानन में प्रमोशन व पोस्टिंग आदेश वापस लेने के आदेश की कॉपी जारी करवाकर कोर्ट में पेश की, जिसके बाद कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया। हाई कोर्ट ने यह आदेश विभाग के एक पूर्व कर्मचारी अशोक कुमार द्वारा दायर याचिका पर जारी किया।
इस याचिका पर कोर्ट ने की थी सुनवाई
अशोक कुमार ने कोर्ट को बताया कि विभाग ने 25 मई 2016 को तैयार संभावित वरिष्ठता सूची पर आपत्तियां मांगे बिना ही सात फरवरी 2018 को प्रमोशन प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके खिलाफ याची ने हाई कोर्ट में 2019 में एक याचिका दायर की थी, उस समय हाई कोर्ट ने विभाग के एसीएस, इंजीनियर इन चीफ, अधीक्षण अभियंता चंडीगढ़ सर्कल, अधिशासी अभियंता निर्माण डिवीजन सहित 59 कर्मचारियों को नोटिस भेज कर वरिष्ठता क्रम पर रोक लगा दी थी व आदेश दिया था कि वरिष्ठता सूची को दुरुस्त किया जाए। हाई कोर्ट में मामला लगभग चार साल से विचाराधीन है और विभाग ने इस मामले में कोई उचित कदम नहीं उठाया।
पिछले दिनों जब याची सेवानिवृत हुआ तो विभाग ने जेई सिविल के पद पर प्रमोशन के आदेश जारी कर दिए। विभाग के इस आदेश के खिलाफ याची ने अवमानना याचिका दायर कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। अवमानना याचिका में बताया गया कि जब उसकी याचिका हाई कोर्ट में लंबित है तो सुपरवाइजर से जेई के पद पर प्रमोशन कैसे की जा सकती है।
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