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    हरियाणा में ग्रुप- सी और डी की भर्तियों के नियमों में बदलाव पर HC सख्त, कहा- जो रूल विज्ञापन में नहीं वो न करें लागू

    हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की भर्ती प्रक्रिया में बनाई गई वरीयता सूची को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी स्थिति में भर्ती विज्ञापन और निर्धारित नियमों की अनदेखी नहीं की जा सकती। आयोग ने ग्रुप सी और डी पदों के लिए एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें आवेदन के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (संयुक्त पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण करना अनिवार्य था।

    By Dayanand Sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 20 Feb 2025 11:30 PM (IST)
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    हरियाणा में ग्रुप सी और डी की नौकरियों में वरीयता लिस्ट को लेकर हाई कोर्ट ने दिए निर्देश (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ग्रुप सी और ग्रुप डी के पदों की भर्ती प्रक्रिया में बनाई गई वरीयता सूची को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।

    कोर्ट ने कहा है कि चयन प्रक्रिया के दौरान किसी ऐसे वरीयता नियम को लागू नहीं किया जा सकता, जो भर्ती विज्ञापन में स्पष्ट रूप से उल्लिखित ना हो। हाई कोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की भर्ती प्रक्रिया में बनाई गई वरीयता सूची को रद कर दिया है।

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    हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने ग्रुप सी और डी पदों के लिए एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें आवेदन के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (संयुक्त पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण करना अनिवार्य था।

    लेकिन मुख्य परीक्षा के दौरान आयोग ने एक वरीयता सूची तैयार की, जिसमें कहा गया कि पूर्व सैनिक श्रेणी में दिव्यांग पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।

    इस पर जस्टिस जगमोहन बंसल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया भर्ती एजेंसी की मर्जी पर निर्भर नहीं हो सकती। यह कानून के शासन के खिलाफ होगा और इसे अनुमति नहीं दी जा सकती।

    जस्टिस ने यह भी कहा कि हालांकि आयोग का दिव्यांग पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता देने का उद्देश्य उचित हो सकता है, लेकिन किसी भी स्थिति में भर्ती विज्ञापन और निर्धारित नियमों की अनदेखी नहीं की जा सकेगी।

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    'नियम का विज्ञापन में उल्लेख होना आवश्यक'

    कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि आयोग श्रेणीवार उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट कर सकता है, लेकिन किसी भी श्रेणी के भीतर अतिरिक्त प्राथमिकता तभी दी जा सकती है जब वह विज्ञापन या कानूनी प्रविधानों में स्पष्ट रूप से उल्लिखित हो।

    यह याचिका उन पूर्व सैनिकों के आश्रितों द्वारा दायर की गई थी, जो पूर्व सैनिक श्रेणी के तहत आरक्षण के पात्र थे। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि मुख्य परीक्षा के दौरान बनाई गई वरीयता सूची के कारण दिव्यांग पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के सदस्यों को उच्च प्राथमिकता दी गई, जिससे मेरिट में कम अंक प्राप्त करने के बावजूद उन्हें चयनित कर लिया गया।

    'मुख्य परीक्षा में प्राथमिकता देना उचित नहीं'

    कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करते हुए कहा कि सरकारी निर्देशों के अनुसार, दिव्यांग पूर्व सैनिकों और उनके परिवार को अंतिम चयन सूची में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ना कि मुख्य परीक्षा के दौरान। कोर्ट ने दोहराया कि कोई भी एजेंसी भर्ती विज्ञापन के नियमों से बाहर जाकर कार्य नहीं कर सकती।

    यदि ऐसा करने की अनुमति दी जाती है तो यह अनिश्चितता और अव्यवस्था को जन्म देगा। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि दिव्यांग पूर्व सैनिकों और उनके परिवारजनों को वरीयता अंतिम चयन सूची में दी जाएगी, ना कि मुख्य परीक्षा के दौरान।

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