हरियाणा में 'कैश फॉर जॉब' घोटाले की जांच में 5 साल की देरी पर HC सख्त, सरकार से पूछा CBI को क्यों ना सौंपी जाए जांच?
Haryana News हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में कैश फॉर जॉब घोटाले की जांच में हो रही देरी पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से सवाल किया है कि अब तक इस मामले में जांच पूरी क्यों नहीं हुई और यह जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को क्यों ना सौंपा जाए?

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में ‘कैश फॉर जॉब’ घोटाले की जांच में छह साल से अधिक की देरी पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है।
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से सवाल किया है कि अब तक इस मामले में जांच पूरी क्यों नहीं हुई और यह जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को क्यों ना सौंपा जाए? यह घोटाला ऑपरेशन थिएटर असिस्टेंट व अन्य प्रतियोगती परीक्षाओं की भर्ती से जुड़ा है, जिसमें उम्मीदवारों से पैसे लेकर चयन सूची में नाम शामिल करने का आरोप है।
मई, 2018 में हाई कोर्ट ने परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं और परिणाम को सील करने और पूरे मामले को राज्य सतर्कता ब्यूरो (अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) को सौंपने का निर्देश दिया था।
छह साल बीतने के बावजूद जांच पूरी नहीं हुई। इस पर हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य को निर्देश दिया जाता है कि वह जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे और यह बताएं कि जांच रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में इतनी देरी क्यों हुई।
हाई कोर्ट ने यह जानकारी भी मांगी कि जांच 2018 से लंबित क्यों है और अब तक निष्कर्ष पर क्यों नहीं पहुंची। यदि जांच इसी तरह अधूरी रहती है तो सरकार को यह भी बताना होगा कि इसे किसी अन्य एजेंसी, जिसमें सीबीआइ भी शामिल है, उसको क्यों ना सौंप दी जाए।
अब 9 मई को सुनवाई करेगी अदालत
इस मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी। कैसे हुआ घोटाला, यह मामला उन उम्मीदवारों की याचिकाओं से जुड़ा है, जिन्होंने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित आपरेशन थिएटर असिस्टेंट की भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि चयन धांधली से भरा हुआ था। परिणाम घोषित होने से एक दिन पहले ही उन्हें कुछ अज्ञात नंबरों से फोन कॉल आने लगे थे।
कॉल करने वाले लोगों ने उनसे 50 हजार रुपये से लेकर 80 हजार रुपये तक की मांग की और कहा कि अगर वे चयन सूची में नाम चाहते हैं, तो यह राशि एक निर्धारित बैंक खाते में जमा करनी होगी।
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कॉल करने वालों के पास थी पूरी जानकारी
हैरान करने वाली बात यह थी कि कॉल करने वालों के पास उम्मीदवारों की पूरी जानकारी थी, जैसे उनके आवेदन पत्र में दर्ज व्यक्तिगत विवरण, उनके साक्षात्कार में प्राप्त अंक, उनकी लिखित परीक्षा में आए अंक (जो उस समय सार्वजनिक नहीं किए गए थे)।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनका नाम चयन में था, लेकिन एचएसएससी के अधिकारियों ने जानबूझकर उनके रोल नंबर को चयन सूची में शामिल नहीं किया। या तो उनके अंकों में हेरफेर किया गया या फिर उनके रोल नंबर ही छिपा दिए गए, ताकि उनसे पैसे वसूले जा सकें। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने नौ मई 2018 को आदेश दिया था कि पूरे मामले की जांच करवाई जाए।
कोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को मामले में उत्तरदायी पक्षकार के रूप में शामिल किया और भर्ती परीक्षा के सील किए गए परिणामों को जांच एजेंसी को सौंपने का आदेश दिया। इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक से संपर्क कर उन बैंक खातों की जांच करने का भी निर्देश दिया गया, जिनमें रिश्वत के पैसे जमा करवाने की मांग की गई थी।
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