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    Haryana Politics: प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लटका, कई मजबूत दावेदार एक्टिव; कसौली कांड से मोहनलाल बडौली को कितना नुकसान?

    Updated: Thu, 16 Jan 2025 06:40 PM (IST)

    हरियाणा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कसौली में लगे दुष्कर्म के आरोपों के बाद टाल दिया गया है। पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव और हरियाणा में ह ...और पढ़ें

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    हरियाणा बीजेपी नेता मोहन लाल बडौली, फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लटक गया है। भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडौली पर कसौली में लगे दुष्कर्म के आरोपों के बाद पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव अगले निर्णय तक टाल दिया है।

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    हालांकि सिर्फ कसौली कांड प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव टालने की वजह नहीं है, दिल्ली में विधानसभा चुनाव और हरियाणा में होने वाले शहरी निकाय चुनाव को भी प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव टालने की वजह बताया जा रहा है।

    यह चुनाव टलने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में अब हरियाणा की भागीदारी नहीं होगी। भाजपा की प्रदेश इकाई द्वारा संगठनात्मक जिले 22 के स्थान पर 26 करने का प्रस्ताव भी शीर्ष नेतृत्व को भेजा गया था, जिसे अभी मंजूर नहीं किया गया है।

    उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन साल बाद होने वाले संगठनात्मक चुनाव में भाजपा के 26 जिलों के चुनाव होंगे। फिलहाल 22 जिलाध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इनमें सात से आठ जिलों के प्रधान बदले जाने की पूरी संभावना है।

    बदले जाएंगे जिलाध्यक्ष

    लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं करने वाले जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। भाजपा की प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ. अर्चना गुप्ता की कोशिश जिलाध्यक्षों व मंडल अध्यक्षों के चुनाव इसी माह पूरे कर लिए जाने की है।

    इस बार भाजपा के मंडलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पहले भाजपा के 313 मंडल थे, जो अब बढ़कर 376 हो गए हैं। हरियाणा भाजपा के प्रभारी डॉ. सतीश पुनिया ने 20 जनवरी के बाद संगठनात्मक चुनाव को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है, जिसमें चुनाव की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।

    उन्होंने संकेत दिए कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में अभी समय लग सकता है, लेकिन मंडल व जिलाध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया को समय रहते पूरा कर लिया जाएगा। हरियाणा भाजपा के अधिकतर नेता फिलहाल पांच फरवरी को दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में जुटे हुए हैं।

    उसके तुरंत बाद राज्य में शहरी निकाय चुनाव होंगे। इससे पहले राज्य सरकार का बजट सत्र भी चलेगा। इसलिए भाजपा नेतृत्व को प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव टालने के बड़े कारण मिल गए हैं, लेकिन मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली का दुष्कर्म के मामले में नाम आ गया है तो पार्टी इस बात से बेहद चिंतित है।

    बीजेपी नहीं देना चाहती विपक्ष को कोई मौका

    मोहन लाल बडौली का दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बनना तय था, मगर पार्टी को लग रहा है कि यदि तुरंत बडौली को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रिपीट कर दिया गया तो विपक्ष को भाजपा पर हमलावर होने का अवसर मिल जाएगा, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को ही टालने का विकल्प चुना गया है।

    पूर्व की भाजपा सरकार में खेल राज्य मंत्री रह चुके संदीप सिंह भी महिला कोच द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों से जूझ चुके हैं। संदीप सिंह को हालांकि मंत्री पद से नहीं हटाया गया था, लेकिन उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला। ऐसी ही संभावना मोहन लाल बडौली के साथ पार्टी द्वारा किए जाने की है।

    उन्हें फिलहाल भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया रखा जाएगा, लेकिन जब नये अध्यक्ष को बनाने की बारी आएगी तो पार्टी किसी नये चेहरे को यह मौका दे सकती है। पार्टी के पास आधा दर्जन मजबूत नेता ऐसे हैं, जो प्रदेश अध्यक्ष के पद की कसौटी पर खरा उतर सकते हैं।

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