Haryana News: ड्यूटी से गायब रहने पर सिपाही की बर्खास्तगी बरकरार, एक साल में 300 से ज्यादा बार की छुट्टी
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक पुलिस कॉन्स्टेबल की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है। कांस्टेबल 2023 में छुट्टी के बाद 300 दिनों से अधिक समय तक ड्यूटी पर नहीं लौटा था। उसने अपनी गैरहाजरी को सही ठहराने के लिए काला जादू से इलाज के दस्तावेज भी दिए थे। अदालत ने कहा कि अनुशासित बल में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

राज्य ब्यूरो, पंचकूला। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक पुलिस कॉन्स्टेबल को सेवा से बर्खास्त किए जाने के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि एक अनुशासित बल में किसी भी तरह की लापरवाही या अनुशासनहीनता को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
संबंधित कॉन्स्टेबल अरशद , हरियाणा पुलिस में 2012 में शामिल हुआ था और 2023 में एक सप्ताह की छुट्टी लेकर गया था, लेकिन वह फिर 300 से अधिक दिनों तक बिना अनुमति ड्यूटी पर नहीं लौटा।
कोर्ट को बताया गया कि मेवात निवासी अरशद ने अपनी गैर-हाजिरी को उचित ठहराने के लिए कुछ चिकित्सा दस्तावेज पेश किए, जिनमें से कुछ में काला जादू से उपचार की बात एक तांत्रिक के ज़रिए कही गई थी।
इस पर जस्टिस जगमोहन बंसल ने टिप्पणी करते हुए कहा, याचिकाकर्ता एक अनुशासित बल का हिस्सा था और उसे नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए था।
सशस्त्र बल किसी भी अनुशासनहीन सदस्य को बर्दाश्त नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता ने याचिका दाखिल कर चार्जशीट, शो काज नोटिस, बर्खास्तगी आदेश और अपील व पुनरीक्षण खारिज करने के आदेशों को चुनौती दी थी।
अरशद 6 अप्रैल 2012 को हरियाणा पुलिस में कॉन्स्टेबल के रूप में शामिल हुए थे। लेकिन जनवरी 2023 में एक सप्ताह की छुट्टी पर जाने के बाद उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। इसके चलते एक सितंबर 2023 को उन्हें निलंबित कर दिया गया।
विभागीय जांच में अरशद को दोषी पाया गया। उन्हें 20 जून 2024 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उनकी अपील 16 अक्टूबर 2024 को और पुनरीक्षण याचिका 21 फरवरी 2025 को खारिज कर दी गई।
जांच में यह भी सामने आया कि अरशद ने 12 वर्षों की सेवा में 42 बार ड्यूटी से अनुपस्थित रहने का रिकार्ड बनाया था। इसके चलते उनके 19 वेतन वृद्धि स्थायी रूप से रोक दिए गए थे और उन्हें चार बड़ी सज़ाएं दी गई थीं।
अपीलीय अधिकारी ने यह भी पाया कि अरशद ने जानबूझकर विभागीय जांच में सहयोग नहीं किया और जादू-टोना जैसे असंगत कारणों के आधार पर मेडिकल दस्तावेज प्रस्तुत किए।जस्टिस जगमोहन बंसल ने कहा कि ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता के आचरण को ‘गंभीरतम कदाचार’ माना जा सकता है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2023 के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बार-बार ड्यूटी से गैरहाजिरी करने वालों के लिए पुलिस या सैन्य बल में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
अंत में, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता का मामला अनुशासन की दृष्टि से गंभीर है और ऐसे कर्मियों को बल में बनाए रखना संभव नहीं। अत: याचिका को खारिज कर दिया गया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।