हरियाणा में भूमि बंटवारे से जुड़े मामलों में आएगी तेजी, सरकार करने जा रही यह व्यवस्था
हरियाणा के राजस्व विभाग ने भूमि बंटवारा मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सहायक कलेक्टरों को प्रति माह न्यूनतम 12 मामले निप ...और पढ़ें

भूमि बंटवारा मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए दिशा-निर्देश जारी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की वित्त आयुक्त (एफसीआर) डाॅ. सुमिता मिश्रा ने राज्यभर में भूमि बंटवारा (पार्टिशन) मामलों के शीघ्र निपटारे के उद्देश्य से व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
इस पहल का उद्देश्य राजस्व न्यायालयों में देरी के कारण लंबे समय से परेशान हजारों नागरिकों को राहत प्रदान करना है। नए निर्देशों के तहत प्रत्येक सहायक कलेक्टर (द्वितीय श्रेणी) को प्रति माह न्यूनतम 12 बंटवारा मामलों का निपटारा अनिवार्य रूप से करना होगा।
इन लक्ष्यों की कड़ाई से निगरानी के लिए तीन स्तरीय मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है। अनुपालन की समीक्षा उप आयुक्त, मंडल आयुक्त और वित्त आयुक्त (राजस्व) स्तर पर मासिक रूप से की जाएगी। सभी जिलों को सख्त निगरानी सुनिश्चित करने और बिना चूक मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
कार्यभार के असमान वितरण पर चिंता व्यक्त करते हुए डा. मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में कुछ तहसीलदार अपेक्षाकृत कम कार्यभार वाली शाखाओं में तैनात हैं। संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे लंबित बंटवारा मामलों को ऐसे तहसीलदारों को स्थानांतरित करें।
प्रति माह न्यूनतम 20 मामलों का लक्ष्य होगा तय
अधिकारियों के लिए प्रति माह न्यूनतम 20 मामलों का लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही, जिला कलेक्टरों को अपने प्रशासनिक नियंत्रण में सभी राजस्व न्यायालयों के बीच बंटवारा मामलों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
आपसी सहमति से समाधान को बढ़ावा देने और मुकदमेबाजी कम करने के लिए एफसीआर ने वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र लागू किया है। इसके तहत उपायुक्त संविदा आधार पर सेवानिवृत्त राजस्व अधिकारियों की सेवाएं लेकर लंबित बंटवारा मामलों का निपटारा कर सकते हैं।
विवादित पक्षों को सहमति से समाधान के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा

सुमिता मिश्रा ने बताया कि ये सेवानिवृत्त अधिकारी गांव स्तर पर एडीआर शिविर आयोजित करेंगे, जहां विवादित पक्षों को आपसी सहमति से समाधान के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
सहमति बनने के बाद संबंधित पक्ष विधिक क्रियान्वयन के लिए संबंधित राजस्व अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होंगे। इस व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति सफल निपटारे पर 10 हजार रुपये का मानदेय स्वीकृत किया गया है, जिसे विवादित पक्ष समान रूप से वहन करेंगे।
उपायुक्तों को आवश्यक निर्देश जारी
संस्थागत क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए सुमिता मिश्रा ने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि जहां आवश्यक हो, वहां राजस्व अधिकारियों को अतिरिक्त स्वतंत्र रीडर उपलब्ध कराए जाएं और स्वतंत्र राजस्व न्यायालय स्थापित किए जाएं।
नियमित न्याय उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नियमित तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को सप्ताह में न्यूनतम तीन दिन राजस्व न्यायालय लगाने तथा अन्य नामित अधिकारियों को सप्ताह में पांच दिन न्यायालय लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
बंटवारा मामलों से जुड़े अधिकारियों के प्रदर्शन की त्रैमासिक समीक्षा की जाएगी। प्रोत्साहन स्वरूप शीर्ष पांच प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों (जो पहले से राजस्व भूमिकाओं में नहीं हैं) उन्हें प्रशासनिक व्यवहार्यता के अधीन अपनी पसंद की तहसीलों में तैनाती दी जा सकती है।
अधिकारी की प्रगति की कड़ाई से होगी समीक्षा
जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लगातार लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाने वाले तहसीलों में तैनात निचले पांच अधिकारियों को गैर-राजस्व दायित्वों में स्थानांतरित किया जा सकता है। यह “कैरट एंड स्टिक” नीति राजस्व प्रशासन में दक्षता और संवेदनशीलता की संस्कृति विकसित करने के लिए अपनाई गई है। वित्तायुक्त ने कहा कि प्रत्येक राजस्व अधिकारी की प्रगति और प्रदर्शन की इन निर्देशों के अनुसार कड़ाई से समीक्षा की जाएगी।

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