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    कौन हैं प्रो. असीम कुमार घोष? जिन्हें बनाया गया हरियाणा का नया राज्यपाल, अटल बिहारी वाजपेयी के थे चहेते

    Updated: Mon, 14 Jul 2025 05:56 PM (IST)

    भाजपा के पूर्व नेता असीम कुमार घोष हरियाणा के नए राज्यपाल नियुक्त किए गए हैं। वे बंडारू दत्तात्रेय का स्थान लेंगे जिन्होंने चार साल तक जिम्मेदारी संभाली। घोष जो पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी थे। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि असीम घोष के अनुभव से राज्य का विकास होगा।

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    पश्चिम बंगाल में भाजपा की जड़ें जमाने वाले प्रोफेसर असीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल। (फोटो- इंटरनेट)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पश्चिम बंगाल में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रो. असीम कुमार घोष हरियाणा के नये राज्यपाल होंगे। एक नवंबर 1966 को अस्तित्व में आए हरियाणा में प्रो. असीम घोष प्रदेश के 19वें राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालेंगे। घोष निवर्तमान राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का स्थान लेंगे।

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    करीब 78 वर्षीय बंडारू दत्तात्रेय चार साल छह दिनों तक हरियाणा के राज्यपाल रहे। बंडारू दत्तात्रेय ने हिमाचल से तबादला होने के बाद सात जुलाई 2021 को हरियाणा के राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला था।

    पश्चिम बंगाल में बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं असीम घोष

    प्रो. असीम घोष 1999 से लेकर 2002 तक पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वे मूल रूप से हावड़ा के रहने वाले हैं। घोष से पहले बीरेंद्र नारायण चक्रवर्ती और हरी आनंद बरारी भी बंगाल के थे।

    उन्होंने दो जून 2013 को हावड़ा लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ा था। यह सीट तृणमूल कांग्रेस की सांसद अंबिका बनर्जी के निधन के बाद खाली हुई थी। असीम घोष उपचुनाव हार गए थे।

    वाजपेयी के चहेते थे असीम घोष

    असीम कोलकाता के मनिंद्र चंद कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर रहे हैं। असीम ने पश्चिम बंगाल में संघ और बीजेपी की जड़ें जमाने में अहम भूमिका निभाई है। अभी पश्चिम बंगाल में पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में रहकर घोष भाजपा की नीतियों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे।

    तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में मंत्री रहे तपन सिकदर असीम को राजनीति में लाए थे। वाजपेयी ने ही घोष की निपुणता को देखते हुए पश्चिम बंगाल में भाजपा की कमान सौंपी थी। पार्टी के भीतर एक बुद्धिजीवी चेहरे के रूप में घोष की पहचान है।

    बंडारू दत्तात्रेय की लेंगे जगह

    हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल और राज्य के शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में विपरीत परिस्थितियों में भी राष्ट्रवाद को प्रखरता से व्यक्त करने वाले शिक्षाविद् प्रोफेसर असीम घोष के राज्यपाल बनने से प्रदेश का चंहुमुखी विकास में योगदान बढ़ेगा।

    बता दें कि बंडारू दत्तात्रेय के कार्यकाल के दौरान हरियाणा में कई राजनीतिक घटनाक्रम हुए हैं। पूर्व भाजपा-जजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान जजपा द्वारा समर्थन वापसी, मनोहर मंत्रिमंडल का इस्तीफा, नायब मंत्रिमंडल का गठन और प्रदेश में भाजपा की तीसरी बार बनी सरकार का शपथ ग्रहण समारोह बंडारू दत्तात्रेय ने ही करवाया था।

    प्रशासनिक बैठकें लेकर चर्चा में आए थे बंडारु

    चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान बंडारू दत्तात्रेय ने परंपरा से हटकर एक बार राजभवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। केंद्र व राज्य सरकारों के फ्लैगशिप कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में उन्होंने विशेष दिलचस्पी दिखाई।

    बंडारू दत्तात्रेय उस समय सबसे अधिक चर्चा में आए थे, जब उन्होंने हरियाणा सरकार के मंत्रियों, सांसदों व विधायकों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों की बैठकें लेनी शुरू कर दी थी। कुछ समय ऐसा करने के बाद उन्होंने अपने को संवैधानिक व सामाजिक कार्यों में व्यस्त कर लिया था।

    सबसे अधिक समय राज्यपाल रहे बीरेंद्र चक्रवर्ती

    हरियाणा में बतौर राज्यपाल सबसे लंबे कार्यकाल का रिकार्ड बीरेंद्र नारायण चक्रवर्ती के नाम है। वे 15 सितंबर 1967 से 26 मार्च 1976 तक राज्यपाल रहे। उनका कार्यकाल कुल आठ वर्ष, छह महीने और 11 दिन का रहा है। सबसे छोटा कार्यकाल ओम प्रकाश वर्मा का दर्ज है, जो दो जुलाई 2004 से सात जुलाई 2004 तक यानी सिर्फ छह दिन का है।

    वर्मा कार्यवाहक राज्यपाल थे, जिन्हें पूर्व राज्यपाल बाबू परमानंद का कार्यकाल समाप्त होने और नये राज्यपाल एआर किदवई की नियुक्ति से पहले राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इनके अलावा, रंजीत सिंह नरूला 27 मार्च 1976 से 13 अगस्त 1976 तक 139 दिन राज्यपाल रहे।

    हरियाणा में कब-कब कौन रहा राज्यपाल

    राज्यपाल का नाम कार्यकाल
    धर्म वीरा 1 नवंबर 1966 से 14 सितंबर 1967
    बीएन चक्रबर्ती 15 सितंबर 1967 से 26 मार्च 1976
    रंजीत सिंह नरूला 27 मार्च 1976 से 13 अगस्त 1976
    जयसुख लाल 14 अगस्त 1976 से 23 सितंबर 1977

    हरचरण सिंह बराड़

    24 सितंबर 1977 से 9 दिसंबर 1979

    सुरजीत सिंह संधवालिया

    10 दिसंबर 1979 से 27 फरवरी 1980

    गणपतिराव देवजी तपासे

    28 फरवरी 1980 से 13 जून 1984

    सैयद मुजफर हुसैन

    14 जून 1984 से 21 फरवरी 1988

    हरीआनंद बरारी

    22 फरवरी 1988 से 6 फरवरी 1990

    धनिक लाल मंडल

    7 फरवरी 1990 से 13 जून 1995

    महाबीर प्रसाद

    14 जून 1995 से 18 जून 2000

    बाबू परमानंद

    19 जून 2000 से 1 जुलाई 2004
    ओपी वर्मा 2 जुलाई 2004 से 7 जुलाई 2004
    एआर किदवई 7 जुलाई 2004 से 27 जुलाई 2009

    जगन्नाथ पहाड़िया

    27 जुलाई 2009 से 26 जुलाई 2014

    कप्तान सिंह सोलंकी

    27 जुलाई 2014 से 25 अगस्त 2018
    सत्यदेव नारायण 25 अगस्त 2018 से 6 जुलाई 2021
    बंडारू दत्तात्रेय 7 जुलाई 2021 से 14 जुलाई 2025

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