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    पोस्टिंग-ट्रांसफर से जुड़ी पावर अपने हाथ में चाहते हैं हरियाणा के मंत्री, अभी ग्रुप-डी के तबादलों का भी अधिकार नहीं

    Updated: Sun, 05 Jan 2025 11:30 PM (IST)

    हरियाणा में नई सरकार बनने के बाद मंत्रियों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से कर्मचारियों के तबादलों के अधिकार मांगे हैं। फिलहाल मंत्री ग्रुप डी के तबादले करने के अधिकार चाहते हैं। मंत्रियों ने यह अधिकार अपने-अपने जिलों के विधायकों की मांग को ध्यान में रखते हुए मांगे हैं। हरियाणा सरकार ने इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया है।

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    हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी बैठक करते हुए (फोटो सोशल मीडिया)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद अब मंत्रियों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से कर्मचारियों के तबादलों के अधिकार मांगे हैं। मंत्री फिलहाल ग्रुप डी के तबादले करने के अधिकार चाहते हैं।

    मंत्रियों ने यह अधिकार अपने-अपने जिलों के विधायकों की मांग को ध्यान में रखते हुए मांगे हैं। हरियाणा सरकार ने इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया है। तबादलों के अधिकार नहीं होने की वजह से मंत्रियों के दरबार की रौनक कम होती जा रही है।

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    सीएम नायब सैनी हाईकमान से करेंगे मुलाकात

    माना जा रहा है कि बहुत जल्दी मुख्यमंत्री नायब सैनी हाईकमान से बातचीत कर इस दिशा में कोई निर्णय कर सकते हैं। हरियाणा में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर पूर्व हुड्डा व मनोहर सरकार में कई तरह के प्रयोग होते रहे हैं।

    पूर्व हुड्डा सरकार में भी मंत्रियों की मांग पर तबादलों के अधिकार दिए गए थे लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया गया था। हुड्डा के बाद सत्ता में आई भाजपा की मनोहर लाल सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान मंत्रियों को शांत करने के लिए हर साल एक-एक माह के लिए ग्रुप डी के तबादलों के अधिकार दिए जाते थे।

    अभी तक केवल सिफारिशों से होता है ट्रांसफर

    मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रियों की मांग पर उन्हें 20 दिन के लिए तबादलों के अधिकार दिए गए थे। प्रदेश में तबादलों को लेकर वर्ष 2019 से एक ही व्यवस्था चली आ रही है, जिसके तहत मंत्री ग्रुप सी व डी के तबादलों को लेकर केवल अपनी सिफारिशें देते हैं, जिसके बाद यह सिफारिशें मुख्यमंत्री के पास जाती हैं। वहां बतौर ओएसडी तैनात एचसीएस स्तर के अधिकारी ही तबादलों पर फैसला लेते हैं।

    हालांकि, इन सिफारिशों को धरातल पर पूरा कराने के लिए विधायकों और मंत्रियों को एचसीएस स्तर के अधिकारी की ना केवल मान मनौवल करनी पड़ती है, बल्कि स्वयं भी चक्कर काटने पड़ते हैं।

    मंत्रियों व विधायकों का मानना है कि उन्हें तबादलों की पावर नहीं होने की वजह से अधिकारी उन पर हावी होते हैं। वर्ष 2024 में मनोहर लाल के स्थान पर जब नायब सैनी को सीएम बनाया गया था, तब भी तबादलों की पावर मंत्रियों को देने की मांग उठी थी, लेकिन तब चुनाव के चलते इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया था।

    अब प्रदेश के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से ग्रुप डी के तबादले करने के अधिकार दिए जाने की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों ने ना केवल पूरी मजबूती से अपनी मांग रखी, बल्कि हर ट्रांसफर के लिए मुख्यमंत्री से पूछने और ओएसडी के फैसले को लेकर नाराजगी भी जताई है, जिसके बाद सीएम ने उचित फैसला लेने का भरोसा दिलाया है।

    मंत्री क्यों चाहते हैं ये अधिकार

    प्रदेश के एक मंत्री ने बताया कि उन्हें किसी कर्मचारी के तबादले को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। सारे तबादले का अधिकार सीएमओ के पास है। सीएमओ में भी एचसीएस स्तर का अधिकारी जब तबादलों की सिफारिश को रोककर बैठता है तो लगता है कि राज्य में सरकार नहीं, बल्कि अफसरशाही काम कर रही है। ऐसी सूरत में तबादलों में देरी हो जाती है। विधायकों को भी यही दिक्कत आ रही है। ऐसे में उनके अधिकारों के प्रति गलत मैसेज जा रहा है।

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