हरियाणा में मंत्रियों की संख्या पर हाई कोर्ट का नोटिस, 15% से अधिक सीमा होने पर उठाए सवाल
हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य में मंत्रियों की संख्या 15% से अधिक होने के मामले में हरियाणा सरकार केंद्र सरकार चुनाव आयोग सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने संविधान के 91वें संशोधन का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या का 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। हाई कोर्ट इस मामले पर 6 मई को सुनवाई करेगा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार, केंद्र सरकार, चुनाव आयोग व अन्य सभी प्रतिवादी पक्ष को छह मई के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हरियाणा की 90 सदस्यीय 15वीं विधानसभा में कुल विधायकों के 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश जारी किया।
15% प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है मंत्रियों की संख्या
इस मामले को लेकर एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने याचिका दायर कर बताया कि संविधान के 91वें संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। हरियाणा विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 90 है।
ऐसे में संविधान के संशोधन के अनुसार कैबिनेट में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं। लेकिन हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं, जो कि संविधान के संशोधन का उल्लंघन है। यह अदालत के ऊपर निर्भर करेगा कि वह 13.5 को 13 मंत्री मानती है या फिर 14 मंत्री मानती है। केंद्र सरकार ने एक केस में ऐसी संख्या को 14 माना हुआ है।
याचिका में इन लोगों को बनाया है प्रतिवादी
याचिका में भट्टी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अनिल विज, कृष्णलाल पंवार, राव नरबीर, महीपाल ढांडा, विपुल गोयल, डॉ अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, रणबीर गंगवा, कृष्ण कुमार बेदी, श्रुति चौधरी, आरती सिंह राव, राजेश नागर और गौरव गौतम के अलावा केंद्र सरकार व हरियाणा विधानसभा को प्रतिवादी बनाया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार द्वारा जो मंत्री पद और कैबिनेट रैंक बांटी गई है, उसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है।
एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने दायर की थी याचिका
याचिका के अनुसार, विधायकों को खुश करने के लिए मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनको भुगतान जनता की गाढ़ी कमाई से किया जाता है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि तय संख्या से अधिक मंत्री होने के चलते अतिरिक्त मंत्रियों को हटाया जाए।
इसके साथ ही याचिका लंबित रहते उनको मिलने वाले लाभ पर रोक पर रोक लगाए जाने की भी हाई कोर्ट से मांग की गई हैं। जब मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और उसके बाद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी भट्टी ने याचिका दायर की थी, जो अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है।
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