हरियाणा स्वास्थ्य विभाग घोटाला: 29 जनवरी तक पेश करना होगा जांच रिपोर्ट, अनिल विज के मंत्री रहते लगा था आरोप
हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में दवाइयां और उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाले मामले में हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। सरकार को 29 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। याचिकाकर्ता ने ईडी से जांच की मांग की है। बता दें कि इस मामले को लेकर साल 2018 में तत्कालीन सांसद दुष्यंत चौटाला ने सीबीआई जांच कराने की मांग की थी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में दवाइयां और उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाले मामले में 24 फरवरी 2020 को शिकायत दर्ज दी गई थी, लेकिन सरकार ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
सितम्बर माह में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागु एवं जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने सरकार को आदेश दिया था कि राज्य के तहत सक्षम प्राधिकारी शिकायत में निहित आरोपों के संबंध में जांच के आदेश दे व रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करें।
29 जनवरी तक रिपोर्ट दायर करने का आदेश
मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले की जांच पूरी होने वाली है और रिपोर्ट दायर करने के लिए उसे समय दिया जाए। सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने 29 जनवरी तक रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया।
पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने इस मामले में कई तारीख बीत जाने के बाद भी जवाब दायर नहीं करने पर सरकार को एक हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए जवाब दायर करने का अंतिम अवसर दिया था। कोर्ट ने यह आदेश जगविंद्र सिंह कुल्हरिया द्वारा वकील प्रदीप रापडिया के जरिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए थे।
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दुष्यंत चौटाला ने की थी सीबीआई जांच की मांग
याचिका के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में हुए दवा खरीद घोटाले के मामले में वर्ष 2018 में तत्कालीन सांसद दुष्यंत चौटाला ने सीबीआई जांच और कैग से ऑडिट कराने की मांग की थी। आरटीआई के अनुसार तीन वर्ष की अवधि में राज्य के सरकारी अस्पतालों में कई करोड़ रुपये की दवाएं और मेडिकल उपकरण बेहद महंगे दामों में खरीदे गए थे।
दुष्यंत ने जब यह मामला उठाया था, तब स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज थे। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि हिसार की एक दवा कंपनी, जिस एड्रेस पर दर्ज है, वहां फर्म की जगह एक धोबी बैठा मिला था। हिसार और फतेहाबाद के सामान्य अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की सप्लाई करने वाली फर्म का मालिक नकली सिक्के बनाने के आरोप में तिहाड़ जेल में था।
मामले की जांच ईडी से कराने की मांग
उसने न केवल जेल से ही टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मी ने उसके झूठे हस्ताक्षर किए। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि दवा और उपकरण सप्लाई करने वाली बहुत सी कंपनियों के पास लाइसेंस ही नहीं था।
जिलों के सिविल सर्जनों ने ना केवल दवाइयां और उपकरण महंगे दामों में खरीदे, बल्कि ऐसी कंपनियों से दवाओं की खरीद कर ली, जो कागजों में करियाना और घी का कारोबार करती हैं। याचिकाकर्ता ने इस पूरे मामले की जांच ईडी से कराने की मांग कर रखी है।
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