अपराधियों को सुधरने का मौका देगी हरियाणा सरकार, सजा के नाम पर कराए जाएंगे सामाजिक कार्य
हरियाणा सरकार ने सामुदायिक सेवा दिशा निर्देश 2025 जारी किए हैं जिसके तहत न्यायाधीशों को अपराधियों को जेल भेजने की बजाय सामुदायिक सेवा का आदेश देने का अधिकार होगा। इसमें कौशल विकास और बाल देखभाल पर भी ध्यान दिया जाएगा। यह कदम भारतीय न्याय संहिता 2023 पर आधारित है और जेलों में भीड़ कम करने में मदद करेगा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने सामुदायिक सेवा दिशा निर्देश 2025 तैयार किए हैं, जिसके तहत अपराधियों को न केवल सुधरने का मौका प्रदान किया जाएगा, बल्कि उन्हें पूरा समय जेल की सलाखों के पीछे डालने के बजाय सामाजिक कार्यों से जोड़ा जाएगा। राज्य सरकार की नीति के तहत न्यायाधीशों को अपराधियों को कारावास के स्थान पर सामुदायिक सेवा सौंपने का विवेकाधिकार होगा।
कार्यों का दायरा व्यापक है। इनमें नदी के किनारे पेड़ लगाना, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में सहायता करना, विरासत स्थलों का रखरखाव करना, सार्वजनिक पार्कों की सफाई करना और स्वच्छ भारत सरीखे सामाजिक कल्याण अभियानों में योगदान देना प्रमुख हैं।
प्रत्येक कार्य अपराधी की क्षमताओं के अनुसार सावधानीपूर्वक चुना जाएगा, जिसमें उम्र, शारीरिक स्वास्थ्य और कौशल को ध्यान में रखा जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेवा समुदाय के लिए उपयोगी और व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत रूप से सार्थक हो सके।
हरियाणा की गृह एवं न्याय प्रशासन विभाग की सचिव डा. सुमिता मिश्रा की देखरेख में सामुदायिक सेवा दिशा निर्देश तैयार हुए हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंजूरी प्रदान की है। यह नीति पहली बार अपराध करने वाले कुछ लोगों के लिए जेल की सज़ा को व्यवस्थित करने तथा सामाजिक रूप से उपयोगी कार्यों में बदलने के लिए बनाई गई है।
गृह व न्याय प्रशासन सचिव ने दावा किया कि भारतीय न्याय संहिता 2023 पर आधारित यह ऐतिहासिक सुधार प्रतिशोध से पुनर्वास की ओर एक सुविचारित बदलाव को दर्शाएगा। यह एक ऐसा दर्शन है, जिसे दुनिया भर की प्रगतिशील कानूनी प्रणालियां तेजी से अपना रही हैं।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन नियमों का उद्देश्य अपराधों की गंभीरता को कम करना नहीं, बल्कि उन्हें परिवर्तन के क्षणों के रूप में उपयोग करना है। हर अपराध समाज पर एक दाग छोड़ता है, लेकिन एक अवसर भी छोड़ता है, ताकि गलत को सार्वजनिक भलाई के काम में बदला जा सके।
नई सोच से जेलों में अपराधियों की भीड़ में कमी आएगी
डा. सुमिता के अनुसार हरियाणा सरकार का यह नीति बनाने का दृष्टिकोण भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में सबसे गंभीर मुद्दों में से एक से निपटने का है। इससे जेलों में अपराधियों की भीड़ में कमी आएगी। कम जोखिम वाले अपराधियों को रचनात्मक सेवा की ओर मोडा जा सकेगा।
अदालतों को समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, जिससे न्यायिक अधिकारी प्रत्येक अपराधी के योगदान पर वास्तविक समय में नजर रख सकेंगे। कार्यक्रम में शामिल अधिकारियों को विस्तृत सत्र दिए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी जिलों में इसका एक समान उपयोग हो रहा है।
कौशल निर्माण और बाल देखभाल पर भी रहेगा जोर
हरियाणा सरकार की इस नीति में संवेदनशील आबादी के लिए विशेष प्रविधान शामिल हैं। कानून का उल्लंघन करने वाले किशोर एनसीसी प्रशिक्षण, कौशल निर्माण कार्यशालाओं और पर्यावरण परियोजनाओं जैसी निगरानी गतिविधियों में भाग लेंगे, जो अनुशासन और उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती हैं।
महिला अपराधियों को ऐसे वातावरण में रखा जाएगा, जहां वे नारी निकेतन, आंगनबाड़ी केंद्र, प्रसूति वार्ड और बाल देखभाल सुविधाओं सहित सुरक्षा और सम्मान बनाए रखते हुए सार्थक योगदान दे सकेंगी। सुमिता मिश्रा के अनुसार "सामुदायिक सेवा दिशा निर्देश" ज़िम्मेदारी की एक व्यापक संस्कृति विकसित करने का प्रयास है।
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