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    '3100 रुपये के वादे का हिसाब दो', धान किसानों के लिए MSP की मांग कर भूपेंद्र हुड्डा ने BJP को घेरा

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 07:26 PM (IST)

    पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार से धान उत्पादक किसानों को बोनस देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मंडियों में सरकारी खरीद शुरू नहीं होने से किसान एमएसपी से कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने भाजपा के 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान के वादे को भी याद दिलाया और मार्केट फीस कम करने की मांग की।

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    भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार से धान उत्पादक किसानों को बोनस देने की मांग की है (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया है कि 22 सितंबर से धान की खरीद शुरू करने की घोषणा के बावजूद विभिन्न मंडियों में खरीद शुरू नहीं हो सकी है। इस स्थिति में किसान निजी एजेंसियों के हाथों लुटने को मजबूर हैं। सरकार धान उत्पादक किसानों के लिए तुरंत बोनस की घोषणा करे।

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    हुड्डा ने कहा कि मंडियों में धान, बाजरा और कपास की आवक शुरू हो गई है। सरकारी खरीद नहीं होने के चलते किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 300-400 रुपये प्रति क्विंटल कम रेट पर धान, 600 रुपये कम कीमत पर बाजरा और 2000 रुपये कम रेट पर अपनी कपास बेचनी पड़ रही है। बाढ़ की मार के बाद अब किसान सरकार की मार झेलने को मजबूर हैं।

    उन्होंने दावा किया कि कई जगह धान की खरीद में प्रति क्विंटल 150 से 200 रुपये तक का कट लगाया जा रहा है, जबकि किसान पहले ही बाढ़ की मार झेल रहे हैं। सरकार को बोनस देकर किसानों की मदद करनी चाहिए थी, लेकिन इसके उलट कट लगा कर किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है।

    पूर्व मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि भाजपा ने चुनाव से पहले धान का मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल देने का वादा किया था। पिछले सीजन में सरकार इस वादे को पूरा करने में विफल रही। यदि भाजपा अपने वादों के प्रति जरा भी गंभीर है तो इस मुश्किल समय में कम से कम इस वादे को पूरा करके किसानों का साथ देना चाहिए। इसके साथ ही मार्केट फीस को चार प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत करने की मांग दोहराई।

    उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में कम मार्केट फीस के कारण हरियाणा से चावल मिल मालिकों का पलायन हो रहा है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार न तो इस पलायन को रोकने के लिए कोई प्रयास कर रही है और न ही मिल मालिकों को कोई राहत दे रही है। इसका खामियाजा पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ रहा है।