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    घोटालों की वजह से कर्ज के जाल में जकड़ता जा रहा हरियाणा, पूर्व CM हुड्डा का भाजपा सरकार पर निशाना

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 05:45 PM (IST)

    भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में बढ़ते भ्रष्टाचार और कर्ज को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एनसीआरबी रिपोर्ट का हवाला देते हुए 2021-2 ...और पढ़ें

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    हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के मामले में रोज नये रिकाॅर्ड स्थापित कर रही है। ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2021 से 2023 के बीच भ्रष्टाचार के मामलों में 186 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

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    यह खुलासा एनसीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर हुआ, जिससे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आइपीसी की संबंधित धाराओं में दर्ज मुकदमों का जिक्र करते हुए भ्रष्टाचार के मामले बढ़ने की बात कही गई है।

    भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह स्थिति तब है, जब सरकार बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के मामलों को दबा देती है और उनकी जांच तक नहीं होने देती। इसके बावजूद, आए दिन कोई न कोई नया घोटाला सामने आता रहता है, जिसे लाख कोशिशों के बावजूद सरकार छिपा नहीं पाती।

    हाल ही में धान खरीद घोटाला सभी के सामने है, जो हर फसली सीजन में होता है। इस घोटाले में इस हद तक खुलासे हुए हैं कि असंध मंडी में 112 गाड़ियों के 570 फेरे दिखा दिए गए, लेकिन असल धान की ढुलाई हुई ही नहीं। धान सिर्फ कागजों में ही खरीदी और ढोई गई।

    इस तरह 39.24 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। हुड्डा ने कहा कि घरौंडा मंडी में बिना धान की आवक के ही फर्जी गेट पास के जरिए 11,628 क्विंटल धान की खरीद दिखा दी गई। धान की ढुलाई के लिए बाइक और ऑटो तक का इस्तेमाल दिखाया गया और इस तरह 2.56 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया।

    यह पूरा धान घोटाला सैकड़ों करोड़ रुपये का है, लेकिन सरकार सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर इसे दबा रही है, जबकि बड़े मगरमच्छों को बचाया जा रहा है, जो असली दोषी हैं।

    भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बीजेपी ने घोटाले पर घोटाले कर हरियाणा की अर्थव्यवस्था को खोखला बना दिया है। आज आम जनता के साथ अर्थशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों का सरकार से विश्वास उठ चुका है। क्योंकि हरियाणा की आर्थिक स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है।

    1966 से 2014 तक राज्य पर करीब 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था, जो अब 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। यह प्रदेश की आर्थिक बदहाली को दर्शाता है। नीति आयोग के फिस्कल हेल्थ इंडेक्स में हरियाणा 18 राज्यों में 14वें स्थान पर पिछड़ चुका है।