हरियाणा कांग्रेस में 2025 में भी जारी रही गुटबाजी, 11 साल बाद फिर से खड़ा हुआ संगठन, फिर भी एकजुट नहीं हो पाए दिग्गज
हरियाणा कांग्रेस 2025 में एकजुट नहीं हो पाई, राहुल गांधी की नसीहत के बावजूद गुटबाजी जारी रही। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मजबूत रहे, जबकि कुमारी सैलजा और रणद ...और पढ़ें

हरियाणा में 11 साल बाद खड़ा हुआ कांग्रेस का संगठन, फिर भी एकजुट नहीं हो पाए दिग्गज।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस के लिए साल 2025 उतार-चढ़ाव भरा रहा। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नसीहत के बावजूद राज्य के कांग्रेस नेता पूरे साल एकजुट नहीं हो पाए। हालांकि, समय-समय पर उन्होंने एकजुट होने का दिखावा जरूर किया, लेकिन कांग्रेस के कार्यक्रमों में सारे नेता कभी एक मंच पर नजर नहीं आए।
पिछले साल हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली हार का असर भी कांग्रेस नेताओं पर दिखाई नहीं दिया। पूरे साल कांग्रेस नेता गुटों में बंटे रहे और अपनी-अपनी ढपली बजाते रहे। सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस में चल रहे इस बिखराव का भरपूर फायदा उठाया।
कांग्रेस के लिए साल 2025 में अगर कुछ सुखद रहा तो यह कि करीब 11 साल के लंबे इंतजार के बाद 32 जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां हो गई। पार्टी को राव नरेंद्र सिंह के रूप में नया प्रदेश अध्यक्ष और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रूप में विधानसभा में विपक्ष का नेता मिला।
विधानसभा चुनाव के करीब सवा साल के बाद कांग्रेस हाईकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल और विपक्ष का नेता बनाया। प्रदेश अध्यक्ष बने करीब साढ़े चार माह हो गये, लेकिन अभी तक प्रदेश कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया। वजह साफ है कि प्रदेश कमेटी में शामिल किये जाने वाले पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों को लेकर कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में पूर्व की तरह इस बार भी कोई सहमति नहीं बन पाई।
राजनीतिक ताकत की अगर बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूरे साल मजबूत स्थिति में रहे। पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह के पार्टी छोड़कर इनेलो में शामिल होने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी और भरोसेमंद पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा इस साल नाराज हुए, जिस कारण उनकी नजदीकियां सैलजा व बीरेंद्र सिंह गुट के साथ बढ़ीं।
राज्य में बीरेंद्र सिंह गुट हालांकि हाशिये पर रहा, लेकिन उनके बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने राज्य में सद्भावना यात्रा शुरू कर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का भरोसा जीतने में सफलता हासिल की। बृजेंद्र सिंह की यात्रा को हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद व प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने मान्यता नहीं दी, लेकिन राहुल गांधी का इस यात्रा को पूरा आशीर्वाद मिला।
कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला अपने समर्थकों को लामबंद करने में व्यस्त रहे। हालांकि सुरजेवाला को कई मोर्चों पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तारीफ करते सुना गया, लेकिन सैलजा अपने हुड्डा विरोधी स्टैंड पर पूरी तरह से कायम रहीं। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव कांग्रेस में अपने स्टैंड को लेकर ऊहापोह की स्थिति में रहे।
उन्हें जब कांग्रेस ओबीसी विभाग के अध्यक्ष पद से हटाया गया तो उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी, लेकिन बाद में वह इससे पीछे हट गये। हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर पूरे साल संगठन में उपेक्षा के शिकार रहे। अशोक तंवर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे।
हरियाणा में कांग्रेस के पांच सांसद हैं, जिनमें कुमारी सैलजा अकेली हैं, जबकि चार सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, जयप्रकाश जेपी, वरुण मुलाना और सतपाल ब्रह्मचारी की चौकड़ी है, जिन्होंने लोकसभा में संगठित होकर राज्य के मुद्दे उठाए हैं। सैलजा इस गुट से पूरी तरह अलग-थलग रहीं।
राज्य में कांग्रेस के 37 विधायकों में 31 पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक माने जाते हैं। बाकी छह विधायक अन्य कांग्रेस नेताओं के समर्थक हैं, लेकिन राज्य में कांग्रेस जिलाध्यक्षों व विधायकों के बीच समन्यवक अभी तक स्थापित नहीं हो पाया है। राज्य में कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा के विरुद्ध कई आंदोलन तो किये, लेकिन किसी भी आंदोलन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की एकजुटता देखने को नहीं मिली।

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