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    चुनाव लड़ने की बजाय लड़वाने पर होगा नए जिलाध्यक्षों का फोकस, राहुल गांधी ने दिए पावरफुल बनाने के संकेत

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 11:33 PM (IST)

    हरियाणा कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में गुजरात मॉडल अपनाया है जिसमें युवा और नए चेहरों को मौका दिया गया है। राहुल गांधी के अनुसार जिलाध्यक्ष भाजपा-आरएसएस को जवाब देने में सक्षम होने चाहिए। जिलाध्यक्ष स्वयं चुनाव नहीं लड़ेंगे पर चुनाव प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस निर्णय से पुराने नेताओं की टिकट की दावेदारी बची है कुछ नवनियुक्त जिलाध्यक्षों के चुनाव लड़ने की संभावना कम हो गई है।

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    चुनाव लड़ने की बजाय लड़वाने पर होगा नए जिलाध्यक्षों का फोकस।

    सत्येंद्र सिंह, चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में गुजरात मॉडल को लागू किया है। कांग्रेस ने जहां उम्रदराज चेहरों से दूरी बनाए रखी, वहीं नये चेहरों और कम उम्र के कार्यकर्ताओं को संगठन में कौशल दिखाने का मौका प्रदान किया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ऐसे होंगे, जो भाजपा व आरएसएस का राजनीतिक रूप से जवाब दे सकें।

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    कांग्रेस जिलाध्यक्ष स्वयं तो चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, लेकिन लोकसभा व विधानसभा के चुनाव लड़वाने में उनकी अहम भूमिका रहेगी। गुजरात में कांग्रेस ने नये चेहरों पर तथा कम उम्र के कार्यकर्ताओं पर दांव खेला था। कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान हरियाणा में भी इसी तर्ज पर पूरा किया गया है।

    कांग्रेस जिलाध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, राहुल गांधी की इस घोषणा के बाद अधिकतर ऐसे नेताओं ने स्वयं को जिलाध्यक्ष की दावेदारी से दूर कर लिया था, जो कि लोकसभा व विधानसभा में जाने का सपना पालते हैं। उन्हें लगा कि अगर जिलाध्यक्ष बन गए तो समझो चुनाव से गए। इसलिए नये चेहरों को सामने आने का मौका दिया गया।

    इससे कांग्रेस की वाहवाही हुई और साथ ही पुराने नेताओं व दावेदारों की टिकट की दावेदारी बची रह गई। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बनने वाले दो पूर्व विधायकों व तीन उम्मीदवारों के भविष्य में चुनाव लड़ने पर संदेह पैदा हो गया है। अगर उन्हें चुनाव लड़ना होगा तो करीब एक से दो साल पहले जिलाध्यक्ष के पद छोड़ने होंगे।

    गुरुग्राम ग्रामीण के जिलाध्यक्ष वर्धन यादव बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव लड़कर पराजित हो चुके हैं। अंबाला कैंट से जिलाध्यक्ष बनाए गए परमिंदर सिंह परी इसी विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे, जिन्हें कांग्रेस नेत्री चित्रा सरवारा के स्थान पर टिक मिला था।

    भिवानी ग्रामीण के जिला अध्यक्ष बने अनिरुद्ध चौधरी ने तोशाम सीट से अपने परिवार की सदस्य श्रुति चौधरी के विरुद्ध चुनाव लड़ा था। नूंह के पूर्व विधायक शाहीदा खान को नूंह का जिलाध्यक्ष बनाया गया है। ऐसे में इन नेताओं के भविष्य में जिलाध्यक्ष रहते हुए चुनाव लड़ने की संभावना क्षीण हो गई है। चुनाव लड़ने का मौका उन नेताओं व दावेदारों को मिलेगा, जो जिलाध्यक्ष नहीं बन पाए हैं।

    नव चयनित जिलाध्यक्षों की उम्र औसतन 52 साल है। 10 जिलाध्यक्षों की उम्र 33 से 50 के बीच है। 66 साल के फतेहाबाद के जिलाध्यक्ष अरविंद शर्मा की उम्र सबसे अधिक है, जबकि 33 साल के गुरुग्राम ग्रामीण के जिला प्रधान वर्धन यादव सबसे कम उम्र वाले जिलाध्यक्ष हैं।