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    हरियाणा: सीएम विंडो के 5 नोडल अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस, अब CM सैनी खुद उच्च अधिकारियों से मांगेंगे जवाब

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 10:53 PM (IST)

    हरियाणा में सीएम विंडो पर जनता की समस्याओं की अनदेखी करने वाले पांच नोडल अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। मौलिक शिक्षा, स्कूल शिक्षा, कृ ...और पढ़ें

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    हरियाणा में पांच नोडल अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में सीएम विंडो पर आने वाली जनता की समस्याओं की अनदेखी करने वाले पांच नोडल अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मौलिक शिक्षा विभाग पंचकूला के नोडल अधिकारी को बैठक में अनुपस्थिति रहने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया गया है।

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    स्कूल शिक्षा विभाग के नोडल अधिकारी ने एक्शन टेकन रिपोर्ट समय पर सीएमओ में नहीं भेजी, जिस कारण उन्हें नोटिस दिया गया है। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड नरवाना के सचिव द्वारा 'मेरी फसल-मेरा ब्योरा' पोर्टल पर डेटा सत्यापन के बिना जारी कर दिया गया था, जिस कारण उन्हें कारण बताओ नोटिस थमाया गया है।

    कैथल के जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा गलत खाते में वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना का भुगतान करने की वजह से कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है। करनाल के अतिरिक्त उपायुक्त (क्रीड अधिकारी) द्वारा प्रार्थी की आय, बैंक खाता और दिव्यांगता के आंकड़े सत्यापित किए बिना गलत रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड करने के कारण कारण बताओ नोटिस दिया गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देशन में सीएम विंडो का कार्यभार संभाल रहे ओएसडी राकेश संधू ने यह कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं।

    राकेश संधू ने सभी विभागों के सीएम विंडो के नोडल अधिकारियों को अवगत करया कि सीएम विंडो और जनसंवाद कार्यक्रम राज्य सरकार की जनता के प्रति प्रतिबद्धता और मुख्यमंत्री की जनता से सीधे संवाद की महत्वपूर्ण कड़ी है। मुख्यमंत्री स्वयं नियमित रूप से इन सीएम विंडो की कार्यक्रमों की मानीटरिंग कर विभागों को निर्देशित करते हैं।

    संधू ने स्पष्ट किया कि शीघ्र ही मुख्यमंत्री विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों के साथ सीएम विंडो पर आने वाली समस्याओं और उनके निस्तारण की स्थिति की समीक्षा बैठक करेंगे। उन्होंने सभी नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए कि सीएम विंडो पर प्राप्त शिकायतों का तुरंत समाधान सुनिश्चित करें। ओएसडी ने कहा कि वर्ष 2022 से पहले दर्ज सभी शिकायतों की सूची संबंधित एडीसी द्वारा मुख्यालय को उपलब्ध कराई जाए।

    यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला में मृदा व जल संरक्षण परियोजनाएं

    हरियाणा सरकार द्वारा दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला जिलों में 35 लाख रुपये की लागत से मृदा एवं जल संरक्षण कार्यों पर एक विस्तृत व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा। यह अध्ययन भविष्य की संरक्षण योजनाओं के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगा। इस प्रस्ताव को मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में हुई प्रतिपूरक वनरोपण प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) हरियाणा की स्टीयरिंग कमेटी की नौवीं बैठक में स्वीकृति दी गई।

    बैठक में पौधारोपण बढ़ाने, वन्यजीव आवासों को सुरक्षित करने तथा संरक्षण ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से कई अनुपूरक एवं अतिरिक्त प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई। राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों में सर्वेक्षण, सीमांकन, पिलर लगाने तथा बाड़ या दीवार निर्माण के लिए 16.95 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई। शिवालिक क्षेत्र की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कालका, नारायणगढ़ और छछरौली वन क्षेत्रों के लिए 50 लाख रुपये की लागत से तीन गश्ती वाहनों की खरीद को भी मंजूरी दी गई।

    बिजली उपभोक्ता को प्रति गलत बिल 500 रुपये की क्षतिपूर्ति

    हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने एक महत्वपूर्ण आदेश में बिजली उपभोक्ताओं को लंबे समय तक औसत आधार पर गलत बिल जारी करने के मामले को गंभीर लापरवाही करार दिया है। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि वर्षों तक औसत बिल जारी कर बाद में अत्यधिक राशि का बिल थमाना उपभोक्ता उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।

    आयोग के चेयरमैन टीसी गुप्ता ने बताया कि उपभोक्ता को पहले नियमित रूप से 500 रुपये से 1000 रुपये तक के बिजली बिल प्राप्त हो रहे थे, जबकि बाद में अचानक लगभग 78 हजार रुपये का बिल जारी कर दिया गया। आयोग ने पाया कि संबंधित अवधि में उपभोक्ता को 19 जुलाई 2022 से 14 मई 2025 तक सही बिलिंग नहीं की गई और औसत आधार पर बिल जारी किए जाते रहे। टीसी गुप्ता ने कहा कि डेटा माइग्रेशन अथवा तकनीकी कारणों की आड़ में उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ नहीं डाला जा सकता।

    आयोग ने यह भी कहा कि उपभोक्ता अपने उपयोग को प्राप्त होने वाले बिलों के आधार पर नियंत्रित करता है, इसलिए वर्षों बाद अत्यधिक राशि का बिल जारी करना पूर्णतः अनुचित है। उन्होंने उपभोक्ता को प्रति गलत बिल 500 रुपये की क्षतिपूर्ति
    करने के आदेश दिए हैं।