ठेकेदारों ने गलत तरीके से बेची शराब, आंख मूंदे रहे आबकारी विभाग के अधिकारी; हरियाणा सरकार को लगा करोड़ों का चूना
Haryana News हरियाणा में CAG रिपोर्ट ने आबकारी एवं कराधान विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट में विभिन्न स्तरों पर अनियमितताएं सामने आई है। आबकारी विभाग के इस कारनामें से प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगी है। शराब घोटाले (Liquor Scam) की जांच को लेकर गठित एसआईटी की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा में वर्ष 2020-21 में कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में हुए शराब घोटाले को लेकर विधानसभा में खूब हंगामा होता रहा है। इसके बावजूद तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के महकमे में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच को लेकर सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई।
अब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट में भी आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए गए हैं। कैग रिपोर्ट में विभिन्न स्तरों पर अनियमितताएं उजागर हुई हैं, जिससे प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा।
आबकारी नीति में क्या है प्राविधान
आबकारी नीति में प्रविधान है कि गलत तरीके से शराब बेचने वाले ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जाएगा। लाइसेंस फीस और लंबित लाइसेंस फीस के विलंबित भुगतान पर भी ब्याज लिया जाएगा।
अधिकारियों ने डिफाल्टर ठेकेदारों से जुर्माना से लेकर लाइसेंस फीस और ब्याज वसूलने में गंभीरता नहीं दिखाई। इस कारण खजाने को करीब साढ़े सात करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। विशेषकर एल-1 और एल-13 लाइसेंस के उल्लंघन के मामलों में कम पेनल्टी वसूली गई।
CAG ने जांच में क्या पाया?
कैग ने जांच में पाया कि वर्ष 2020-21 में अंबाला में उप-आबकारी एवं कराधान आयुक्त ने एल-1 और एल-13 लाइसेंस की शर्तों के उल्लंघन को लेकर मैसर्ज शौकीन वाइन पर करीब छह करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
इसमें से सवा करोड़ रुपये की प्रतिभूति राशि के विरुद्ध एक करोड़ रुपये समायोजित कर दिए गए। शेष पांच करोड़ रुपये की वसूली नहीं की गई।
लाइसेंस फीस की किश्तों का देरी से किया भुगतान
मैसर्ज सुशील कुमार पर तीन करोड़ 85 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था, जिसमें से करीब दो करोड़ 12 लाख रुपये की वसूली प्रतिभूति राशि से कर ली गई, जबकि करीब पौने दो करोड़ रुपये छोड़ दिए गए। दोनों शराब ठेकेदारों पर करीब पौने सात करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं।
अंबाला में ही अगस्त 2021 और जुलाई 2022 के रिकॉर्ड की जांच से पता चला कि शराब दुकानों के कुल 58 में से 42 वेंडों के जोन ने 53 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस की मासिक किश्तों का भुगतान देरी से किया। करीब एक करोड़ रुपये का ब्याज लिया जाना था, लेकिन आयुक्त ने कोई कार्रवाई शुरू नहीं की।
आवासीय प्लाटों की कृषि भूमि की दरों पर रजिस्ट्री
शहरों के साथ लगते क्षेत्रों में जमीन का पंजीकरण (रजिस्ट्री) करने वाले अधिकारियों ने आवासीय प्लाटों पर कृषि भूमि की दरें लगाकर खजाने को चूना लगाया। नगरपालिका सीमा के भीतर आने वाले 1000 वर्ग गज से कम क्षेत्र के 14 प्लाटों की बिक्री के मामले में गलत मूल्यांकन करने से 57 लाख रुपये के स्टांप शुल्क एवं पंजीकरण फीस का नुकसान हुआ।
इसी तरह जमीन के मुआवजे से आवासीय और व्यावसायिक भूमि खरीदने वाले 50 किसानों को गलत तरीके से स्टांप शुल्क और पंजीकरण में छूट दी गई, जिससे सरकार को एक करोड़ 61 लाख रुपये की चपत लगी।
कृषि भूमि के लिए निर्धारित सामान्य दरों पर प्राइम खसरा भूमि का गलत निर्धारण किया जिससे 64 लाख रुपये का स्टांप शुल्क कम मिला।
रजिस्टरी अधिकारियों ने स्टांप शुल्क के अतिरिक्त लेन-देन पर दो प्रतिशत की दर से शुल्क प्रभारित किए बिना ग्राम पंचायत और जिला परिषद के क्षेत्रों में 176 रजिस्ट्रियां की जिससे 68 लाख रुपये के स्टांप शुल्क का कम उद्ग्रहण हुआ।
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