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    हरियाणा के बजट पर नजर नहीं आएगी चुनावी छाया

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Mon, 05 Mar 2018 09:00 AM (IST)

    वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु मनोहर सरकार का चौथा बजट पेश करने को तैयार हैं। इस बार बजट एक लाख 10 हजार करोड़ के आसपास होगा।

    हरियाणा के बजट पर नजर नहीं आएगी चुनावी छाया

    जेएनएन, चंडीगढ़। पिछले साल एक लाख दो हजार करोड़ का भारी भरकम बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु मनोहर सरकार का चौथा बजट पेश करने को तैयार हैं। पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल की वित्तीय खामियां गिनाते हुए कैप्टन ने 2014 में श्वेत पत्र पेश किया था। साढ़े तीन साल बाद अब कैप्टन को लगता है कि राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ गई। इस बार हरियाणा का बजट कैसा होगा, इस पर वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु से दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ अनुराग अग्रवाल ने विस्तृत बातचीत की, पेश है अंश।

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    - आपकी सरकार से लोग किस तरह के बजट की उम्मीद कर सकते हैं?

    - प्रदेश के ढाई करोड़ लोग और कोने-कोने का विकास हमारी प्राथमिकता है। हमारे बजट में राजनीतिक भेदभाव नहीं झलकेगा। सबका साथ-सबका विकास के आधार पर विजन डाक्यूमेंट 2030 में शामिल सभी 17 पैरामीटर बजट में नजर आएंगे। साढ़े तीन साल पहले तक जीडीपी की ग्रोथ घट रही थी। सर्विस और इंडस्ट्री सेक्टर की मजबूती पर जोर दिया तो जीडीपी दर बढऩे लगी है। यह हमारी बड़ी उपलब्धि है।

    - चर्चा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं। इसलिए सरकार का यह आखिरी और चुनावी बजट होगा?

    - मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। सरकार पूरे पांच साल चलेगी। हम एक बजट और यानी पांचवां बजट भी पेश करेंगे। रही चौथे बजट की बात, इस पर चुनावी छाया कतई नजर नहीं आएगी। हमारा जोर पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर है। पहले यह मात्र 10 फीसद तक होता था, जो अब 25 फीसद पर पहुंच गया है। यह भी बड़ी बात है।

    - पिछला बजट एक लाख करोड़ से पार कर गया, मगर सरकारी विभाग 60 फीसदी भी खर्च नहीं कर पाए, क्यों?

    - अधिक बजट अलाट कर हमने विभागों की खर्च क्षमता बढ़ाई है। इसे लाइन पर आने में समय लग जाता है। पहले 1 लाख 2 हजार करोड़ का बजट था, जो इस बार आठ से दस हजार करोड़ की बढ़ोतरी के साथ आएगा। हेल्थ केयर, एजुकेशन और कृषि में निवेश बढ़ाने पर हमारी सरकार का पूरा फोकस है।

    - आपकी सरकार दावा करती रही कि हमें विरासत में खजाना खाली मिला, जबकि आपकी सरकार में कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है?

    - हमें सिर्फ खजाना ही खाली नहीं मिला, बल्कि अर्थव्यवस्था भी बीमार मिली। पिछली सरकार ने पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर कोई ध्यान नहीं दिया। सिर्फ कर्ज लेकर घी पीती रही। बिजली कंपनियों के 27 हजार करोड़ के कर्ज को हमारी सरकार ने अपने ऊपर लिया। फिलहाल 1 लाख 40 हजार करोड़ के आसपास कर्ज है, लेकिन यह पैरामीटर से काफी नीचे है। अभी भी हम कर्ज ले सकते हैं। पिछली सरकार ने तो तमाम पैरामीटर तोड़ दिए थे।

    - जीएसटी लगने के बाद सरकार के हाथ बंध गए। क्या यह मान लिया जाए कि लोगों पर नया टैक्स नहीं लगेगा?

    - जीएसटी के बाद राजस्व में सुधार के संकेत आने लगे हैं। हम पेट्रोलियम पदार्थों पर भी जीएसटी लागू करने के विरोध में नहीं हैं। पेंशन, छात्रवृत्ति और राशन में हर साल 650 करोड़ की लीकेज हमने बंद की है। हुड्डा सरकार में बिल्डरों पर 20 हजार करोड़ बकाया थे। हम इन्हें वसूल रहे हैं। माइनिंग में राजस्व 50 करोड़ से सीधे 600 करोड़ तक बढ़ गया। अन्य मदों में राजस्व बढ़ाने के तमाम उपायों पर सरकार मंथन कर रही है।

    - राजस्व बढ़ाने के लिए लोगों से क्या सुझाव आए। इन पर कितना अमल होगा?

    - कुछ लोगों ने अमेरिका का उदाहरण देते हुए लाटरी सिस्टम शुरू करने का सुझाव दिया है, ताकि उससे होने वाली आय को हेल्थ केयर पर खर्च किया जा सके। अन्य कई सुझाव हैं। सभी पर चर्चा हो रही है।

    - चर्चा है कि बजट में कृषि क्षेत्र की सब्सिडी खत्म करने पर भी विचार चल रहा है?

    - किसानों को हर साल सात हजार करोड़ की बिजली सब्सिडी कृषि क्षेत्र में मिलती है, जो जारी रहेगी। यह बंद नहीं होगी।

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