हरियाणा: 'पार्टी प्रत्याशी को वोट मिले या नहीं, चुनाव जीतेगा'; मंत्री नरबीर सिंह के बयान से सियासत गरम, HC ने दिया बड़ा आदेश
हरियाणा के मानेसर नगर निगम मेयर चुनाव में धांधली के आरोपों के चलते हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मतगणना की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सत्तारूढ़ दल ने चुनाव में कई गैरकानूनी तरीके अपनाए हैं। मंत्री के बयान से सियासत गरम हो गई है। अदालत ने भी बड़ा फैसला सुना दिया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के मानेसर नगर निगम मेयर चुनाव में संभावित गड़बड़ियों को लेकर चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठ गए हैं। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मतगणना की पूरी प्रक्रिया वीडियोग्राफी का आदेश दिया।
इस मामले में याची के वकील मनीष सोनी ने बताया कि निर्दलीय प्रत्याशी इंद्रजीत कौर ने हरियाणा राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत से मांग की है कि ईवीएम मशीनों से होने वाली वोटों की गिनती की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवाई जाए।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सत्तारूढ़ दल ने चुनाव में धांधली करने के लिए कई गैरकानूनी तरीके अपनाए। खासतौर पर, मानेसर से मेयर पद के प्रत्याशी सुंदर लाल यादव (जो कि सत्ताधारी दल समर्थित हैं) को जिताने के लिए स्थानीय मंत्री राव नरबीर सिंह ने पूरी ताकत झोंक दी।
यहां तक कि सत्ता पक्ष के प्रभावशाली लोगों ने इंदरजीत कौर के समर्थकों और प्रभावशाली वोटरों को पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया, जिससे उनके चुनाव प्रचार और समर्थन को कमजोर किया जा सके।
अदालत से की ये मांग
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य चुनाव आयोग ने पुरानी एम2 प्रकार की ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया है, जो कि वीवीपैट सिस्टम के साथ उचित नहीं हैं।
इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है, क्योंकि इन मशीनों में मतदाताओं को यह सत्यापित करने की सुविधा नहीं होती कि उनका वोट सही उम्मीदवार को गया है या नहीं।
इस तकनीकी खामी के चलते वोटों की हेराफेरी की आशंका और बढ़ जाती है। इंदरजीत कौर ने अदालत से मांग की है कि मतगणना की प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवाई जाए और निष्पक्ष पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जाए।
हाईकोर्ट ने दिया अब ये आदेश
उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर खतरा मंडराने लगेगा। याचिका में यह भी कहा गया है कि बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय विधायक ने खुले मंच से बयान दिया कि चाहे वोट उनकी पार्टी के प्रत्याशी को मिले या न मिले, फिर भी वह चुनाव जीत जाएगा।
इस बयान का वीडियो रिकॉर्डिंग और समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरें भी याचिका के साथ अदालत को सौंपी गई हैं। इस बयान के बाद चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह और गहरा हो गया है। याची पक्ष के वकील की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने ईवीएम मशीनों की सील खोलने से लेकर मतगणना तक का पूरी प्रक्रिया वीडियोग्राफी का आदेश दिया।
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