हरियाणा में अब बच्चियों के दुष्कर्मियों को मिलेगी फांसी, कानून में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर
हरियाणा में अब दुष्कर्म करने वालों को अब फांसी या न्यूनतम चौदह साल की सजा होगी। सरकार बजट सत्र में बिल लाएगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को अब फांसी या न्यूनतम चौदह साल की सजा होगी। दुष्कर्म के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए कानून में संशोधन कर आइपीसी की नई धाराएं जोडऩे के प्रस्ताव पर मनोहर मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी है। आगामी बजट सत्र में सरकार इसके लिए बिल लाएगी।
चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अगुवाई में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अगर बिल पास होता है तो मध्य प्रदेश के बाद ऐसा कदम उठाने वाला हरियाणा दूसरा राज्य होगा। हालांकि विधानसभा में बिल पारित होने के बाद विधेयक पर राष्ट्रपति की मंजूरी भी लगनी जरूरी है। तभी यह बिल कानून बन पाएगा।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा भाजपा के मीडिया प्रमुख राजीव जैन ने 16 जनवरी को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपराधियों पर सख्त कार्रवाई के लिए यह सुझाव दिया था। साथ ही बच्चियों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले घिनौने अपराध की सूरत में अदालत में रोजाना सुनवाई की मांग की थी। तभी से सरकार इस दिशा में काम कर रही थी।
कानून में जुड़ेंगी चार नई धाराएं
मनोहर सरकार भारतीय दंड संहिता की धारा 376ए, 376डी, 354, 354डी में संशोधन करेगी। धारा 376 एए के तहत जोड़ी गई नई धारा के अनुसार 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में मृत्युदंड या 14 साल के सश्रम कारावास की सजा हो सकती है।
सजा को दोषी के प्राकृतिक जीवन की शेष अवधि के लिए कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। धारा 376 डीए के तहत बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म की स्थिति में मृत्युदंड या न्यूनतम 20 साल के सश्रम कारावास की सजा मिलेगी। पीडि़त के चिकित्सा खर्चों और पुनर्वास संबंधी जरूरतों के आधार पर जुर्माना लगाया जाएगा।
पीछा करने पर चार साल कैद, हमले पर काटनी होगी सात साल जेल
आइपीसी की धारा 354 के तहत शीलभंग की कोशिश में हमला करने वाले दोषी की सजा न्यूनतम दो साल से बढ़ाकर सात साल कर दी गई है। इसके साथ ही उस पर जुर्माना भी लगेगा। आइपीसी की धारा 354 डी (2) के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी का पीछा करता है तो पहली बार उसे अधिकतम तीन साल कैद और जुर्माना होगा। दूसरी बार दोष सिद्ध होने पर न्यूनतम तीन साल कैद होगी, जिसे जुर्माने के साथ सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
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