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    हरियाणा में एक्सटेंशन लेक्चरर्स को कहीं 57 तो कहीं 35 हजार वेतन, सरकार ने तलब की रिपोर्ट

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 01:25 PM (IST)

    हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में एक्सटेंशन लेक्चरर्स को समान वेतन न मिलने का मामला सामने आया है। शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने सभी प्राचार्यों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है जिसमें नियुक्ति तिथि शैक्षणिक योग्यता और वेतन की जानकारी शामिल हो। विभाग ने पात्रता तिथि से वेतन लागू न करने की अनियमितता भी पाई है।

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    सरकारी कालेजों के एक्सटेंशन लेक्चरर्स को एक समान वेतन देगी सरकार।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी कालेजों में कार्यरत एक्सटेंशन लेक्चरर्स को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। कई सालों से चल रही अनियमितताओं पर अब खुद उच्चतर शिक्षा विभाग ने संज्ञान लिया है।

    उच्चतर शिक्षा विभाग ने माना है कि प्रदेशभर के कालेजों में एक्सटेंशन लेक्चरर्स को समान वेतन नहीं मिल रहा है। कहीं वेतन 57 हजार 700 रुपये दिया जा रहा है तो कहीं केवल 35 हजार 400 रुपये ही भुगतान किया जा रहा है।

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    इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने सभी सरकारी कालेजों के प्राचार्यों से डिटेल रिपोर्ट मंगवाई है। शिक्षा मंत्री ने निर्देश दिए हैं कि हर प्रिंसिपल एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नियुक्ति की तिथि, शैक्षणिक योग्यता और वर्तमान सेलरी की पूरी जानकारी उच्चतर शिक्षा विभाग को भेजी जाए।

    विभाग ने अपने लेटर में प्रिंसिपलों को यह भी याद दिलाया है कि एक्सटेंशन लेक्चरर्स को 57,700 रुपये प्रति माह देने का प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है। लेटर में खासतौर पर उन लेक्चरर्स का ब्योरा मांगा गया है, जिन्होंने चार मार्च 2020 के बाद और 30 जून 2023 तक नेट या पीएचडी जैसी न्यूनतम योग्यता हासिल कर ली है।

    उच्चतर शिक्षा विभाग की जांच में यह भी सामने आया कि कई कालेजों में योग्य लेक्चरर्स को 57,700 रुपये दिए तो जा रहे हैं, लेकिन यह वेतन उनकी पात्रता प्राप्त करने की वास्तविक तिथि से लागू नहीं किया गया। कहीं यह बाद की तारीख से लागू किया गया है, जिससे कई शिक्षकों को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है।

    विभाग ने अब एक संशोधित प्रोफार्मा जारी किया है और सभी प्राचार्यों को सही जानकारी भरकर भेजने के निर्देश दिए हैं। इसमें विशेष जोर पात्रता प्राप्त करने की सटीक तारीख दर्ज करने पर दिया गया है, क्योंकि पहले कई रिपोर्टों में यह जानकारी गायब थी। कुछ प्राचार्यों ने यह जानकारी विभाग के पास भिजवा दी, जबकि अधिकतर की अभी लंबित पड़ी है।