Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अंतिम यात्रा में भी मौत का सफर, पुल के इंतजार में डूबता पंचकूला का नारायणपुर

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 01:17 PM (IST)

    पंचकूला के नारायणपुर में पुल न होने के कारण लोगों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। हाल ही में एक बुजुर्ग की अंतिम यात्रा में परिजनों को शव को बहते पानी से ले जाना पड़ा। पहले भी यहां कई लोग नदी में जान गंवा चुके हैं। ग्रामीणों ने पुल निर्माण की मांग की है ताकि अंतिम संस्कार तक सुरक्षित हो सके।

    Hero Image
    “अंतिम यात्रा में भी मौत का सफर — पुल के इंतजार में डूबता नारायणपुर”

    संजय पारवाला, रायपुररानी (पंचकूला)।  नारायणपुर के लोगों की जिंदगी वर्षों से एक ही सवाल पर अटकी है, क्या हमारी जान की कोई कीमत नहीं? यहां एक साधारण सा पुल न होने की वजह से लोग रोज मौत से आंख मिलाकर गुजरते हैं। वर्षा के मौसम में तो हालात और भयावह हो जाते हैं, जब नदी का बहाव तेज होता है और पानी फिसलन भरे पत्थरों को ढक लेता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ताज़ा घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। गांव के एक बुजुर्ग का निधन हुआ, तो उनकी अंतिम यात्रा मानो मौत के साए में निकली। बेटों और भाइयों को शव कंधे पर उठाकर उफनती नदी पार करनी पड़ी। बहते पानी में हर कदम ऐसे लगता था जैसे मौत पास से गुजर रही हो। कोई भी चूक, कोई भी फिसलन, और जिंदगी पल भर में खत्म हो सकती थी। दूसरी ओर श्मशान घाट मानो इस दर्दनाक सफर का गवाह बनकर खामोश खड़ा था।

    25 वर्ष के बेटे को खो चुकी मां, बेरहम प्रशासन की आंखें फिर न खुली

    यह पहली बार नहीं है जब नारायणपुर ने ऐसा दृश्य देखा हो। कुछ ही दिन पहले इसी नदी ने रायपुररानी के एक 25 साल के बेटे को हमेशा के लिए छीन लिया था। वह पानी में फंस गया और फिर कभी घर नहीं लौट सका। उसकी मां आज भी दरवाजे की ओर देखती है, मानो बेटा लौट आएगा। लेकिन प्रशासन? आंख मूंदे बैठा है, जैसे ये सिर्फ किसी अखबार की सुर्खी हो, इंसानी जिंदगियां नहीं।

    गांव के सरपंच कर्मजीत सिंह का कहना है कि पुल बनाने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। यह कोई मामूली समस्या नहीं है, बल्कि पूरे गांव की सुरक्षा का सवाल है। वर्षा के सीजन में नदी पार करने की कोशिश और अंतिम यात्रा दांव पर लगी जिंदगी का नाम है।

    जागो प्रशासन... ताकि किसी की अंतिम यात्रा, मौत के साए में न निकले

    क्या एक पुल बनाने के लिए और कितनी अंतिम यात्राओं को बहते पानी में उतरना पड़ेगा? क्या यहां के लोग सिर्फ आंकड़े हैं, जो किसी सरकारी फाइल में दबकर रह जाएंगे? यह समस्या केवल नारायणपुर की नहीं, बल्कि उन सभी जगहों की है जहां विकास के वादे नदी के किनारे आकर रुक जाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि अब तुरंत पुल निर्माण का काम शुरू करे, ताकि किसी की अंतिम यात्रा, मौत के साए में न निकले।