हरियाणा के किसानों की बल्ले-बल्ले! एक ही जगह मिलेंगी खाद-बीज जैसी सुविधाएं, पढ़ें पूरी खबर
हरियाणा में सहकारिता मंत्री अरविंद शर्मा ने नाबार्ड के स्थापना दिवस पर सहकारी क्रांति का रोडमैप प्रस्तुत किया। प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को बहुउद्देश्यीय संस्थाओं में बदला जा रहा है जिससे किसानों को एक ही स्थान पर कई सुविधाएं मिलेंगी। सरकार ने 500 सीएम-पैक्स बनाने का लक्ष्य रखा है जिनमें से 161 पहले ही बन चुकी हैं। नाबार्ड ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में सहकार से समृद्धि के मंत्र को आधार बनाकर प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को बहुउद्देश्यीय संस्थाओं में परिवर्तित किया जा रहा है। इससे किसानों को खाद, बीज, ऋण, भंडारण, विपणन जैसी सभी सुविधाएं एक स्थान पर मिल सकेंगी।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के 44वें स्थापना दिवस पर बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने हरियाणा में सहकारी क्रांति का रोडमैप दिखाया। उन्होंने कहा कि हर गांव में पैक्स के संकल्प को साकार करने की दिशा में सहकारिता आंदोलन एक नए युग में प्रवेश कर चुका है।
नाबार्ड की उपस्थिति समग्र ग्रामीण विकास में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभा रही है। पैक्स कंप्यूटरीकरण, किसान क्रेडिट कार्ड का डिजिटलीकरण, किसान उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता समूह और संयुक्त देयता समूह नेटवर्क की मजबूती और सहकारी संस्थाओं को तकनीकी प्रशिक्षण व समर्थन देने जैसे अनेक आयामों में नाबार्ड का योगदान बहुआयामी और दूरगामी रहा है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि सहकारी संस्थाएं केवल ऋण, खाद व बीज वितरण तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि जन औषधि केंद्र, गैस स्टेशन, सीएससी सेंटर सहित 25 से अधिक सेवाओं का माध्यम बन चुकी हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने 500 सीएम-पैक्स के गठन का लक्ष्य रखा है।
इनमें से 161 पहले ही गठित की जा चुकी हैं। मल्टीपर्पज पैक्स के माध्यम से गांवों में छोटे वेयरहाउस, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न वितरण और अन्य आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। छोटे गोदामों की स्थापना, वित्तीय सहायता और तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा देकर किसानों को उत्पादन से लेकर विपणन तक की पूरी श्रृंखला में मजबूती दी जा रही है।
नाबार्ड की मुख्य महाप्रबंधक निवेदिता तिवारी ने बताया कि पिछले चार दशकों में कृषि वित्त, सहकारी संस्थाओं के सशक्तीकरण, ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण, वित्तीय समावेशन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और ग्रामीण कौशल एवं उद्यमिता विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नाबार्ड ने किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, संयुक्त देयता समूहों, गैर-कृषि उत्पादक संगठनों जैसे ग्रामीण संगठनों का गठन और पोषण किया है। पिछले 43 वर्षों में अंतिम छोर तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के लिए नाबार्ड ने सहकारी बैंकों को निरंतर पुनर्वित्त सहायता उपलब्ध करवाई है।
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