'दलितों और पिछड़ों को चपरासी बनाने की साजिश...', हरियाणा में प्रोफेसरों की भर्ती पर दिग्विजय चौटाला ने उठाए सवाल
जननायक जनता पार्टी (जजपा) के दिग्विजय चौटाला ने हरियाणा में अंग्रेजी के सहायक प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दलितों, पिछड़ों ...और पढ़ें

अंग्रेजी के सहायक प्रोफेसरों की भर्ती पर जजपा ने उठाए सवाल। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। जननायक जनता पार्टी यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला ने हरियाणा की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार दलितों, पिछड़ों और सामान्य वर्ग के साथ धोखा कर रही है। हाल ही में आए अंग्रेजी असिस्टेंट प्रोफेसर के परिणाम ने इस सच्चाई को उजागर कर दिया है।
ओएससी की 60 पोस्ट में सिर्फ दो, डीएससी की 60 पोस्ट में सिर्फ एक, बीसीए की 85 पोस्ट में केवल तीन, बीसीबी की 36 पोस्ट में पांच और ईडब्ल्यूएस की 60 पोस्ट में महज छह अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। सामान्य वर्ग की 312 पोस्ट में 134 का ही चयन हो पाया है, जिनमें 80 से अधिक अभ्यर्थी हरियाणा से बाहर के हैं।
दिग्विजय चौटाला ने चंडीगढ़ में मीडिया से बात करते हुए कहा कि आंकड़े साफ दिखाते हैं कि दलितों और पिछड़ों को सिर्फ चपरासी बनाने के लिए छोड़ा गया है, अधिकारी बनाने के लिए नहीं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हरियाणा में 150 में से 35 प्रतिशत यानी 52.5 अंक लाने वाला भी कोई योग्य नहीं है और अगर ऐसा है तो सरकार को इस पर जरा भी चिंता क्यों नहीं है। पारदर्शिता और ईमानदारी की बातें अब केवल चुनावी जुमले बनकर रह गए हैं।
दिग्विजय ने विशेष रूप से डीएससी समाज के युवाओं की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि सबसे ज्यादा धोखा डीएससी बच्चों के साथ हो रहा है। हरियाणा लोक सेवा आयोग के तहत प्रोफेसरों की भर्ती में डीएससी कैटेगरी के लिए 200 पद निर्धारित थे, लेकिन चयन सिर्फ छह का ही हुआ और 194 पद जानबूझकर खाली छोड़ दिए गए।
यही हाल पीजीटी और एएमओ भर्ती में भी देखने को मिला, जहां डीएससी के लिए 674 पद थे, लेकिन केवल 324 पर ही भर्ती की गई और आधे से अधिक पद खाली छोड़ दिए गए। यह व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि एक ऐसी नीति है, जिसके तहत डीएससी युवाओं को आगे बढ़ने से रोका जा रहा है।

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