Gurmeet Ram Rahim: डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह फिर आना चाहता है जेल से बाहर, हाई कोर्ट के समक्ष आदेश को हटाने की लगाई गुहार
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह (Gurmeet Ram Rahim) फिर जेल से बाहर आने की फिराक में है। गुरमीत सिंह ने पैरोल या फरलो देने पर रोक लगाने के आदेश को हटाने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष गुहार लगाई है। दरअसल फरवरी को हाई कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया था कि भविष्य में अदालत की अनुमति के बिना डेरा प्रमुख के पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह (Gurmeet Ram Rahim) फिर जेल से बाहर आना चाहता है। इसी उम्मीद से किसी भी तरह की पैरोल या फरलो देने पर रोक के आदेश को हटाने के लिए हाई कोर्ट के समक्ष गुहार लगाई है। डेरा प्रमुख के अनुसार, इस साल उसके पास अभी भी 41 दिन की पैरोल/फरलो बची हुई है और वह इसका लाभ उठाना चाहता है। गुरमीत सिंह दुष्कर्म और हत्या के मामलों में दोषी है और वर्तमान में रोहतक जेल (Rohtak Jail) में सजा काट रहा है।
वह पैरोल या फरलो पर रिहाई के लिए आवेदन करना चाहता है। उसने दावा किया है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो सहित कुल 41 दिनों की अवधि के लिए रिहाई के लिए पात्र है। 29 फरवरी को, हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने राज्य को निर्देश दिया था कि भविष्य में अदालत की अनुमति के बिना डेरा प्रमुख के पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए।
29 फरवरी के आदेशों पर रोक हटाने की मांग करते हुए डेरा प्रमुख ने अब दलील दी है कि पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति का है और दोषी को परिवार और समाज के साथ अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना है।
हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स एक्ट 2022 का दिया हवाला
रोहतक जेल में बंद डेरा प्रमुख ने यह भी दावा किया है कि डेरा प्रमुख को दी गई पैरोल उन दोषियों के समान है जो इसी तरह की स्थिति में हैं। 29 फरवरी का आदेश डेरा प्रमुख के अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि वह अधिनियम के अनुसार इस वर्ष 20 दिनों के लिए पैरोल और 21 दिनों के फरलो के लिए पात्र हैं और जैसा कि अन्य समान रूप से रखे गए दोषियों को दिया गया है।
डेरा प्रमुख ने यह भी कहा है कि हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है।
हाईकोर्ट ने कही थी ये बात
साथ ही यह भी कहा गया है कि नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो। डेरा प्रमुख को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देना पूरी तरह से कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित वैधानिक प्रविधान के अनुसार है।
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डेरा प्रमुख की अर्जी में कहा गया कि उसे किसी भी स्तर पर कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया गया है। बार-बार डेरा प्रमुख को पैरोल/फरलो देने के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर फरवरी माह में कोर्ट ने डेरा प्रमुख को भविष्य में कोर्ट की इजाजत के बगैर पैरोल या फरलो देने पद रोक लगा दी थी।
क्या होती है पैरोल व फरलो
कारागार में बंद विचाराधीन व सजायाफ्ता कैदियों को दो तरह से रियायत दी जाती है। पहली पैरोल तथा दूसरी फरलो। कैदी को पैरोल तभी दी जाती है जब उसकी सजा का एक साल पूरा हो जाता है। फरलो उसी सूरत में दी जाती है जब सजा के तीन साल पूरे हो चुके हो। फरलो का मतलब जेल से मिलने वाली छुट्टी से है। यह पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए दी जाती है। एक साल में कोई कैदी तीन बार फरलो ले सकता है।
पैरोल के लिए कारण बताना जरूरी होता है जबकि फरलो सजायाफ्ता कैदियों के मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए और समाज से संबंध जोड़ने के लिए दिया जाता है पैरोल की अवधि एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है जबकि फरलो ज्यादा से ज्यादा 14 दिन के लिए दिया जा सकता है। पैरोल की कई श्रेणी बनाई गई हैं।
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