दिल्ली चुनाव से पहले फिर गरमाया आरक्षण का मुद्दा, AAP ने खेला 'जाट कार्ड' तो CM सैनी ने भी चला बड़ा दांव
Delhi Election 2024 हरियाणा के जाटों को आरक्षण देने का मुद्दा दिल्ली चुनावों में गरमा गया है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से दिल्ली के जाटों को ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग की है। वहीं हरियाणा सरकार ने जाटों को रिझाने के लिए आठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में महाराजा सूरजमल का इतिहास शामिल करने का फैसला किया है।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। Delhi Election 2024: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव में इस बार जाट राजनीति गरमा गई है। जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल करने का मुद्दा आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उठाया है।
इससे पहले हरियाणा में जाट आरक्षण के मुद्दे पर प्रदेश में बड़ा हिंसक आंदोलन हो चुका है। दिल्ली चुनावों के बीच गरमाई राजनीति पर मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए हरियाणा की नायब सरकार ने जाटों को रिझाने की कोशिश की है।
हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान व नई दिल्ली के जाटों का ‘गौरव’ रहे महाराजा सूरजमल के इतिहास को आठवीं के पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है।
नायब सरकार के इस फैसले के बाद सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भी दे दिए हैं। भरतपुर के महाराजा रहे सूरजमल के इतिहास को हरियाणा में आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा ताकि वे उनके बारे में जान सकें।
आरक्षण का फैसला हुड्डा सरकार में हुआ
हरियाणा में जाटों को आरक्षण का फैसला पूर्व की हुड्डा सरकार में हुआ था। बाद में इस पर कोर्ट ने रोक लगा दी। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में फरवरी-2016 में जाट आरक्षण की मांग को लेकर प्रदेश में हिंसक आंदोलन भी हुआ। इसमें 32 लोगों की जान भी गई।
इसी तरह राजस्थान में भी जाटों के आरक्षण को लेकर मांग उठती रही है। राजस्थान के कुछ जिलों के जाटों को ओबीसी सूची में शामिल किया हुआ है। कई जिलों के जाट ओबीसी सूची से बाहर हैं।
बाहरी दिल्ली विधानसभा सीटों पर जाट वोट बैंक काफी प्रभाव रखता है। हरियाणा व उत्तर प्रदेश से सटी इन सीटों पर जाट मतदाता हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने खेला जाट आरक्षण कार्ड
माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल ने जाटों को रिझाने के लिए ही जाट आरक्षण का कार्ड खेला है। केजरीवाल ने केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली के जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग की है। उनका कहना है कि भाजपा ने इस संदर्भ में वादा भी किया हुआ है लेकिन इसे अभी तक पूरा नहीं किया।
हरियाणा में आम आदमी पार्टी के कई जाट नेता इस मुद्दे को लेकर पिछले दिनों नई दिल्ली में केजरीवाल से मुलाकात कर चुके हैं। आप के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा के नेतृत्व में हरियाणा के जाटों ने अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की है।
नायब सरकार ने की यह पहल
केजरीवाल के ‘जाट कार्ड’ के बीच हरियाणा की नायब सरकार ने आठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में महाराजा सूरजमल का इतिहास शामिल कर ना केवल जाटों को खुश कर दिया, बल्कि केजरीवाल के हाथ से बड़ा मुद्दा छीनने की पूरी कोशिश की है।
हरियाणा में करीब 22 प्रतिशत आबादी जाटों की है। नायब सरकार द्वारा महाराजा सूरजमल का इतिहास पढ़ाए जाने की मंजूरी पर भरतपुर राजपरिवार के वंशज व पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार जताया है।
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भाजपा माइक्रो मैनेजमेंट के तहत दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ रही है। हरियाणा भाजपा के जाट नेताओं ने दिल्ली में मोर्चा संभाला हुआ है। भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी ओमप्रकाश धनखड़, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा और राज्यसभा सदस्य सुभाष बराला ने दिल्ली में भाजपा की ओर से मोर्चा संभाला हुआ है।
दिल्ली की एक दर्जन सीटों पर जाटों का असर
70 सदस्यीय दिल्ली की विधानसभा में करीब एक दर्जन सीटें ऐसी मानी जाती हैं, जहां जाटों का प्रभाव है। इनमें मुंडका, रिठाला, नांगलोई जाट, नरेला, विकासपुरी, मटियाला, नजफगढ़, बिजवासन, महरौली प्रमुख हैं। भाजपा सरकार के समय दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा की जाटों पर अच्छी पकड़ थी।
अब उनके पुत्र प्रवेश वर्मा दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैं। वे पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में जाट बाहुल्य सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की थी। आप जहां तीसरी बार सरकार बनाने के लिए हर कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा ने इस बार हरियाणा की तरह दिल्ली में भी काबिज होने की रणनीति पर काम तेज कर रखा है।
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