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    छुट्टी पर गए सैनिक की मौत भी ऑन ड्यूटी के समान, हाईकोर्ट ने पत्नी को विशेष पारिवारिक पेंशन देने का दिया आदेश

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 04:38 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि छुट्टी के दौरान सेरेब्रल हेमरेज से सैनिक की मृत्यु को सैन्य सेवा के कारण हुई मृत्यु माना जाएगा। कोर्ट न ...और पढ़ें

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    छुट्टी पर गए सैनिक की मौत भी ऑन ड्यूटी के समान। सांकेतिक फोटो

    दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी सैनिक की मृत्यु छुट्टी के दौरान 'सेरेब्रल हेमरेज' (दिमागी रक्तस्राव) जैसी स्थिति से होती है तो उसे सैन्य सेवा के कारण हुई मृत्यु माना जाएगा। हाईकोर्ट ने यह फैसला सुमन नामक महिला की याचिका पर सुनाया जिसके पति भारतीय सेना में कार्यरत थे। आकस्मिक अवकाश के दौरान उनके पति की मृत्यु हाई ब्लड प्रेशर के कारण हुए सेरेब्रल हेमरेज से हो गई थी।

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    दिसंबर 2022 में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की चंडीगढ़ पीठ ने सुमन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें स्पेशल फैमिली पेंशन देने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए तर्क दिया था कि चूंकि जवान अपनी मर्जी से छुट्टी पर था, इसलिए उसकी मौत का सेवा से कोई सीधा संबंध नहीं है। जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की दलीलों को पूरी तरह खारिज कर दिया।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानूनी रूप से यह अंतर करना कि जवान एक्टिव ड्यूटी पर था या कैजुअल लीव पर पूरी तरह अप्रासंगिक है। बेंच ने कहा, सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मृत्यु के समय सैनिक सेवा में था। कानून की नजर में छुट्टी पर गया जवान भी सैन्य अनुशासन और सेवा शर्तों के अधीन ही रहता है।

    कोर्ट कहा कि सेना की नौकरी सामान्य नौकरियों जैसी नहीं है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में पोस्टिंग, परिवार से दूर रहना और बेहद चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन स्थिति में जवानों में हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनती हैं। यह तनाव अंतत सेरेब्रल हेमरेज जैसी जानलेवा स्थिति पैदा करता है।

    कोर्ट ने देखा कि सैनिक जब सेना में भर्ती हुआ था, तब वह चिकित्सकीय रूप से पूरी तरह फिट था। यदि सेवा के दौरान उसे ब्लड प्रेशर जैसी समस्या हुई, तो इसे उसकी सेवा परिस्थितियों से अलग नहीं किया जा सकता।
    केंद्र सरकार का तर्क था कि सैनिक की मृत्यु किसी सैन्य आपरेशन या ड्यूटी के दौरान नहीं हुई, इसलिए उनकी विधवा विशेष पेंशन की हकदार नहीं हैं। हालांकि, हाई कोर्ट ने एएफटी के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि न्यायाधिकरण का फैसला न तो तथ्यों के विपरीत है और न ही कानून के सिद्धांतों के खिलाफ।

    इसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सैनिक द्वारा देश की सेवा में झेला गया मानसिक और शारीरिक तनाव उसकी छुट्टी के दिनों में भी उसके साथ रहता है।

     

    सेना में मुख्य रूप से दो प्रकार की पारिवारिक पेंशन होती है

    साधारण पारिवारिक पेंशन

    यह पेंशन तब दी जाती है जब किसी सैनिक की मृत्यु सेवा के दौरान होती है, लेकिन उसकी मृत्यु का कारण सैन्य सेवा से सीधा जुड़ा हुआ नहीं होता (जैसे सामान्य बीमारी या प्राकृतिक मृत्यु)। यह आमतौर पर सैनिक के अंतिम वेतन का लगभग 30% हिस्सा होती है। इसके लिए केवल सेवा में होना पर्याप्त है, सेवा के कारण मृत्यु होना अनिवार्य नहीं है।

    विशेष पारिवारिक पेंशन

    यह तब दी जाती है जब मौत सैन्य सेवा के कारण या सेवा के दौरान बिगड़ी परिस्थितियों की वजह से हुई हो। यह साधारण पेंशन से कहीं अधिक होती है। यह सैनिक के अंतिम वेतन का लगभग 60% हिस्सा होती है। यह सम्मान और आर्थिक सुरक्षा का एक बड़ा प्रतीक है, क्योंकि यह मानती है कि जवान ने देश सेवा की वेदी पर अपनी जान गंवाई है।