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Exclusive interview: हरियाणा भाजपा के नए प्रभारी विनोद तावड़े बोले- संगठन व सरकार में तालमेल जरूरी

Exclusive interview हरियाणा भाजपा के नए प्रभारी विनोद श्रीधर तावड़े ने कहा कि हरियाणा में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है। इसके साथ ही उन्‍होंने किसानों को भ्रमित करने वालों को भाजपा सांसद और विधायक को जवाब देने को भी कहा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 04:15 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 04:15 PM (IST)
Exclusive interview: हरियाणा भाजपा के नए प्रभारी विनोद तावड़े बोले- संगठन व सरकार में तालमेल जरूरी
हरियाणा भाजपा के नए प्रभारी विनोद तावड़े।

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा भाजपा के नए प्रभारी विनोद श्रीधर तावड़े प्रदेश संगठन में नए सिरे से जान फूंकना चाहते हैं। केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, राज्य सरकार के मंत्रियों और विधायकों से बातचीत के दौरान ही उन्हें सत्ता और संगठन में तालमेल बढ़ाने की जरूरत महसूस हो गई है। अगले दो दिनों में तावड़े भाजपा के सभी जिलाध्यक्षों और तीन सौ मंडल अध्यक्षों से मुलाकात कर उन्हें संगठ न में मजबूती का होमवर्क सौंपने वाले हैं।  उनका कहना है कि हरियाणा में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत है।

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हरियाणा भाजपा के नए प्रभारी विनोद श्रीधर तावड़े से जागरण की खास बातचीत

तावड़े के पास पश्चिम बंगाल की भी जिम्मेदारी है। वह 15 दिन हरियाणा और 10 दिन पश्चिम बंगाल के दौरे पर रहेंगे। इस दौराव तावड़े ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए हर समय सुलभ रहने का भरोसा दिलाया है। भाजपा सरकार के मंत्रियों और विधायकों की बैठक लेने चंडीगढ़ पहुंचे प्रभारी विनोद तावड़े का दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने खास साक्षात्‍कार ( Exclusive interview)की। पेश हैं इसके प्रमुख अंश-

- आप महाराष्ट्र में मंत्री रहे। वहां के आचार-व्यवहार और हरियाणा के आचार-व्यवहार में काफी अंतर है। दो दिन के दौरे में कैसा महसूस हुआ?

- मैंने अब से पहले हरियाणा के लोगों के जोश के बारे में सिर्फ सुना था। अब देख भी लिया है। कार्यकर्ताओं का जोश संगठन के काम के लिए बहुत ही जरुरी होता है। जोश से ही काम करने का आनंद भी आता है। जब किसी जगह सरकार हमारे संगठन की हो तो वहां हम सब कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है, जिसका निर्वहन हम सबको मिलकर करना है। संगठन को आगे बढ़ाना है।

- सांसद और विधायक किसी भी संगठन की जान होते हैं। दोनों के साथ आपकी मीटिंग हो चुकी। कैसा फीडबैक रहा?

- अभी मेरा मंतव्य पूरा नहीं हुआ है। सभी के साथ बैठकों के दौर चल रहे हैं। कुछ लोगों से बातचीत हो चुकी है और कुछ से होनी बाकी है। सभी से बातचीत हो जाए। कुछ मैं उनकी सुन लूं और कुछ अपनी कह लूं। तभी कुछ बता पाने की स्थिति में हूंगा।

- दोनों बैठकों से कुछ ऐसी आवाज आ रही कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में कहीं न कहीं कोई असंतोष है?

- यह आपका नजरिया हो सकता है, लेकिन हर किसी को अपनी राय रखने का अधिकार है। यही तो जानने के लिए मैं हरियाणा आया हूं। सभी से बात कर रहा हूं। मैं चाहता हूं कि सत्ता और संगठन के बीच किसी तरह की दूरी न रहे। हरियाणा में हालांकि ऐसा नहीं है, लेकिन यदि है भी तो मैं इसे दूर करने का पूरा प्रयास करूंगा। सत्ता के बिना संगठन और संगठन के बिना सत्ता कुछ नहीं है।

- विधायकों को आपने कम से कम 25 कार्यकर्ताओं का परिवार बनाने का गुरू मंत्र दिया है। क्या है इसके मायने?

- देखिये, कोई भी काम जीरो से शुरू होता है। हम पहले 25 कार्यकर्ताओं का एक ऐसा परिवार बनाना चाहते हैं, जिसमें परिवार का मुखिया यानी विधायक या सांसद अपने उस परिवार के बारे में हर चीज बारीकी से जानता हो। मसलन, उस कार्यकर्ता के घर में कितने लोग हैं, उनकी आय का साधन क्या है, कितने बच्चे पढ़ रहे और कितने बच्चे नौकरी में हैं, उनकी जरूरत क्या है, उनकी शादी की सालगिरह और जन्मदिन कब है। उस अवसर पर हमें उनके साथ परिवार के मुखिया की तरह व्यवहार करना है। इस सिलसिले को लगातार बढ़ाना है। फिर अगले 25 सदस्यों का परिवार बनाना है। इससे संगठन मजबूत होगा तथा कार्यकर्ता व नेता के बीच प्रगाढ़ संबंध बनेंगे।

- आपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संगठन में काम किया। महाराष्ट्र में संगठन को मजबूत करने के लिए क्या फार्मूला अपनाया?

- मैंने अभी तक की बैठकों में प्रधानमंत्री जी के साथ किए कार्यों के अनुभव को साझा किया। मैंने अपनी एक टीम बना रखी है। वह यह पता लगाती है कि कितने लोगों का देहावसान हुआ। डेथ सर्टिफेकट बनवाना सबसे मुश्किल काम है। हम ऐसे लोगों के सर्टिफिकेट बनवाकर उनके परिवार को सौंपते हैं और श्रद्धांजलि देते हैं। इससे लोगों का जुड़ाव होता है और हमें भी कुछ कर पाने की आत्मिक शांति मिलती है। जिस किसी में संगठन में काम करने की भूख हो, उसके पास बहुत से तरीके हो सकते हैं।

- केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर व्यापक विरोध हो रहा है। विपक्ष को जवाब देेने के लिए भाजपा ने क्या रणनीति बनाई?

- कुछ लोग किसानों को भ्रमित कर आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन किसानों का कम और पंजाब सरकार का आंदोलन ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कानून लेकर आए हैं। यदि किसी ने इन क़ानूनों का लाभ नहीं लेना है तो भले ही न लें, परंतु किसानों को गुमराह कर राजनीति न की जाए। मैंने सभी कार्यकर्ताओं, विधायकों और सांसदों से कहा है कि हम हमारे किसान भाइयों को सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के फायदे के बारे में बताएं और उनको सतर्क करें कि कुछ लोग आपको गुमराह कर अपना राजनितिक हित साधना चाहते हैं।

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जानें- कौन हैं भाजपा प्रभारी विनोद श्रीधर तावड़े

हरियाणा भाजपा के नए प्रभारी विनोद श्रीधर तावड़े महाराष्ट्र के उन चार प्रमुख नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिल पाया था। हरियाणा में भी ऐसे ही दो नेता पूर्व मंत्री विपुल गोयल और राव नरबीर शामिल हैं। तावड़े के साथ राज पुरोहित, प्रकाश मेहता और एकनाथ खड़से टिकट से वंचित रह गए थे, लेकिन तावड़े संगठन के आदमी हैं और महाराष्ट्र की राजनीति में खासे सक्रिय रहते हैं। भाजपा हाईकमान ने उन्हें चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल का कार्यभार सौंप रखा है।

20 जुलाई 1963 को मुंबई में जन्मे 57 वर्ष के तावड़े विकासात्मक राजनीति में यकीन रखते हैं। उनकी एक बेटी अनवी तावड़े है। महाराष्ट्र में वह अपने विवादित बयानों की वजह से काफी चर्चित रहे। वह देवेंद्र फडणवीस की सरकार में शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, खेल एवं युवा मामले, अल्पसंख्यक विकास, भाषा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम मंत्री रह चुके हैं।

हायर सेकेंडरी की अपनी शिक्षा की डिग्री को लेकर भी तावड़े चर्चा में रहे। उन्होंने प्रोफेशनल कोर्स भी किया है। मुंबई महानगरपालिका के चुनाव में शिवसेना पार्षदों की संपति में सवा तीन हजार फीसदी की बढ़ोतरी का दावा कर तावड़े काफी चर्चित रहे। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर उनका कार्यकाल काफी चर्चित रहा। 2013 में उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए अलग बजट की मांग सबसे पहले रखी। तावड़े महाराष्ट्र भाजपा के महामंत्री तथा मुंबई भाजपा के राज्य अध्यक्ष रह चुके हैं।

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मुख्‍य बिंदु

 - किसानों को भ्रमित करने वालों को जवाब दें भाजपा सांसद और विधायक।

- जिस प्रदेश में अपनी सरकार, वहां कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी ज्यादा।

- सत्ता और संगठन के बीच दूरी न रहे, यही मेरी पहली जिम्मेदारी।

- जिसमें संगठन में काम करने की भूख, उसके पास तरीकों की कमी नहीं।

- प्रदेश में कार्यकर्ताओं का एक बड़ा परिवार बनाएं विधायक और सांसद।


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