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Haryana Assembly Monsoon session: कृषि कानूनों के लिए धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पर कांग्रेस विधायकों का हंगामा, स्‍पीकर ने किया नेम

Haryana Assembly Monsoon session मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों पर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पेश किया। इस पर चर्चा के बाद भाजपा और कांग्रेस के विधायकों के बीच तीखी बहस हुई। प्रस्‍ताव पर वोटिंग की मांग नहीं माने जाने के बाद कांग्रेस विधायकों ने वाकआउट किया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 02:22 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 10:27 PM (IST)
Haryana Assembly Monsoon session: कृषि कानूनों के लिए धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पर कांग्रेस विधायकों का हंगामा, स्‍पीकर ने किया नेम
विधानसभाा में कृषि कानूनों पर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पेश करते मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल।

चंडीगढ़, जेएनएन। Haryana Assembly Monsoon session: मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने विधानसभा में सदन पटल पर कृषि कानूनों को लेकर धन्‍यवाद प्रस्‍ताव और संकल्प पत्र रखा। इस पर चर्चा के दौरान कांग्रेस और भाजपा के विधायकों के बीच तीखी बहस हुई। कांग्रेस के विधायकों ने प्रस्‍ताव पर वोटिंग की मांग की। इसे विधानसभा स्‍पीकर ने खारिज करते हुए कहा कि पहले प्रस्‍ताव पर चर्चा होगी।

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मर्यादाएं भूले माननीय, कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ी, कांग्रेस के सभी विधायक नेम

इस दौरान हरियाणा विधानसभा में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। संसद में पारित तीन नए कृषि कानूनों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के विधायक ऐसे उलझे कि विधानसभा की कार्यवाही पहले 45 मिनट और फिर आधा घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। भारी शोरगुल के चलते करीब सवा घंटे तक सदन की कार्यवाही बाधित रही। दोनों तरफ से नारेबाजी और आरोप-प्रत्यारोपों के बीच कांग्रेसी विधायक अपनी सीटों पर कम और वेल (स्पीकर के आसन के सामने की जगह) में ज्यादा जमे रहे।

आधा दर्जन से अधिक बार वेल में पहुंचे कांग्रेस विधायक बार-बार की चेतावनी के बावजूद नहीं माने तो विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें नेम कर दिया। इस दौरान कांग्रेस विधायक रघुबीर कादियान और जगबीर मलिक ने कृषि कानूनों और धन्यवाद प्रस्ताव की प्रतियां भी फाड़ डाली।

शोर-शराबे के चलते विधानसभा की कार्यवाही पहले 45 मिनट और फिर आधा घंटे के लिए करनी पड़ी स्थगित
प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा की कार्यवाही पहले घंटे शांतिपूर्वक चली। इसके बाद कभी निकिता हत्याकांड तो कभी शराब और रजिस्ट्री घोटाले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक आपस में उलझ गए। शून्यकाल में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ही कांग्रेस विधायक अपनी सीटों पर खड़े हो गए।

विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंंह हुड्डा और किरण चौधरी सहित अन्य विधायकों ने पहले कृषि कानूनों के विरोध में पार्टी द्वारा लगाए गए प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रस्ताव 2 नवंबर को दिया गया है, जबकि इसे 15 दिन पहले दिया जाना चाहिए। इसलिए इसे खारिज कर दिया गया है। अब सिर्फ सरकार के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी।

इसके तुरंत बाद कांग्रेस के विधायकों ने संशोधन के लिए प्रस्ताव की जिद पकड़ ली और वेल में आ धमके। इस दौरान भाजपा विधायक भी अपनी सीटों पर खड़े हो गए और दोनों तरफ से जमकर नारेबाजी हुई। करीब 20 मिनट तक वेल में जमे रहने के बाद कांग्रेस विधायकों ने वाकआउट कर दिया। थोड़ी ही देर बाद वह फिर सदन में लौट आए और शोर-शराबा करने लगे।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संभाला मोर्चा

इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मोर्चा संभालते हुए साफ किया कि धन्यवाद प्रस्ताव पर ही चर्चा होगी। एक-एक विधायक के सवाल का जवाब देंगे चाहे रात बारह बज जाएं या फिर कल सुबह तक विधानसभा चलानी पड़े।

कृषि कानूनों के पक्ष-विपक्ष में नहीं हो सकी वोटिंग

इसके बाद टीका-टिप्पणियों और शोर-शराबे के बीच ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर चर्चा चलती रही। यह चर्चा जैसे ही खत्म हुई, कांग्रेस विधायक फिर वेल में आ डटे और कृषि कानूनों पर धन्यवाद प्रस्ताव की जगह पहले वोटिंग कराने की मांग पर अड़ गए। करीब 15 मिनट के हंगामे के बाद स्पीकर ने 45 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। सदन फिर जैसे ही शुरू हुआ, कांग्रेस विधायकों ने वेल में डेरा डाल दिया। दोनों तरफ से खूब आरोप-प्रत्यारोप चले। 40 मिनट तक कांग्रेस विधायक बार-बार वेल में आते रहे। इस पर भड़के स्पीकर ने कांग्रेसी विधायकों को नेम करते हुए आधा घंटे के लिए सदन की कार्यवाही फिर स्थगित कर दी।

चौटाला ने की नेम वापस लेने की मांग, स्पीकर का इन्कार

शाम करीब चार बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने पर इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि कृषि कानूनों पर स्वस्थ चर्चा करानी है तो विपक्ष का होना जरूरी है। इसलिए कांग्रेस विधायकों को वापस बुलाना चाहिए। स्पीकर ने उनकी मांग खारिज कर दी। इसके बाद शांतिपूर्वक माहौल में सदन चला।

धरी रह गई कांग्रेस की रणनीति

धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा से पहले वोटिंग कराने की जिद पर अड़ी कांग्रेस को उम्मीद थी कि अगर ऐसा हुआ तो सत्तारूढ़ दलों के कुछ विधायक अंदरखाते प्रस्ताव का विरोध कर सकते हैं। लेकिन सरकार की रणनीति की आगे उसकी सारी योजना धरी रह गई। मुख्यमंत्री इस रणनीति में कामयाब रहे कि इन कानूनों पर वोटिंग नहीं कराई जा सकी।

इससे पहले मुख्‍यमंत्री कृषि कानूनों पर संकल्‍प पत्र में कहा कि कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, किसान (सशक्तिकरण तथा संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) को अधिसूचित किया गया है।  पहले अधिनियम का उद्देश्य किसानों को अपनी उपज किसी भी व्यक्ति को कहीं भी और अपने मनपसंद मूल्य पर बेचने का विकल्प उपलब्ध कराना है। दूसरे अधिनियम का उद्देश्य किसान को उस समय सुरक्षा प्रदान करना है, जब वह अपनी फसल को  बेचने के लिए कोई अनुबंध करता है। तीसरा अधिनियम कृषि विपणन को सरल करता है और केवल असाधारण परिस्थितियों में भंडारण सीमा को लागू करता है।

संकल्‍प पत्र में कहा गया कि यह अधिनियम किसानों को अधिक सशक्त बनाएंगे और कृषि ढांचा मजबूत होने के साथ-साथ किसानों को बेहतर आय प्राप्त हो सकेगी। हरियाणा राज्य कृषि विकास में देश में अग्रणी है। इसलिए यह सुधार हरियाणा के किसानों के लिए बड़े अच्छे परिणाम लाएंगे। सरकार की मंशा को स्पष्ट करते हुए सरकार किसानों को आश्वस्त करती है कि मंडी प्रक्रिया और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद सुनिश्चित रहेगी। इन नियमों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में यह ऐतिहासिक सुधार करने के लिए यह सदन भारत सरकार का धन्यवाद करता है।

धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार चौथा कानून बनाए जिसमें सुनिश्चित किया जाए कि किसानों की फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर ही खरीद होगी और ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।  

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