Haryana Assembly Monsoon Session: कृषि कानूनों के बाद शराब घाेटाले पर घमासान, सरकार व विपक्ष में भिड़ंत
Haryana Assembly Monsoon Session सदन में कृ्षि कानूनों को लेकर हंगामे बाद शराब घोटाले व जहरीली शराब मामले पर घमासान मच गया। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के बाद सरकार और विपक्ष के बीच गर्मागर्म बहस हुई। गृहमंत्री अनिल विज ने सरकार की ओर से जवाब दिया।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा विधानसभा मानसून सत्र (Haryana Assembly Monsoon Session) के दूसरे दिन सदन में काफी हंगामा हुआ। कृषि कानूनों के बाद शराब घोटाले और सोनीपत जहरीली शराब कांड पर तीखी बहस हुई। कांग्रेस के विधायकों ने कृषि कानूनों और सोनीपत जहरीली शराब मामले को लेकर शोरगुल किया। इससे कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए सदन की वेल में आ गए और इसके बाद नेता विपक्ष भूपेंंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में सदन से वाकआउट कर गए। बाद में मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कृषि कानूनों को लेकर सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर भी चर्चा हुए और गृहमंत्री अनिल विज ने इनका जवाब दिया।
शराब घोटाले पर अभय चौटाला के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा
बाद में विधानसभाा में ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर चर्चा शुरू हुई। गृहमंत्री अनिल विज ने इनेलो के अभय चौटाला द्वारा शराब घोटाले पर रखे गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सरकार की तरफ से जवाब दिया। अभय चौटाला ने कहा कि शराब घोटाले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। इससे भ्रष्टाचार खत्म होगा और पूरे मामले का खुलासा होगा। उन्होंने इस दौरान रजिस्ट्री घोटाले का भी जिक्र किया। अभय चौटाला ने कहा कि पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के ड्राइवर रहे व्यक्ति की रजिस्ट्री तहसीलदार को सिफारिशी फोन के बाद भी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अनिल विज ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए कलम चलाई तो मुख्यमंत्री ने इस पर रोक क्यों लगाई।
किरण चौधरी ने कहा कि शराब घोटाले को लेकर गृहमंत्री अनिल विज की सोच थी कि इसकी जांच एसआइटी से कराई जाए, लेकिन विज की नहीं चली। शराब घोटाला पुलिस और आबकारी विभाग के बड़े अधिकारियों के संरक्षण में सुनियोजित रूप में हुआ। किरण चौधरी ने भी शराब घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की। किरण चौधरी ने कहा कि सरकार ने शराब माफिया से तीन करोड़ रुपये की आबकारी फीस भी नहीं वसूली गई। सोनीपत से कांग्रेस के विधायक सुरेंद्र पंवार ने कहा कि यदि लाकडाउन के दौरान शराब घोटाले की जांच उच्च स्तर पर करवा ली जाती तो अब सोनीपत और पानीपत में हुई जहरीली शराब से 30 से अधिक मौत नहीं होती।
कांग्रेस के शमशेर सिंह गोगी ने कहा कि गृहमंत्री अनिल विज को पावर रहित बना दिया गया है। शराब घोटाले की जांच एसआइटी की बजाए एसईटी को क्यों दी गई। जहरीली शराब पीकर लोगों के मारे जाने के मामले की सरकार जांच कराए। बादली से कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स ने आरोप लगाया कि एक ही जिला में पांच साल तक एक अधिकारी नियुक्त रही। यह भ्रष्टाचार चुने हुए प्रतिनिधियों की तरफ से है। वत्स ने अनिल विज के गब्बर नाम पर भी सवाल उठाया। वत्स ने कहा कि अनिल विज अब सिर्फ अखबारों के नेता रह गए हैं। भाजपा विधायक हरविंद्र कल्याण की सदन में कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स से गृहमंत्री अनिल विज पर लगाए आरोपों पर खूब भिड़ंत हुई।
इसके बाद जहरीली शराब से सोनीपत और पानीपत में हुई मौतों सहित लाकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले पर सरकार की तरफ से गृहमंत्री अनिल विज ने जवाब दिया। विज ने कहा कि शराब घोटाले पर वह स्वयं काफी गंभीर हैं और इस घोटाले में किसी को भी माफ नहीं किया जाएगा। आइपीएस अधिकारी कला रामचंद्रन के नेतृत्व में एसईटी ने बेहतर जांच की है। एक डिस्ट्रलरी का मालिक अशोक जैन, जिसको आज तक कोई हाथ नहीं लगा सका था। यह इस जांच का ही नतीजा है कि वह सलाखों के अंदर है। इससे सरकार की गंभीरता झलकती है। सरकार पूरी ईमानदारी के साथ इस दिशा में काम करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि एसआइटी के लिए मैंने लिखा था और एसईटी बना दी। एसईटी ने भी अच्छा काम किया है। एसईटी ने अपने सुझाव भी दिए हैं और अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की है। गृहमंत्री अनिल विज ने 15 मार्च से 10 मई के बीच की एसईटी की जांच रिपोर्ट सदन में पेश की।
गृहमंत्री बोले- मैं गब्बर नहीं हूं, अनिल विज हूं
विज ने कहा, मैं गब्बर नहीं हूं, अनिल विज हूं और जिस काम को हाथ में लेता हूं, उसे अंजाम तक पहुंचाता हूं। मैंने जिस दिन यह एसईटी की रिपोर्ट आई, उसी दिन इस पर कार्रवाई करने के लिए विजिलेंस को दी। विजिलेंस ने आबकारी विभाग से 400 पेज के कागज लिए हैं। मैं किसी को माफ नहीं करूंगा। गृह विभाग के अधिकारी भी अच्छा काम कर रहे हैं। अभी जांच पूरी नहीं हुई है। जिस दिन जांच पूरी हो जाए, उस दिन बड़ी हो या छोटी सभी मछलियों पर कार्रवाई होगी। यदि सरकार नहीं करें तो विपक्ष सरकार की गिरेबां पकड़ सकती है। मगर बिना जांच के किसी के खिलाफ कार्रवाई करना ठीक नहीं है।
इससे पहले हुड्डा ने कांग्रेस विधायकों के साथ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर विधानसभा के बाहर भी प्रदर्शन किया। शुक्रवार सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही तीन कृषि कानूनों को लेकर हरियाणा विधानसभा में गतिरोध पैदा हो गया। विधानसभा अध्यक्ष ने कृषि कानूनों के विरोध में लाया गया कांग्रेस का प्रस्ताव रद कर दिया। विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि कोई भी प्रस्ताव विधानसभा सत्र के 15 दिन पहले प्रस्तावित किया जाना चाहिए, जबकि यह प्रस्ताव 2 नवंबर को दिया गया है। राज्य सरकार ध्यानाकर्षण प्रस्तावों के बाद केंद्र के कृषि कानूनों के समर्थन में धन्यवाद प्रस्ताव पेश करेगी।
इसके बाद कांग्रेस के विधायकों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया। कांग्रेस विधायक पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में नारेबाजी करने लगे। इस कारण करीब 15 मिनट तक सदन की कार्यवाही बाधित रही। करीब 10 मिनट तक वेल में खड़े रहने के बाद कांग्रेसी विधायकों ने नारेबाजी करते हुए सदन से किया वकआउट किया। इसके बाद कार्यवाही शुरू हुई तो सोनीपत में जहरीली शराब से मौतों पर कांग्रेस का ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया और इसे भी खारिज कर दिया गया। इसके विरोध कांग्रेस के विधायक वेल में पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे।
दूसरी ओर, विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने हाईकोर्ट चौक से लेकर विधानसभा तकला पैदल मार्च निकाला। कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के बाहर विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में प्रदर्शन किया। विधायकों ने किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे थे। हुड्डा ने कहा कि सरकार एमएसपी की गारंटी के लिए चौथा कानून लेकर आए। एमएसपी नहीं देने वाले के खिलाफ सजा का प्रावधान हो।
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