Updated: Mon, 04 Aug 2025 07:01 PM (IST)
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जूनियर इंजीनियर भर्ती में बायोमेट्रिक सत्यापन की अनदेखी पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को फटकार लगाई। कोर्ट ने अंतिम परिणाम रद्द कर बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद संशोधित मेरिट सूची जारी करने का आदेश दिया। आयोग के सचिव को अवमानना का नोटिस जारी हुआ। कोर्ट ने कहा कि आयोग ने जानबूझकर आदेश को भ्रामक तरीके से पेश किया जो न्याय प्रणाली के प्रति असम्मान है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जूनियर इंजीनियर (सिविल) भर्ती मामले में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के रवैये पर नाराजगी जताते हुए भर्ती प्रक्रिया में बायोमेट्रिक सत्यापन की अनदेखी को अदालत की अवमानना माना है।
कोर्ट ने आयोग को अंतिम परिणाम को वापस लेकर आधार से बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद ही संशोधित मेरिट सूची जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही आयोग के सचिव को कोर्ट की अवमानना के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
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कोर्ट ने माना कि यह स्पष्ट रूप से आयोग की ओर से जानबूझकर भ्रामक शब्दों का चयन करने की शरारतपूर्ण कोशिश थी, जिसे ऐसा प्रतीत हो कि आदेश का पालन हुआ है, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है।
बायोमेट्रिक सत्यापन प्रशासनिक निर्णय नहीं, न्यायिक आदेश था। ऐसे में आयोग को यह अधिकार नहीं था कि वह अपनी जिम्मेदारी को राज्य सरकार पर ट्रांसफर कर दे। कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह मामला दर्शाता है कि कुछ वैधानिक संस्थाएं न्यायिक आदेशों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश करती हैं, जो न्याय प्रणाली के प्रति असम्मान का संकेत है।
कपिल सैनी व अन्य द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ताओं के वकील जसबीर मोर ने कोर्ट को बताया कि जूनियर इंजीनियर (सिविल) के लिए 2019 में हुई भर्ती में बायोमेट्रिक और दस्तावेजों का ठीक से सत्यापन नहीं किया गया, जिससे कई फर्जी अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल गई।
याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट से आग्रह किया कि दस्तावेजों की गहन जांच की जाए। ओएमआर शीट और आधार डाटा के बीच बायोमेट्रिक मिलान हो। यह सुनिश्चित किया जाए कि जो व्यक्ति आवेदन करता है, वही परीक्षा में उपस्थित होता है।
कोर्ट ने आदेश दिया कि बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 30 जुलाई 2018 को पारित आदेशानुसार, सभी भर्ती प्रक्रियाओं में आधार से बायोमेट्रिक मिलान अनिवार्य है, जिसे आयोग ने नजर अंदाज किया। हाई कोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता जरूरी है, आयोग का यह रवैया जानबूझकर गुमराह करने वाला और विश्वासघातपूर्ण है।
कोर्ट ने साफ कर दिया कि तीन माह के भीतर संशोधित मेरिट सूची जारी करनी होगी व जब तक आधार सत्यापन नहीं हो जाता, कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। कोर्ट ने इस मामले को अवमानना बेंच को भेजने के लिए मामला चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया। भर्ती प्रक्रिया की टाइमलाइन विज्ञापन जारी: 15 जून 2019 परीक्षा: 1 सितंबर 2019 परिणाम घोषित: 21 सितंबर 2019 अंतिम चयन सूची: 6 जून 2020
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