मनोहरलाल की बड़ी रणनीति, दुष्यंत चौटाला के सामने अनिल विज बनेंगे भाजपा की ढाल
भाजपा और सीएम मनोहरलाल ने बड़ी रणनीति के तहत अनिल विज को कैबिनेट में ताकतवर बनाया है। अनिल विज को डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के सामने भाजपा ढाल बनाएगी।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के नवनियुक्त गृह मंत्री अनिल विज को ताकतवर मंत्री बनाने का आधार वरिष्ठता और अनुभव तो है ही, इससे अलग एक बड़ा कारण भी है। हरियाणा सरकार में बढ़े विज के रूतबे के कई राजनीतिक कारण हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में अनिल विज को डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के मुकाबले एक रणनीति के तहत ताकतवर बनाया गया है। विज और दुष्यंत के बीच पुराना छत्तीस का आंकड़ा रहा है और मानहानि उनका एक मामला अदालत में चल रहा है।
विज को पावरफुल मंत्री बनाना भाजपा की रणनीति का हिस्सा
आम जनता खासकर अंबाला में विज को उनके तेवर के कारण 'गब्बर सिंह' के नाम से भी जाना जाता है। फिल्म शोले में गब्बर सिंह का किरदार निगेटिव अंदाज में देखा जाता है, लेकिन विज ने अपनी सरकार के पिछले कार्यकाल में जिस तरह बोल्ड फैसले लिए, उन्हें देखकर लोग विज को सिर आंखों पर बैठाते नहीं थकते।
प्रदेश के लोग अनिल विज के फैसलों की तुलना गब्बर सिंह के इस डायलाग से करते हैं कि जो डर गया समझो मर गया। विज वह मंत्री हैं, जिनके यहां हर व्यक्ति और कर्मचारी की सुनवाई होती रही है। कइ्र अवसरों पर कैबिनेट की बैठकों में भी विज अपने साथी मंत्रियों से टकराने से नहीं चूके। स्पष्ट बात कहने के आदी विज पर इस बार रणनीतिक अंदाज में भरोसा जताया गया है। अंबाला छावनी से छठी बार विधायक बने विज सरकार में सबसे सीनियर हैं।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पहले ही दे चुके किसी तरह का टकराव से दूर रहने के संकेत
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और अनिल विज के बीच पुराना छत्तीस का आंकड़ा है। हालांकि गठबंधन के बाद दोनों एक दूसरे का सम्मान करते नजर आ रहे हैं और पुरानी कटुता पर मिट्टी डालने का दावा कर रहे हैं। लेकिन, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आग पूरी तरह बुझ गई है। सबकुछ ठीकठाक रहा तो थोड़े समय बाद यह आग बुझ सकती है। 10 विधायकों के साथ जजपा इस बार भाजपा सरकार में गठबंधन की बड़ी सहयोगी पार्टी है। दुष्यंत चौटाला इस सरकार में सीएम के बाद दूसरे नंबर के मंत्री (डिप्टी सीएम) हैं।
अनिल विज को यह किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं था कि शाही रुतबे में वह दुष्यंत चौटाला से कमतर दिखें। विज ने हालांकि खुद आगे होकर सरकार से कभी कोई पद नहीं मांगा, लेकिन सरकार के लोग यह अच्छी तरह जानते थे कि यदि थोड़ी भी ऊंच-नीच हुई तो बवाल तय है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस मौके का राजनीतिक फायदा उठाने में जरा भी देरी नहीं लगाई। डिप्टी सीएम को भले ही 10 विभाग दिए गए, लेकिन अनिल विज को गृह, स्वास्थ्य, शहरी निकाय, मेडिकल एजुकेशन और तकनीकी शिक्षा सरीखे अहम विभाग देकर सरकार में दुष्यंत से ज्यादा पावरफुल बनाने का संदेश दिया गया है।
तकनीकी रूप से कैबिनेट में दुष्यंत चौटाला ही दूसरे नंबर पर
राजनीति के जानकारों का कहना है कि विज को पावरफुल बनने से दुष्यंत का सिस्टम दूसरे की बजाय तीसरे नंबर पर रहेगा, जबकि तकनीकी तौर पर पद के लिहाज से दुष्यंत चौटाला सीएम के बाद दूसरे नंबर पर और अनिल विज तीसरे नंबर पर हैं। राजनीतिक तौर पर भी यदि दोनों पार्टियों के बीच भविष्य में किसी तरह के तालमेल को आगे बढ़ाने या फिर नई दिशा मिलने की बात आई तो अनिल विज को ढाल बनाया जा सकता है। वैसे फिलहाल दुष्यंत चौटाला और उनके थिंक टैंक की सोच अनिल विज को लेकर बेहद सकारात्मक है।
दुष्यंत और दिग्विजय खत्म कर चुके कटुता
स्वास्थ्य विभाग में दवाइयों के घोटाले के बाद कानूनी नोटिस तक भेजे जाने की लड़ाई को नजर अंदाज करते हुए दुष्यंत चौटाला खुद कटुता भुलाने की पहल कर चुके हैं। विधानसभा सत्र के दौरान जब दुष्यंत चौटाला ने दोपहर का भोजन दिया था, तब अनिल विज भी उसमें शामिल हुए। वहां दिग्विजय चौटाला ने उनके पांव छूकर आशीर्वाद लिया था। बहरहाल, दोनों पार्टियों की रणनीति अपनी-अपनी जगह ठीक है, लेकिन सावधानी बरतने में हर्ज ही क्या है।
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