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    Haryana Election 2024: 'न घर के न घाट के', बीजेपी को धोखा देकर इन 3 दिग्गजों ने चुकाई कीमत

    Updated: Wed, 09 Oct 2024 12:46 PM (IST)

    हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 (Haryana Vidhan Sabha Election 2024) के नतीजे सामने आ चुके हैं। प्रदेश में एक बार फिर से भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है। वहीं विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का साथ छोड़ने वाले अशोक तंवर बृजेंद्र सिंह और रणजीत चौटाला जैसे नेता कहीं के नहीं रहे हैं। चुनावी रण में मतदाताओं ने इन नेताओं को उनके वास्तविक राजनीतिक कद का अहसास करा दिया है।

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    भाजपा को धोखा देने वाले नेताओं का दांव हुआ फेल।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि जिसने मौका खो दिया, समझो सब कुछ खो दिया। पूर्व सांसद अशोक तंवर, पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री रणजीत चौटाला पर यह बात पूरी तरह से सटीक बैठती है।

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    इन तीनों को भाजपा ने अपनी पलकों पर बैठाया, लेकिन वे भाजपा के सम्मान के लायक स्वयं को नहीं समझ पाए और भाजपा को धोखा देकर उसका साथ छोड़ गए। चुनावी रण में मतदाताओं ने इन तीनों नेताओं को उनके वास्तविक राजनीतिक कद का अहसास करा दिया है।

    अशोक तंवर का दांव हुआ फेल

    चुनावी रण में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सैलजा के बीच विवाद के चलते कांग्रेस ने भाजपा नेता अशोक तंवर को कांग्रेस में शामिल कर जबरदस्त दांव खेला था। अशोक तंवर एक समय हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और कांग्रेस ने ही उन्हें सिरसा से पहली बार सांसद बनाया था।

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    भूपेंद्र हुड्डा से टिकटों के आवंटन के विवाद के चलते तंवर कांग्रेस छोड़ गए थे। अपने राजनीतिक सफर में तंवर ने सबसे पहले स्वयं का मोर्चा बनाया। उसके बाद वह ममता बैनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में गए। फिर आम आदमी पार्टी ज्वाइन की। इन दोनों दलों में बात नहीं बनी तो तंवर अपने पुराने मित्र के माध्यम से भाजपा में आए और पार्टी ने उन्हें निवर्तमान सांसद सुनीता दुग्गल का टिकट काटकर सिरसा से चुनाव लड़वाया।

    बृजेंद्र सिंह को कांग्रेस ने नहीं दिया था टिकट

    सिरसा में तंवर भाजपा का साथ होने के बावजूद कांग्रेस की सैलजा से हार गए। तंवर चुनाव से कुछ दिन पहले कांग्रेस में आए। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस की सरकार बन रही है, लेकिन अब वे कांग्रेस में भी कहीं के नहीं रहे। यही स्थिति हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह के साथ बनी, जो हिसार लोकसभा में टिकट कटने की आशंका के चलते कांग्रेस में आ गए थे, लेकिन कांग्रेस में उन्हें हिसार अथवा सोनीपत कहीं से भी टिकट नहीं मिला।

    भाजपा ने उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, माता प्रेमलता और स्वयं बृजेंद्र को राजनीतिक ऊंचाइयों पर पहुंचाया, लेकिन उचाना से बृजेंद्र जिस तरह से चुनाव हारे हैं, वह उनके लिए राजनीतिक घाटे का सौदा रहा है।

    रणजीत चौटाला ने भी भाजपा से किया था बगावत

    सबसे ज्यादा धोखा भाजपा के साथ निवर्तमान बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने किया है। लोकसभा चुनाव में रणजीत हार गए, लेकिन रानियां से जब भाजपा ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया तो वह नाराज हो गए और भाजपा से ही बगावत कर बैठे। अब हार के रूप में उनके राजनीतिक भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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