Haryana News: ओमप्रकाश चौटाला की विरासत संभालेंगे अभय सिंह चौटाला, परिवार में एकता के सभी दरवाजे बंद
हरियाणा (Haryana News Hindi) के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की राजनीतिक विरासत उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला संभालेंगे। अभय सिंह चौटाला को इनेलो की केंद्रीय कमेटी की बैठक में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। चौटाला परिवार में एकता के सारे दरवाजे लगभग बंद हैं। अभय सिंह ने एकजुटता के सारे दरवाजे बंद कर दिए हैं।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके स्वर्गीय ओमप्रकाश चौटाला की राजनीतिक विरासत उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला संभालेंगे।
इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने अपने जीते-जी अभय चौटाला को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था, लेकिन उनके निधन के बाद से रस्म पगड़ी तक जितनी भी क्रियाएं हुई, उन्हें अभय सिंह चौटाला ने ही पूरा करने का काम किया।
इनेलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं अभय चौटाला
चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह भी इन क्रियाओं में शामिल रहे, लेकिन समाज के बड़े बुजुर्गों ने अभय सिंह चौटाला को सम्मान की प्रतीक पगड़ी बांधकर ओमप्रकाश चौटाला का विधिवत रूप से राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।
अभय सिंह चौटाला हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं और अब इनेलो के प्रधान महासचिव हैं। इनेलो की केंद्रीय कमेटी की अगले कुछ दिनों में होने वाली बैठक में अभय सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
विधानसभा चुनाव में अभय चौटाला को मिली थी हार
पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा इस समय इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष हैं, जिन्होंने अभय सिंह चौटाला के राजनीतिक संकट के समय उनका हर कदम पर साथ देने का काम किया है।
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अभय सिंह चौटाला ने इस बार ऐलनाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वे स्वयं चुनाव हार गए, मगर अपने बेटे अर्जुन चौटाला को रानियां तथा चचेरे भाई आदित्य देवीलाल को डबवाली से चुनाव जितवाने में कामयाब रहे हैं।
ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद समस्त अंतिम क्रियाओं में अभय चौटाला के साथ अर्जुन चौटाला, कर्ण चौटाला और आदित्य देवीलाल साथ रहे।
जजपा के उम्मीदवारों की जब्त हो गई थी जमानत
शोक के लिए बैठने के दौरान ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला, पोते दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला के साथ पुत्रवधू नैना चौटाला भी पूरे समय मौजूद रहीं, लेकिन देशभर से आने वाले राजनीतिज्ञों, अधिकारियों और परिजनों ने जिस तरह अभय चौटाला को महत्व दिया, उससे साफ हो गया था कि अभय को ही अपने पिता की राजनीतिक विरासत मिलने वाली है।
अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला जननायक जनता पार्टी चलाते हैं। साल 2019 के चुनाव में जजपा के 10 विधायक जीतकर आए थे और भाजपा के साथ साढ़े चार साल तक जजपा सत्ता में साथ रही थी। इस बार जजपा के किसी उम्मीदवार की जमानत नहीं बच पाई है।
राजनीतिक रूप से एक नहीं होगा चौटाला परिवार
ओमप्रकाश चौटाला की रस्म पगड़ी के बाद अब यह भी साफ हो गया है कि अभय चौटाला और अजय चौटाला का परिवार राजनीतिक रूप से एक नहीं होने वाला है। भाकियू अध्यक्ष राकेश टिकैत ने दोनों परिवारों की एकजुटता की बात शोक सभा के दौरान उठाई, लेकिन अन्य किसी भी नेता ने इस बारे में कोई शब्द नहीं बोला।
सभी ने एक स्वर में अभय सिंह चौटाला से ही पार्टी को आगे बढ़ाने की बात पर जोर दिया था। उम्मीद की जा रही थी कि शोक के बाद दोनों भाइयों का परिवार राजनीतिक मजबूती के लिए एक दूसरे के हाथ थाम सकता है, लेकिन जिस तरह ओमप्रकाश चौटाला ने अपने जीते-जी इस एकजुटता में कोई रुचि नहीं दिखाई, उसी तरह चौटाला के जाने के बाद उनके बेटे अभय सिंह ने भी एकजुटता के तमाम दरवाजे बंद कर दिए हैं।
शोकसभा में दूरी बनाते दिखे अजय और अभय के बेटे
शोकसभा में अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला के बेटे आपस में एक-दूसरे से दूरी बनाते हुए नजर आए। एकजुटता के दरवाजे बंद होने के साथ ही जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला खनौरी बार्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का हालचाल जानने पहुंच गए, जबकि अभय सिंह चौटाला अपने पिता के निधन से पहले ही डल्लेवाल से मिलकर आ चुके हैं।
पूरे देश में अभय सिंह चौटाला एकमात्र ऐसे नेता या विधायक थे, जिन्होंने तीन कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इनेलो की मौजूदा राजनीतिक स्थिति में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की विरासत को आगे बढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
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